दुलत्ती लाल की दुलत्ती


दुलल्ती लाल मोटा ताजा गधा था। वह बहुत मेहनती था। उनकी जमीन पंजाबी जंगल में थी। वह अपनी जमीन में कड़ी मेहनत और लगन से काम करता था। उनके परिवार में पत्नी चंपा गधी और उनका ढेंचू लाल नाम का एक पुत्र था। उनका पुत्र ढेंचू लाल अपने पिता की तरह एक विनम्र और मेहनती कामा था। हर साल उनकी भरपूर फसल होती थी। अपनी मेहनत के दम पर उन्होंने पंजाबी जंगल में एक घर भी बना लिया था। उनके आलीशान घर को देखकर जग्गू सियार और कालू भेड़िये को बहुत दुख होता था। वे खुद तो मेहनत करते नहीं थे, लेकिन दूसरों को मेहनत करते देख जल भुन जाते थे। इस कारण वे हमेशा दुलल्ती लाल और उनके पुत्र पर क्रोधित रहते थे। मौका मिलते ही वे उनका कुछ न कुछ नुकसान करने की योजना बना लेते थे। एक दिन पास के जंगल से चेतन नाम का एक तेंदुआ जग्गू सियार और कालू भेड़िये के पास आया। वह एक तस्कर था। वह कई तरह के नशीले पदार्थों अफीम, पोस्त, चिट्टा और शराब की तस्करी का धंधा करता था। उसने आकर जग्गू और कालू को तस्करी के धंधे में अपना साझीदार बनने के लिए कहा। चेतन की बात ने जग्गू और कालू का मन मोह लिया। उन आलसी लोगों को लगा कि यह धंधा ठीक है। हम इस धंधे में खूब दौलत कमाएंगे और साथ ही दुलल्ती लाल के बेटे ढेंचू लाल गधे को नशे का आदी बना देंगे। एक पंथ दो काज हो जाएगा! दोनों चेतन चीता के साथ तस्करी के काम में जुड़ गए और ड्रग्स का अवैध धंधा शुरू कर दिया।
पास के जंगल से चेतन तेंदुआ रात में अफीम, पोस्त, शराब और सफेद नशीला पाउडर पंजाबी जंगल में पहुंचाता था। बाद में जग्गू और कालू पंजाबी जंगल के निवासियों को ये ही नशे बेचते थे। जंगल के कई युवा जानवर नशे के आदी हो गए। जंगल के जवान नशेड़ी होकर मरने लगे। कई जगह जंगल के युवक नशे की हालत में बेहोश पड़े मिलते थे! कभी-कभी नशीली दवाओं की ओवरडोज के कारण जंगल के जानवर और पक्षी लिवर और गुर्दों की गंभीर बीमारियों से पीड़ित हो जाते थे। जंगल में कोहराम मच गया। किसी की कोई सुनवाई नहीं हो रही थी। सभी बुद्धिमान जानवर और पक्षी चिंतित थे। ड्रग्स का मास्टरमाइंड कौन है? किसी को  ठीक से अंदाजा नहीं था। कुछ जंगल वासी जग्गू और कालू को असल अपराधी मानते थे। जग्गू और कालू ने दुलल्ती लाल के पुत्र ढेंचू लाल को नशे की लत लगाने की बहुत कोशिश की, लेकिन वह एक बुद्धिमान गधा था। वह उनके झांसे में नहीं आया। इसके बजाय उसने अपने पिता दुलल्ती लाल को सारा मामला बताया! दुलल्ती लाल ने थानेदार भालू राम के पास उन दोनों की शिकायत लगाकर जग्गू और कालू को जेल भिजवा दिया। दूसरी ओर जग्गू और कालू की गिरफ्तारी से  चेतन  तेंदुआ को बहुत दुख हुआ। जेल जाने के कारण उसका धंधा ठप हो गया था। चेतन तेंदुआ को यह भी पता चल गया था कि दुलल्ती लाल और उसके बेटे ढेंचू लाल ने ही दोनों को गिरफ्तार करवाया था। चेतन चीता ने पिता और पुत्र दोनों से बदला लेने का फैसला कर लिया। मौका देखकर एक दिन दोपहर में वह दुलल्ती लाल के खेत में पहुंच गया। उसने दुलल्ती को कहीं नहीं देखा, लेकिन उनके पुत्र ढेंचू लाल को एक पेड़ की छाया के नीचे विश्राम करते देख लिया। उसे देखकर चेतन गुस्से से दहाड़ उठा, जग्गु और कालू को गिरफ्तार करवाने वाले  ढेंचुआ! ‘आज तुम्हारा आखिरी समय आ गया है! आज तुम्हारा पिता दुलल्ती लाल तुम्हारी मौत पर बेबसी के आंसू बहाएगा! कोई उसके आंसू पोछने भी नहीं आएगा!’ यह कहकर चेतन दाँत पीसते हुए ढेंचू की ओर बढ़ा।
लेकिन यह क्या? अचानक पड़ी दुलल्ती से चेतन बड़ी दूर जा गिरा। उसकी आँखों के आगे अँधेरा छा गया। उसे दिन में टिमटिमाते तारे दिखाई देने लगे थे। थोड़ी देर बाद होश आने पर उसने देखा कि यह तो दुलल्ती गधा ही था जिसने उसे दुलल्ती मारी थी। वह मकई के खेत में बैठकर खेत की गुडाई कर रहा था। इसलिए चेतन को दुलल्ती  लाल पहले दिखाई नहीं दिया था। ढेंचू को अकेला देखकर चेतन ने उस पर हमला करने की हिम्मत की थी। 
उसे क्या पता था कि दुलल्ती लाल अचानक फिल्मी अंदाज में परगट हो जायेगा। चेतन एक ही दुलल्ती से घायल हो गया था। उसके पैर में चोट आई है। वह भाग नहीं पा रहा था। दुलल्ती लाल और उसके पुत्र ढेंचू लाल ने उसे पकड़कर एक पेड़ से बांधकर थानेदार भालू राम के हवाले कर दिया। भालू राम ने चेतन को अपने दो साथियों जग्गू और कालू के साथ ही जेल में बंद कर दिया। अब वह तीनों जेल में बैठकर अपनी करनी पर पछता रहे थे।
मो. .9654036080