असम-मेघालय नहीं, कई राज्यों के बीच है सीमा विवाद 

असम और मेघालय की सीमा पर फिर हुए खूनी टकराव में 06 लोगों की मृत्यु हो गई। मृतकों में असम का एक फारेस्ट गार्ड भी था। सीमा से सटे जंगल से कुछ लोग ट्रक से तस्करी करके लकड़ी ले जा रहे थे। असम पुलिस और फॉरेस्ट विभाग द्वारा उन्हें पश्चिम जयन्तिया हिल्स के मुकरोह में रोका गया तो फायरिंग शुरू हो गई। चूंकि मरने वालों में 5 मेघालय के हैं, लिहाजा जैसे ही यह खबर फैली, मेघालय के 7 जिलों में हिंसा फैल गई। यह मामला दोनों राज्यों के सीमा विवाद से भी जुड़ा है जिसे लेकर अक्सर ऐसी वारदातों में दोनों राज्यों के बीच तनाव फैल जाता है और हिंसा भी हो जाती है। असम का पड़ोसी राज्यों से सीमा विवाद 150 सालों से ज्यादा पुराना है। इसे लेकर उसका अक्सर पड़ोसी राज्यों से विवाद होता रहा है। इससे पहले पिछले साल 26 जुलाई को असम और मिज़ोरम के बीच खूनी सीमा विवाद संघर्ष देखने को मिला था। तब मिज़ोरम पुलिस और असम पुलिस आपस में ही भिड़ गईं थीं।
असम और मेघालय के बीच अंतर्राज्यीय सीमा के 12 इलाकों में लम्बे समय से विवाद चल रहा है। दोनों पूर्वोत्तर राज्यों ने इनमें से छह इलाकों में विवाद को खत्म करते हुए इसी साल समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए थे। दोनों ने बाकी के छह इलाकों में विवाद को हल करने के लिए बातचीत भी शुरू की। मेघालय को असम से अलग कर 1972 में स्थापित किया गया था। उसने असम पुनर्गठन कानून 1971 को चुनौती दी। समझौते के बावजूद सीमा को लेकर विवाद थमा नहीं है। यह घटना उसी से जुड़ी है जिसमें दोनों राज्य दावा कर रहे हैं यह उनका इलाका है। असम की सीमा 6 राज्यों से सटी है और इन सभी से उसके सीमा विवाद हैं। इसमें कोई शक नहीं कि एक ज़माने में असम पूर्वोत्तर का सबसे बड़ा राज्य था। इसका पुनर्गठन भी हुआ तो अनेक विवाद सामने आए। इसे लेकर कुछ समझौते भी हुए लेकिन इसके बाद भी विवाद थमे नहीं हैं। इन 6 पड़ोसी राज्यों में त्रिपुरा, मेघालय, मिज़ोरम, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर और नगालैंड शामिल हैं ।
दरअसल असम-मिज़ोरम के बीच यह विवाद 1875 की एक अधिसूचना से उपजा, जो लुशाई पहाड़ियों को कछार के मैदानी इलाकों से अलग करता है। मिज़ोरम पहले 1972 तक असम का ही हिस्सा था। यह लुशाई हिल्स नाम से असम का एक ज़िला हुआ करता था जिसका मुख्यालय आइज़ोल था।  तब इसकी मिज़ो आबादी और लुशाई हिल्स का क्षेत्र निश्चित था। इसी क्षेत्र को 1875 में ब्रिटिश राज में चिन्हित किया गया था। मिज़ोरम की राज्य सरकार इसी के मुताबिक अपनी सीमा का दावा करती है, किन्तु असम सरकार यह नहीं मानती है। असम सरकार 1933 में चिन्हित की गई सीमा के मुताबिक अपना दावा करती है। इन दोनों माप में काफी अंतर है। विवाद की असली जड़ एक-दूसरे पर ओवरलैप 1318 वर्ग किलोमीटर का हिस्सा है, जिस पर दोनों सरकारें दावा छोड़ने को तैयार नहीं हैं। 
