अंधेरे में हमें रंग दिखाई क्यों नहीं देते ?

 

‘दीदी, अंधेरे में हमें रंग दिखाई क्यों नहीं देते?’
‘इसके जवाब से पहले कुछ लाइट के बारे में जान लो।’
‘जी, बताएं।’
‘सूर्य या किसी भी अति गर्म स्त्रोत से जो लाइट निकलती है वह सफेद लाइट होती है। लेकिन जैसा कि न्यूटन ने सबसे पहले दिखाया कि सफेद लाइट वास्तव में सभी रंगों की लाइट का मिश्रण होती है। इसलिए जब लाइट की बीम को एक ग्लास प्रिज्म से पास कराया जाता है तो इन्द्रधनुष के सभी रंग दिखाई देते हैं - लाल, ऑरेंज, पीला, हरा, नीला व वायलेट। हर शेड आहिस्ता से बिना टूटे दूसरे में ब्लेंड कर जाता है।’
‘शायद रंग के इसी फैलने को स्पेक्ट्रम कहते हैं।’
‘तुमने सही कहा। यह रंग सनलाइट में मौजूद होते हैं, लेकिन प्रिज्म में किरणवक्रता के कारण फैल जाते हैं। हर रंग थोड़ा अलग-अलग मात्रा में वक्र होता है, सबसे कम लाल और सबसे कम वायलेट।’
‘यह रंगों का फैलना क्या कहलाता है?’
‘इसे डिसपरजन या अपकिरण कहते हैं। बिना डिसपरजन के मिश्रण आंख को सफेद प्रतीत होता है।’
‘लेकिन रंग तो लाइट की वेवलेंथ से तय होता है, जैसे पानी में तैर रही एक लहर की उठान व दूसरी लहर की उठान के बीच जो फासला होता है।’
‘हां। दिखाई देने वाली सबसे छोटी लाइट की लहर वायलेट की होती है और सबसे लम्बी लाल की। लेकिन अपने इर्दगिर्द जो हम अधिकतर रंग देखते हैं वह एक वेवलेंथ के नहीं होते, बल्कि अनेक वेवलेंथ का मिश्रण होते हैं। जब सफेद लाइट किसी वस्तु पर पड़ती है तो कुछ वेवलेंथ प्रतिविम्बित होती हैं और बाकी पदार्थ में हज़म हो जाती हैं। मसलन, लाल कपड़े का टुकड़ा लगभग सभी वेवलेंथ को हजम कर जाता है, सिवाए कुछ लाल रेंजों के। सिर्फ यही हमारी आंख में प्रतिविम्बित होती हैं और हमें कपड़ा लाल दिखाई देता है।’
‘तो रंग लाइट का गुण है।’
‘हां। लाइट से अलग उसका अस्तित्व नहीं है, इसलिए अंधेरे में हमें रंग दिखाई नहीं देते। हमारी सारी रंग संवेदना हमारी आंखों में प्रवेश करने वाली लाइट किरणों से उत्पन्न होती है। सभी चीज़ें प्रतिविम्बित लाइट से दिखाई देती हैं, और वह जो रंग दिखाती हैं उनका अस्तित्व लाइट में होता है न कि ऑब्जेक्ट या वस्तु में।’
-इमेज रिफ्लेक्शन सेंटर