बच्चें के साथ लाल-नीले लिटमस पेपर पर हुई खूब चर्चा


आवाज़ सुन कर पूरी कलास अपने पास बुलाने के लिए किसी के हाथ संदेश भेज दिया और साईंस की पक्की कापी किताब साथ लाने के लिए कह दिया। संदेश मिलते ही पूरी कलास मेरे पास दफ्तर के निकट आ गई। सभी बच्चे मेरे पास थोड़ा सा हट कर बैठ गये। सभी चुप थे। प्रत्येक बच्चे की तरफ ध्यान किया। बच्चे अब शांत थे। अभी तक किसी को भी कुछ नहीं कहा। उनको डर था कि शायद उनको डांट न पड़े। यह ही हो सकता। बेटा! आप दूर बैठे हो क्या बात है। एक बच्चे ने कहा जी डर लगता है। तभी मैंने कह दिया कि बेटा डरो नहीं। सभी खुश हो गये। सभी को पास बिठा लिया। एक बच्चे से सुंदर लिखाई वाली कापी ली और कुछ प्रश्न बच्चों के साथ सांझे करने का सिलसिला शुरू करने लगा। साईंस की कापी खोली और पहला प्रश्न था। तेज़ाब क्या है? बताओ बेटा। शाबाश बताओ। सोचो कहो। सभी सोचने लगे। एक बच्चे ने कहा कि सर! तेज़ाब नीले लिटमस को लाल करते हैं, स्वाद खट्टा होता है। इस बच्चे ने हौसले के साथ उत्तर दिया। जो कि सही था। और भी कई बच्चों ने इसी तरह सही जवाब दिया। राजे! अब बताओ खार क्या होते हैं? हां बई चक्क दो फट्टे। बताओ। जिसको आता है हाथ खड़े करें। कई बच्चों ने हाथ खड़े किये। फिर एक बच्चे की तरफ इशारा किया और उसने बताया कि खार, लाल लिटमस को नीला करते हैं, इनका स्वाद कड़वा होता है। आगे प्रश्न किया कि लिटमस पेपर कितना होता है? कई बच्चों ने अंगूठा और पहली अंगूली के बीच दूरी बनाकर अपने ढंग से बताया। उनका जवाब सही था। हां बेटा यह अपनी चीची की लम्बाई जितना होता है। यह कापी जैसा होता है। इस कापी में लिटमस पेपर लगे होते हैं। हां बेटा! मुझे भी लगा कि यह मेरे अध्यापकों की कड़ी मेहनत का परिणाम है जिन्होंने लिखित और प्रयोगी काम करवाया है। वह बच्चों में झलक रहा था। पढ़ाई के साथ-साथ महत्वपूर्ण कार्य भी मेरे अध्यापक करते हैं एक टीम की तरह काम करते हैं। जिन पर गर्व है। अब स्कूलों में प्रोजैक्टर, एल.ई.डी., आर.ओ.टी., ई-कम्टैंट, की सुविधा है। आर.ओ.टी. पर अलग-अलग कक्षाओं के पीरियड लगते हैं। पूरा स्कूल सी.सी.टी.वी. अधीन है। कार्यालय में ही हर गतिविधि का पता चलता रहता है। सारा काम कंट्रोल में रहता है। कई स्कूलों में ब्राडकास्टिंग सिस्टम भी लगे हुए हैं। शिक्षा विभाग ने स्कूलों को सुविधाएं देकर पढ़ाई का स्तर ऊंचा करने के लिए प्रशंसनीय मील पत्थर सिरजे हैं, जिससे विद्यार्थियों को बड़े स्तर पर लाभ मिलेगा और बच्चे अपने लक्ष्य पूरे करेंगे जिसका श्रेय शिक्षा विभाग को जाएगा।