सम्पूर्ण स्वच्छता नीतियों को लागू करने में अग्रणी है भारत


विश्व शौचालय दिवस मनाना, एक असामान्य अवसर की तरह लग सकता है, लेकिन यह बहुत से लोगों के लिए स्वास्थ्य और स्वच्छता सुनिश्चित करने के सन्दर्भ में महत्वपूर्ण है। शौचालय के लिए समर्पित दिन, वैश्विक स्वच्छता संकट को रेखांकित करता है, जो सुरक्षित रूप से प्रबंधित शौचालय की सुविधा के बिना रह रहे दुनिया भर के लाखों लोगों को प्रभावित करता है। स्वच्छ व सुरक्षित शौचालयों के बिना मानव अपशिष्ट समुदायों के खाद्य और जल स्रोतों को प्रदूषित करते हैं, जिससे लोग बीमारी की चपेट में आ जाते हैं और कुछ मामलों में तो लोगों की मृत्यु भी हो जाती है। गंभीर रूप से प्रभावित क्षेत्रों में डायरिया से सबसे अधिक मौतें होती हैं। पुरुषों और महिलाओं पर समान रूप से इस व्यापक प्रथा के हानिकारक प्रभावों के बावजूद, अपर्याप्त स्वच्छता महिलाओं के लिए एक बड़ी समस्या है तथा इसके कारण महिलाओं में शर्मिंदा होने की संभावना अधिक होती है। शौचालय सुविधाओं की कमी के कारण महिलाओं के लिए मासिक धर्म और गर्भावस्था को अकेले में प्रबंधित करना अक्सर असंभव होता है, या उन्हें ऐसा करने के लिए अंधेरा होने का इंतजार करना पड़ता है, जो उन्हें अनजाने हमलों के प्रति कमजोर बनाता है।     
विश्व स्तर पर 3.6 बिलियन लोगों के पास स्वच्छता की सुरक्षित सुविधा नहीं है। इस तथ्य के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए, विश्व शौचालय दिवस, 2013 से हर साल 19 नवम्बर को मनाया जाता है। यह वैश्विक स्वच्छता संकट से निपटने के लिए कार्रवाई करने और ‘सतत विकास लक्ष्य 2030 तक सभी के लिए स्वच्छता और जल’ की उपलब्धि हासिल करने से सम्बंधित है। 2022 का अभियान ‘अदृश्य को दृश्य बनाना  ‘मेकिंग द इनविजिबल विजिबल’ इस बात की पड़ताल करता है कि कैसे अपर्याप्त स्वच्छता प्रणालियां मानव अपशिष्ट को नदियों, झीलों और मिट्टी में फैलाती हैं तथा भूमिगत जल संसाधनों को प्रदूषित करतीं हैं हालाँकि, यह समस्या खुली आँखों से दिखाई नहीं देती है। यह अदृश्य है, क्योंकि यह भूमिगत होता है। यह अदृश्य है, क्योंकि यह सबसे गरीब और सबसे कमजोर समुदायों में होता है।
विश्व शौचालय दिवस 2022 की थीम इस बात को रेखांकित करती है कि मानव अपशिष्ट प्रदूषण से भूजल को बचाने के लिए सुरक्षित स्वच्छता महत्वपूर्ण है क्योंकि दुनिया सभी के लिए सुरक्षित शौचालय सुनिश्चित करना के लक्ष्य को पूरा करने के लिए गंभीरता से काम नहीं कर रही है। संयुक्त राष्ट्र ने इस लक्ष्य को 2030 तक हासिल करने के लिए सरकारों से चार गुना तेजी से काम करने का आह्वान किया है। यह कहा जा रहा है कि भारत में नीति-निर्माताओं के रूप में, हमने स्वच्छता और भूजल के बीच संबंध और इस महत्वपूर्ण जल संसाधन की सुरक्षा की पूरी तरह से पहचान की है। इसलिए यह बताते हुए गर्व हो रहा है कि भारत ने 2019 में यानि 2030 के लक्ष्य के निर्धारित समय से 11 साल पहले ही एसडीजी 6.2 का लक्ष्य हासिल कर लिया है। 11 करोड़ से अधिक व्यक्तिगत शौचालयों तथा 2.18 लाख सामुदायिक स्वच्छता परिसर के निर्माण के साथ, भारत में प्राथमिक स्वच्छता सुविधा (बेहतर स्वच्छता सुविधाएं, जो अन्य परिवारों के साथ साझा नहीं की जाती हैं) का उपयोग करने वाले लोगों का प्रतिशत 2020 में दक्षिण पूर्व एशिया के 63 प्रतिशत की तुलना में 67 प्रतिशत था।