असम के साथ साझी की जाने वाली मिज़ोरम की सीमा पर उसके तीन ज़िले आइज़ोल, कोलासिब और ममित आते हैं। वहीं, इस सीमा पर असम के कछार, करीमगंज और हैलाकांदी ज़िले भी हैं। पिछले साल अक्तूबर में असम के कछार ज़िले के लैलापुर गांव के लोगों और मिज़ोरम के कोलासिब ज़िले के वैरेंगते के पास स्थानीय लोगों के बीच सीमा विवाद को लेकर हिंसक संघर्ष हुआ था। तब 8 लोग इसमें घायल हुए थे। वैसे सीमा को लेकर असम का विवाद केवल मिज़ोरम से नहीं बल्कि मेघालय, अरुणाचल प्रदेश और नागालैंड से भी है लेकिन बड़ा विवाद मिज़ोरम से ही है। गौरतलब है कि इस सीमा विवाद को सुलझाने की कोशिश 1955 से हो रही है। सीमा पर जब से लोगों के बसने की गति बढ़ी है, तब से यह विवाद भी ज्यादा हो गया है। 
तथापि देश में अकेले असम-मेघालय के बीच ही नहीं, कई राज्यों के बीच भी है सीमा विवाद। दो उत्तरी राज्यों हरियाणा और हिमाचल प्रदेश में परवाणू क्षेत्र को लेकर सीमा विवाद है, जो हरियाणा के पंचकूला जिले के बगल में स्थित है। हरियाणा ने क्षेत्र की भूमि के एक बड़े हिस्से पर दावा किया है और पहाड़ी राज्य पर अपने कुछ क्षेत्र का अतिक्रमण करने का आरोप लगाया है। केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख और हिमाचल दोनों सरचू पर दावा करते हैं, जो लेह-मनाली राजमार्ग से यात्रा करने वालों के लिए एक प्रमुख पड़ाव बिंदु है। यह क्षेत्र हिमाचल प्रदेश के लाहौल और स्पीति जिले और लद्दाख के लेह जिले के बीच स्थित है। देश में शायद सबसे बड़ा सीमा विवाद बेलगाम जिले को लेकर महाराष्ट्र और कर्नाटक के बीच है। बेलगाम में मराठी और कन्नड़ दोनों भाषी लोगों की एक बड़ी आबादी है और दोनों राज्यों ने अतीत में इस क्षेत्र के लिए लड़ाई लड़ी है। यह क्षेत्र अंग्रेज़ों के समय से बॉम्बे प्रेसीडेंसी का हिस्सा हुआ करता था, लेकिन 1956 में राज्यों के पुनर्गठन के अभ्यास के बाद कर्नाटक में शामिल किया गया था। 
असम अरुणाचल प्रदेश के साथ अंतर्राज्यीय सीमा साझा करता है। 1987 में बनाए गए अरुणाचल प्रदेश राज्य का दावा है कि पारम्परिक रूप से इसके निवासियों की कुछ भूमि असम को दे दी गई है। एक त्रिपक्षीय समिति ने सिफारिश की थी कि कुछ क्षेत्रों को असम से अरुणाचल में स्थानांतरित कर दिया जाए। दोनों राज्य तब से इस मुद्दे को लेकर सुप्रीम कोर्ट में लड़ाई लड़ रहे हैं। सीमा विवाद में कई बार हिंसा भी हो चुकी है। असम-नगालैंड में 1963 में नागालैंड के गठन के बाद से दोनों राज्यों के बीच सीमा विवाद चल रहा है। दोनों राज्य असम के गोलाघाट जिले के मैदानी इलाकों के बगल में एक छोटे से गांव मेरापानी पर दावा करते हैं। 1960 के दशक से इस क्षेत्र में हिंसक झड़पों की खबरें आती रही हैं।
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