जेलों के भीतर बढ़ती अव्यवस्था


देश की राजधानी दिल्ली की तिहाड़ जेल में एक प्रभावशाली राजनीतिज्ञ और दिल्ली की ‘आप’ सरकार के एक प्रमुख मंत्री रहे सत्येन्द्र जैन को मिल रही आम कैदियों से अतिरिक्त विशेष सुविधाओं एवं जेल स्टाफ द्वारा नियमों के विपरीत जा कर उनके प्रति दर्शाये जा रहे विशेष व्यवहार ने एक ओर जहां जेलों के भीतर की अव्यवस्था की ओर जन-साधारण का ध्यान आकर्षित किया है, वहीं देश में आम और विशेष आदमी के बीच भिन्न-भिन्न प्रकार का व्यवहार किये जाने की व्यवस्था का चेहरा भी बेनकाब किया है। सत्येन्द्र जैन को मिल रही विशेष सुविधाओं के संदर्भ में एक ओर जहां देश के विपक्षी दल भाजपा और कांग्रेस दिल्ली की ‘आप’ सरकार और खासकर आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय सुप्रीमो अरविन्द केजरीवाल को आड़े हाथों ले रहे हैं, वहीं सत्तारूढ़ ‘आप’ के प्राय: सभी नेताओं द्वारा सत्येन्द्र जैन का पक्ष-पोषण करने और उन्हें दी जा रही विशेष सुविधाओं की पर्दादारी किये जाने हेतु प्रत्येक तरह के हरबे और हथकंडे को प्रयुक्त किया जा रहा है। इसके लिए सत्येन्द्र जैन को बीमार घोषित किये जाने और यहां तक कि उनके धर्म और उनकी आस्था की आड़ लेकर देश की धर्म-निरपेक्षता के धरातल पर एक नई प्रथा भी स्थापित कर दी गई है। इस स्थिति को ज़ाहिर करते चित्रों और वीडियोज़ में जबकि यह साफ-साफ दिखाई दे रहा है कि न केवल पूर्व मंत्री घृणित श्रेणी के एक कुख्यात अपराधी कैदी से मालिश करवा रहे हैं, अपितु दूसरे चित्र में वह सूखे मेवे, फल और कच्ची सलाद-सब्ज़ियों का सेवन करते हुए भी दिखाई दे रहे हैं। देश की जेलों के भीतर कैदियों और उनके साथ जेल प्रशासन की ओर से किये जाते व्यवहार को देख कर साफ तौर पर पता चलता है कि जेलों के भीतर दो-दो हिन्दुस्तान देखे और महसूस किये जा सकते हैं। 
सत्येन्द्र जैन मंत्री पद पर रहते हुए आय से अधिक सम्पत्ति अर्जित करने और मनी-लान्डिं्रग जैसे वित्तीय अपराधों के अन्तर्गत इन दिनों तिहाड़ जेल में बंद हैं। उनकी गिरफ्तारी पर ‘आप’ नेताओं ने केन्द्र सरकार और खास तौर पर भाजपा पर राजनीतिक बदलाखोरी करने और आम आदमी पार्टी को बदनाम करने का षड्यन्त्र करार दिया था, किन्तु जैन के विरुद्ध आरोपों के उपलब्ध प्रमाणों ने जेल में रहने की उनकी अवधि के बढ़ने की तमाम सम्भावनाएं सामने ला खड़ी की हैं। लेकिन चूंकि दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार है, अत: सत्येन्द्र जैन को जेल के भीतर तमाम तरह की सुविधाएं एवं सहूलियतें प्रदान किये जाने की व्यवस्था करने हेतु केजरीवाल सरकार प्रत्येक उपलब्ध एवं सम्भव तरीका इस्तेमाल कर रही है। पिछले एक-डेढ़ मास में तिहाड़ जेल में बंद सत्येन्द्र जैन को विशेष सुविधाएं दिये जाने के चार वीडियो बाहरी दुनिया में सामने आए हैं।  