सम्पूर्ण स्वच्छता और ओडीएफ  प्लस भारत की परिकल्पना की दिशा में हमारे प्रयास इस तथ्य पर आधारित हैं कि जल और स्वच्छता अवसंरचना. बहुआयामी सकारात्मक प्रभाव पैदा करती है, जिसे हितधारक को अतिरिक्त लाभ के रूप में दिखाया जा सकता है। ये बहुआयामी सकारात्मक प्रभाव, हितधारकों के लिए एसबीएम (जी) में अपना समय और ऊर्जा निवेश करने की दृष्टि से काफी आकर्षक हैं, जैसे जल जनित रोगों डायरिया, हैजा, टाइफाइड, पेचिश और हेपेटाइटिस  से रुग्णता और मृत्यु दर में महत्वपूर्ण कमीय अधिक किफायती जल आपूर्ति  स्थानीय आर्थिक विकास में वृद्धि, भूजल प्रदूषण में कमी, पास के जलभरों की पुनर्भरण स्थिति में सुधार और कृषि तथा अन्य औद्योगिक उद्देश्यों के लिए उपचारित जल का पुन:उपयोग। एक कार्यशील स्वच्छता प्रणाली के स्वास्थ्य और पर्यावरण से जुड़े लाभ स्पष्ट हैं तथा कुछ दूरगामी फायदे भी होते हैं। संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, प्राथमिक स्वच्छता में निवेश किये गए प्रत्येक 1 डॉलर से, चिकित्सा लागत और उत्पादकता वृद्धि के रूप में 5 डॉलर वापस मिलते हैं। इसके अलावा, जब सावधानीपूर्वक प्रबंधन किया जाता है तो अपशिष्ट जल, समग्र कल्याण, स्वास्थ्य, जल व खाद्य सुरक्षा एवं सतत विकास में योगदान देकर कुछ आश्चर्यजनक आर्थिक लाभ प्रदान करने में सक्षम हो सकता है।
निवेश की बात पर मेरा ध्यान भारत में जल और स्वच्छता के क्षेत्र में अभिनव सार्वजनिक निजी व्यवस्थाओं की ओर जाता है। ये सार्वजनिक निजी भागीदारी मॉडल समुदायों, महिलाओं और कार्यान्वयन एजेंसियों के बीच सहयोग पर ध्यान केंद्रित करते हैं, ताकि सुरक्षित पेयजल और बेहतर स्वच्छता उपलब्ध कराई की जा सके तथा स्वच्छता और व्यक्तिगत कल्याण के बारे में महिलाओं को शिक्षित किया जा सके। हालांकि कॉरपोरेट और ग्रामीण डब्ल्यूएएसएच (वॉश) साझीदार फोरम के साथ हमारी ‘लाइटहाउस पहल’, जिसमें सभी विकास क्षेत्रों से जुड़ी संस्थाएं शामिल हैं। हम देश के सभी गांवों के लिए ओडीएफ  प्लस का दर्जा हासिल करने से संबंधित सभी प्रयासों को सुव्यवस्थित कर रहे हैं। जैसा कि मैं अक्सर कहती हूं, देश के वॉश लक्ष्य महत्वाकांक्षी हैं, लेकिन उन्हें हासिल करने के प्रयासों को मजबूत राजनीतिक इच्छाशक्ति, पर्याप्त धन और सभी हितधारकों के बीच साझेदारी का समान रूप से समर्थन प्राप्त है।
हमारे प्रधानमंत्री के दूरदर्शी नेतृत्व में हम देश में संपूर्ण स्वच्छता की दिशा में हर संभव प्रयास कर रहे हैं। आपको भी अपना प्रयास जरूर करना चाहिए, आप इस मुद्दे के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त करें और अपने देश के स्वच्छता आंदोलन में योगदान देने के लिए ज्ञान का प्रसार करने और कार्रवाई करने के प्रयास में अवश्य शामिल हों।   
-सचिव, पेयजल और स्वच्छता विभाग 
जल शक्ति मंत्रालय, भारत सरकार