यह है फूलों का शहंशाह  ब्रह्म कमल


ब्रह्म कमल सामान्य फूल नहीं है। न तो अपनी पौराणिकता के हिसाब से और न ही अपनी उपयोगिता के हिसाब से। उत्तराखंड का यह राज्य पुष्प है और हिमालय की चोटियों में इसकी शहंशाही फैली है। इसे दिव्य फूल माना जाता है। कई बार किसी पौधे में पूरे साल में एक ही फूल आता है और कई बार तो किसी पौधे में कई-कई सालों तक कोई फूल नहीं आता। इस फूल के साथ अनगिनत रहस्य जुड़े हुए हैं, लेकिन सबसे बड़ा रहस्य यह है कि यह आधी रात के बाद ही खिलता है और सुबह की पहली किरण के साथ ही मुरझाने लगता है। जैसे ही किरणें चौतन्य होती हैं, यह मुरझा चुका होता है। इस रहस्यमयी फूल के साथ जो पौराणिक कहानियां जुड़ी हैं, उनमें एक तो यही है कि भगवान शिव ने जिस फूल पर जल छिड़कर गणेश जी को जीवित किया था, वह कोई और नहीं यही ब्रह्म कमल था। इसलिए इस फूल को जीवन देने वाला फूल भी माना जाता है।
इसके साथ एक कहानी यह भी बहुत गंभीरता से जुड़ी है कि अगर किसी बीमार व्यक्ति के सिरहाने या पास में इस फूल को रख दें तो उसकी बीमारी दूर हो जाती है, वह स्वस्थ हो जाता है। शायद इसके पीछे इसकी औषधीय उपयोगिता बताने का तरीका हो। क्योंकि कहानियां अपनी जगह हैं लेकिन हकीकत यह है कि ब्रह्म कमल फूल की औषधीय उपयोगिताएं बेजोड़ हैं। यह बात कोई पंडित, पुजारी नहीं बल्कि वनस्पति और औषधि वैज्ञानिक कहते हैं। उत्तराखंड में पिंडारी से लेकर केदारनाथ तक इस फूल को खूब देखा जा सकता है। रूपकुंड, हेमकुंड, बृजगंगा और फूलों की घाटी में ब्रह्म कमल अपनी पूरी दमक के साथ मौजूद होता है। अमेजोन में 400 से लेकर 600 रुपये तक में बिकने वाला तथा कई दूसरी ऑनलाइन वेबसाइटों में इससे कुछ कम कीमत में उपलब्ध ब्रह्म कमल जितना धार्मिक, आध्यात्मिक और रहस्यवादियों को पसंद है, उससे भी कहीं ज्यादा यह वैज्ञानिकों और वनस्पति शास्त्रियों का भी पसंदीदा फूल है। इसका वैज्ञानिक नाम  सासेरिया ओबोवेलटा है। उत्तराखंड में कई जगहों पर इसकी बकायदा कॉमर्शियल खेती होती है, क्योंकि सिर्फ  धार्मिक वजहों से नहीं अपनी औषधीय विशेषताओं की वजह से इसकी मांग देश ही नहीं बल्कि विदेश में भी काफी ज्यादा है। इस फूल पर हाल के सालों में दुनिया के कई वनस्पति शास्त्रियों और संस्थानों ने शोध किए हैं और इसके गुणों को दुनिया के सामने उजागर किया है। सबसे बड़ी बात यह है कि यह फूल हर जगह उगाना संभव नहीं है। यह दुर्लभ फूल सिर्फ  भारतीय हिमालयी रेंज में ही मिलता है। इसीलिए इसे हिमालयी फूलों का राजा भी कहते हैं। दिखने में तो यह खूबसूरत है ही, चूंकि दुर्लभ है इसलिए इसके सौभाग्य के भी अनगिनत कहानियां जुड़ गई हैं। माना जाता है कि जो भी व्यक्ति इसे खिलते हुए देख लेता है, उसके जीवन में खुशियां कभी नहीं मुरझाती। ये फूल बहुत धीरे-धीरे खिलता है। इसकी देखरेख करने वालों के मुताबिक ब्रह्म कमल पूरी तरह से खिलने में कम से कम दो घंटे का समय ले लेता है।
पहाड़ों की देवी मां नंदा देवी का भी यह पसंदीदा फूल है। एक मान्यता यह है कि इसे नंदा अष्टमी को ही तोड़ा जाता है। जहां तक इसकी औषधीय खूबियों की बात है तो ब्रह्म कमल सर्दी, जुकाम, खांसी से लेकर यौन स्वास्थ्य तक को दुरुस्त रखता है। यह लिवर के लिए एक दुर्लभ टॉनिक है। यह लिवर पर फ्रीरेडिकल्स के हानिकारक प्रभावों को कम करने में मदद करता है। इससे तैयार सूप से शरीर में रक्त बढ़ता है। यह फूल यौन स्वास्थ्य को मैंटेन करने में भी मददगार होता है। यह बैक्टीरिया और फंगस के खिलाफ रोगाणुरोधी गुण रखता है। इसी वजह से यह जननांग के संक्रमण का इलाज करने में और अच्छे यौन स्वास्थ्य को बनाये रखने में मददगार होता है। 
अगर बुखार में इसका काढ़ा दिन में दो बार पी लिया जाए तो बुखार उतर जाता है। खांसी और सर्दी को दूर करने में यह शर्तियां तरीके से मददगार होता है। क्योंकि ब्रह्म कमल में एंटी इंफ्लेमेट्री और एंटी माइक्रोबियल गुण होते हैं, इस वजह से यह श्वसन मार्ग या रेस्पेरिट्री ट्रेक की होने वाली सूजन को कम करने में मदद करता है।
इससे सांप के काटने का इलाज भी होता है और मानसिक व हृदय के विकारों को भी यह दूर करता है। अपने अनंत औषधीय गुणों के कारण ही यह प्राचीनकाल में ऋषियों, मुनियों से लेकर आज के डॉक्टरों, वैज्ञानिकों और सौंदर्य प्रेमियों तक को बहुत भाने वाला फूल है। यह इतना लोकप्रिय और डिमांड वाला फूल है कि इन दिनों बाज़ार में नकली ब्रह्म कमल भी खूब मिलने लगे हैं। दरअसल असली और नकली के बीच का मुख्य फर्क यह है कि लोग 3000 से 5000 मीटर की ऊंचाई में उत्तराखंड में उगने वाले ब्रह्म कमल को ही असली फूल मानते हैं। लेकिन चूंकि इस फूल की देश और पूरी दुनिया में डिमांड है इस वजह से इसे कामर्शियल तरीके से सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश, भूटान, नेपाल, हिमाचल में कुल्लू आदि में भी उगाया जाता है। लेकिन जानकार मानते हैं कि जो खूबियां हिमालय के ऊपरी रेंज उत्तराखंड में उगने वाले ब्रह्म कमल में है, वो खूबियां बाकी जगहों के फूलों में नहीं है। लेकिन बाकी फूल भी कम उपयोगी नहीं है। उनमें भी वही सब गुण पाये जाते हैं जो असली या कहें कि उत्तराखंड के ब्रह्म कमल में पाये जाते हैं।
-इमेज रिफ्लेक्शन सेंटर