इन सुविधाओं को लेकर आम आदमी पार्टी और भाजपा के बीच आरोप-प्रत्यारोपों को एक ओर कर दें, तो भी तस्वीर का दूसरा पक्ष यह भी है कि धुआं यदि इतना गहरा हुआ है, तो आग भी अवश्य कहीं लगी होगी। दिल्ली की ‘आप’ सरकार की पेशानी पर इसलिए भी बल पड़ना स्वाभाविक है कि, एक तो ये वीडियोज़ जेल के भीतर से ही तैयार और जारी किये गये हैं, दूसरे यह भी कि स्वयं जेल प्रशासन के अधिकारियों ने इन वीडियोज़ की पुष्टि की है। ‘आप’ नेताओं ने इन आरोपों को गुजरात चुनावों में ‘आप’ की सम्भावनाओं को प्रभावित करने हेतु भाजपा का एक हथकण्डा करार दिया है, किन्तु इस एक घटना से यह भी प्रकट होता है कि राजनीति के हमाम में सभी एक समान नंगे हैं, और कि आम आदमी पार्टी के भिन्न दृष्टिकोण वाली पार्टी होने का दावा पूर्णतया निर्मूल है। 
जहां तक देश की जेलों के भीतर की दुरावस्था की बात है तो जेलों के भीतर गैंगस्टरों, माफियाओं और गम्भीर किस्म के अपराधियों की मनमज़र्ी का सिक्का चलता है। जेलों के भीतर से बाकायदा बाहरी दुनिया के आपराधिक साम्राज्य का संचालन करते हैं जबकि राजनीतिक बंदी जेलों के भीतर से अपनी पारिवारिक राजनीतिक विरासत को सम्भाले रखते हैं। ऐसे में सत्येन्द्र जैन को लेकर सोशल मीडिया पर वायरल हुई वीडियोज़ और समाचार पत्रों में प्रकाशित समाचार और चित्र पूर्णतया झूठ और राजनीतिक बदलाखोरी तो कदापि नहीं हो सकते। जेलों में बंद होने वाले राजनीतिज्ञों खास तौर पर सत्तारूढ़ अथवा गुट के नेताओं को राजनीतिक संरक्षण और सामाजिक धरातल की अतिरिक्त सुविधाएं मिलने की यह घटना भी कोई अकेली अथवा अनोखी नहीं है। इससे पूर्व भी जेलों में बंद होने वाले राजनीतिज्ञों से विशेष सुविधाजनक व्यवहार की घटनाएं प्रकाश में आती रही हैं। राष्ट्रीय जनता दल के सुप्रीमो और बिहार के मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव का उदाहरण स्थिति को स्पष्ट कर देने के लिए काफी है। पंजाब की एक जेल में राजनीतिक संरक्षण में बाहरी राज्य के एक गैंगस्टर को संरक्षण और सुविधाएं दिये जाने की बात भी अभी दूर का किस्सा नहीं हुआ है। जेलों की दुरावस्था की स्थिति का पता इस एक तथ्य से भी चल जाता है कि जेल-बंद गैंगस्टरों और माफियाओं को मोबाइल फोन और नशीले पदार्थ चोरी-छिपे प्रदान करने पर जेल के एक डिप्टी सुपरिटैंडैंट को हाल ही में गिरफ्तार भी किया गया है।
हम समझते हैं कि नि:सन्देह इस एक घटना से देश के सामाजिक और राजनीतिक धरातल पर गलत संदेश गया है। जेल के भीतर दुष्कर्म जैसे घृणित आरोप के तहत बंदी एक शख्स से एक ज़िम्मेदार पद पर रहे राजनीतिक बंदी द्वारा मालिश कराया जाना कानून और नैतिकता, दोनों धरातल पर गम्भीर अपराध है। इस हेतु उक्त राजनीतिक बंदी के अतिरिक्त जेल प्रशासन भी उतना ही उत्तरदायी है। हम समझते हैं कि जेलों में आजकल जैसी दुरावस्था है, उसे रोकने हेतु जेलों के भीतर अनुशासन, कानून व्यवस्था एवं अन्य प्रकार के सुधार लाये जाने की बड़ी ज़रूरत है। इस हेतु जेलों के भीतर की इस प्रकार की असमानता और भेदभावपूर्ण व्यवहार को दर्शाती स्थितियों पर अंकुश लगाना बहुत ज़रूरी होगा।