भारतीयों को भा गया है ऑनलाइन लेन-देन

साल 2016 में जब नोटबंदी की कामयाबी को लेकर कई तरह के सवाल उठने लगे थे, तब भारत सरकार की तरफ से कहा गया था कि वास्तव में नोटबंदी के पीछे एक महत्वपूर्ण कारण भारत में ऑनलाइन लेनदेन की प्रक्रिया को प्रोत्साहित करना है। नोटबंदी से घोषित भले कई दूसरे लक्ष्य न प्राप्त हुए हों, लेकिन छह सालों बाद आज सरकार यह बात तो गर्व से कह सकती है कि उसने इन छह सालों में देश में लेनदेन का समूचा सिस्टम बदलकर रख दिया है। आज पेमेंट मोड पूरी तरह से ऑनलाइन की तरफ  बढ़ रहा है। छह साल पहले जहां बड़ी-बड़ी कंपनियां और कारपोरेट सेक्टर में भी ऑनलाइन  पेमेंट को लेकर एक हिचक थी। वहीं आज अदना से अदना व्यक्ति भी बेहिचक ऑनलाइन लेनदेन करता है। आज  चायवाला, पानवाला, जूसवाला, मोची या बड़ापाव वाला। कौन सा ऐसा व्यक्ति है जो आज की तारीख में ऑनलाइन पेमेंट नहीं ले दे रहा।
आज भारतीयों में ऑनलाइन पेमेंट का इस कदर क्रेज है कि आपको कई ऐसे युवा मिल जाएंगे, जो कहेंगे उनके पास पिछले एक हफ्ते से एक भी रुपया कैश नहीं है, लेकिन उनकी जिंदगी बहुत मस्त, बहुत स्मूथ रन कर रही है। यह स्वभाविक है। आज हर रोज हिंदुस्तान में 22 करोड़ ऑनलाइन पेमेंट होते हैं। जून 2021 में 5.86 अरब रुपये का लेनदेन ऑनलाइन हुआ था। यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस यानी यूपीआई भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम एवं भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा शुरु किया गया, ऑनलाइन लेनदेन का एक ऐसा तरीका है, जिसने भारतीयों का मन तो मोह ही लिया है, हिंदुस्तान की यह टेक्नोलॉजी यानी यूपीआई पश्चिमी देशों को भी खूब लुभा रही है। सच बात तो यह है कि यूपीआई की सफलता ने, डिजिटल टेक्नोलॉजी में खुद को दिग्गज मानने वाले कई देशों को चौंकाया है। आज देश में सिर्फ 22 करोड़ ऑनलाइन ट्रांजेक्शन भर नहीं होते बल्कि इसके चलते देश में आर्थिक लेनदेन बहुत ही स्मूथ हो गया है। इसके कारण लोगों का हर दिन लाखों किलोमीटर का सफर कम हो गया है और अरबों, खरबों रुपये का समय बच गया है।
हालांकि इससे यह भी हुआ है कि अब आप पहले की तरह कहीं यह कहकर भुगतान से बच नहीं पाते कि मेरे पास कैश नहीं है। आज भुगतान के लिए कैश की जरूरत ही नहीं रह गयी। आज ज्यादातर लोग कुछ भी खरीदने के लिए अपनी जेब से बटुआ नहीं मोबाइल फोन निकालते हैं। पहले तो यूपीआई के लिए इंटरनेट कनेक्शन की जरूरत होती थी, लेकिन यूपीआई 2.0 में तो इंटरनेट के बिना भी पेमेंट हो रहा है। मतलब भारत की यूपीआई ने लेनदेन के तौर तरीके में क्रांति ला दी है। करंसी बदल गई है, लेनदेन का ढंग बदल गया है और यह सिर्फ देश के भीतर ही नहीं हो रहा। इंटरनेशनल मार्किट में भी यूपीआई ने कमाल किया है।
यूपीआई की इस दिन दूनी रात चौगुनी प्रगति को देखकर कई बड़ी कंपनियां चौंक गई हैं। क्योंकि इसने भारतीयों का मन ही नहीं मानसिकता को भी बदलकर रख दिया है, जो भारतीय पहले ऑनलाइन पेमेंट से कतराते थे, वहीं आज ऑनलाइन पेमेंट से ही ज्यादा सुविधा और सुकून महसूस करते हैं। ऐसा हो भी क्यों न, यूपीआई या ऑनलाइन पेमेंट के बहुत सारे फायदे हैं। इसका सबसे बड़ा फायदा तो यही है कि हमें किसी को पेमेंट करते समय या किसी से पेमेंट लेते समय यह ध्यान नहीं रखना पड़ता कि आज दिन क्या है? टाइम क्या है? दिन है या रात है? बैंक खुले हैं या बंद हैं? ऑनलाइन पेमेंट ने इन तमाम तरह की बाधाओं को एक झटके में ही दूर कर दिया है। इस सुविधा के चलते अब किसी से भी पेमेंट की तय तारीख या भुगतान की अंतिम तारीख छूटती नहीं है। हम बैंकों के चक्कर लगाने से बच जाते हैं और पलक झपकते ही पेमेंट पा लेते हैं और जिसे देना होता है दे देते हैं।
एक जमाने में घर के बिलों का भुगतान अपने आपमें एक काम होता था, इसके लिए अलग से समय निकालना पड़ता था। सजग रहना पड़ता था, लेकिन अब इस सबकी कोई जरूरत नहीं है। दिन रात जब दिल में आये, जब याद आये पेमेंट कर दो। यूपीआई से किसी को पेमेंट करने में एक फायदा यह भी है कि लंबी चौड़ी  बैंक डिटेल भी भरने की जरूरत नहीं पड़ती। इससे हमारा समय बचता है और गलतियां होने के खतरे भी कम होते हैं। यूपीआई द्वारा भुगतान करने करने या पाने का एक फायदा यह है कि यह पेमेंट कहीं इधर उधर नहीं जाता, सीधे उस व्यक्ति के बैंक खाते में जाता है, जिसे हमें देना होता है या हमारे बैंक के खाते में आता है, जहां से हमें पाना होता है। इसके कारण लेनदेन की धोखाधड़ी भी अब संभव नहीं है। कोई व्यक्ति यह नहीं कह सकता कि मैंने तो पेमेंट दे दिया है, तुम्हें मिला नहीं तो मैं क्या करूं? सबसे बड़ी बात यह है कि यूपीआई के जरिये पेमेंट करना और हासिल करना दोनों बहुत सरल और बहुत सिक्योर हैं और अभी तक के अनुभवों से कहा जा सकता है कि इसका दुरुपयोग भी नहीं किया जा सकता। यही वजह है कि भुगतान करने या पाने के मामले में भारतीयाें के सिर चढ़कर बोल रहा है यूपीआई का जादू।
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