खतरों को लेकर चौकस है भारतीय नौसेना



भारतीय सशस्त्र बलों की समुद्री शाखा भारतीय नौसेना देश की सैन्य ताकत का बहुत अहम हिस्सा है, जो देश की समुद्री सीमाओं की रक्षा में बेहद महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। भारतीय नौसेना मुख्य रूप से तीन भागों (वेस्टर्न नेवल कमांड, ईस्टर्न नेवल कमांड तथा दक्षिणी नेवल कमांड) में बंटी है। वेस्टर्न नेवल कमांड का मुख्यालय मुंबई में, ईस्टर्न नेवल कमांड का विशाखापत्तनम में और दक्षिणी नेवल कमांड का कोच्चि में है। वेस्टर्न तथा ईस्टर्न कमांड ऑपरेशनल कमांड है, जो अरब सागर और बंगाल की खाड़ी को संभालती है जबकि दक्षिणी नेवल कमांड ट्रेनिंग कमांड है। वैसे भारतीय नौसेना के 11 से ज्यादा बेस हैं, जो अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, उड़ीसा, केरल, लक्षद्वीप, महाराष्ट्र, गोवा, कर्नाटक तथा गुजरात में मौजूद हैं। इनका मुख्य कार्य एम्यूनिशन सपोर्ट, लॉजिस्टिक्स, मेंटेनेंस सपोर्स, मार्कोस बेस, एयर स्टेशन, फारवर्ड ऑपरेटिंग बेस, सबमरीन, मिसाइल बोट बेस आदि है। केरल स्थित एझिमाला नौसेना अकादमी एशिया की सबसे बड़ी नौसेना अकादमी है। भारत के राष्ट्रपति भारतीय नौसेना के सुप्रीम कमांडर हैं। वॉइस एडमिरल रामदास कटारी 22 अप्रैल 1958 को भारतीय वायुसेना के पहले भारतीय चीफ बने थे। भारतीय नौसेना का नीति वाक्य है ‘शं नो वरूण:’ अर्थात् जल के देवता वरूण हमारे लिए मंगलकारी रहें।
नौसेना के जांबाजों को याद करते हुए प्रतिवर्ष 4 दिसम्बर को ‘भारतीय नौसेना दिवस’ मनाया जाता है, जो 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में भारतीय नौसेना की शानदार जीत के जश्न के रूप में मनाया जाता है। पाकिस्तानी हमले का मुहतोड़ जवाब देने के लिए भारतीय नौसेना ने ‘ऑपरेशन ट्राइडेंट’ चलाया था और पहली बार जहाज पर मार करने वाली एंटी शिप मिसाइल से हमला किया था। ऑपरेशन ट्राइडेंट की सफलता के बाद भारत-पाकिस्तान युद्ध में जीत हासिल करने वाली भारतीय नौसेना की शक्ति और बहादुरी को सलाम करने के लिए 4 दिसम्बर को भारतीय नौसेना दिवस मनाने की शुरूआत हुई। भारतीय नौसेना का कार्य भारत की समुद्री सीमाओं की सुरक्षा करना है और इसके गठन का इतिहास ब्रिटिश काल से जुड़ा है। ईस्ट इंडिया कम्पनी ने भारतीय नौसेना की स्थापना वर्ष 1612 में ब्रिटिश व्यापारियों के जहाजों की सुरक्षा के लिए ‘ईस्ट इंडिया कम्पनी मरीन’ के रूप में की थी और 1892 में इसका नाम ‘रॉयल इंडियन नेवी’ रखा गया। देश की आजादी के बाद 1950 में नौसेना का गठन फिर से किया गया और 26 जनवरी 1950 को भारत के लोकतांत्रिक गणराज्य बनने के बाद इसका नाम रॉयल इंडियन नेवी से बदलकर इंडियन नेवी (भारतीय नौसेना) कर दिया गया।
2022-23 का भारत का कुल रक्षा बजट करीब 5.25 लाख करोड़ है, जो 2021-22 के कुल रक्षा बजट 4.78 लाख करोड़ के मुकाबले करीब 10 फीसदी ज्यादा है। इस साल के रक्षा बजट में तीनों सेनाओं के नए हथियार, सैन्य साजो सामान और अन्य आधुनिकीकरण के लिए 1.52 लाख करोड़ कुल पूंजीगत व्यय रखा गया है, जो पिछले साल के 1.35 लाख करोड़ के मुकाबले करीब 12 फीसदी ज्यादा है। इस साल के पूंजीगत व्यय में थलसेना का हिस्सा 32015 करोड़, नौसेना का 47590 करोड़ तथा वायुसेना का 55586 करोड़ रखा गया है जबकि रिसर्च एंड डवलपमेंट के लिए 11981 करोड़ रुपये रखा गया है। डिफेंस कैपिटल बजट का 68 फीसदी स्वदेशी हथियारों को लिए आवंटित किया गया है। वैसे सैन्य ताकत के मामले में भारत दुनिया का चौथा सबसे शक्तिशाली देश है। भारत के अंतर्राष्ट्रीय संबंधों को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही भारतीय नौसेना भी वर्तमान में विशालकाय और एडवांस फीचर से लैस अपने युद्धक पोतों, सबमरीन्स इत्यादि के बलबूते दुनियाभर में चौथे स्थान पर है।
मौजूदा समय में भारतीय नौसेना की ताकत पर नज़र डालें तो भारतीय नौसेना के पास इस समय 300 एयरक्राफ्ट, 150 जंगी जहाज और सबमरीन, 4 फ्लीट टैंकर्स, एक माइन काउंटरमेजर वेसल, 24 कॉर्वेट्स और 15 अटैक सबमरीन हैं। इनके अलावा एक बैलिस्टिक मिसाइल सबमरीन, एक परमाणु ईंधन चलित अटैक सबमरीन, 14 फ्रिगेट्स, 10 डेस्ट्रॉयर्स, 8 लैंडिंग शिप टैंक्स, एक एंफिबियस ट्रांसपोर्ट डॉक, दो एयरक्राफ्ट कैरियर, कई छोटे पैट्रोल बोट्स भी नौसेना की ताकत हैं। इसी साल 2 सितम्बर को भारत का पहला स्वदेशी और अब तक का सबसे बड़ा अत्याधुनिक स्वचालित यंत्रों से युक्त एयरक्राफ्ट कैरियर -आईएनएस विक्रांत’ भारतीय नौसेना के जंगी बेड़े में शामिल होने के साथ ही भारत अमरीका, रूस, चीन, फ्रांस और इंग्लैंड के बाद विश्व का छठा ऐसा देश बन चुका है, जो अपनी स्वदेशी तकनीक से 40 हजार टन का भारी-भरकम और विशालकाय एयरक्राफ्ट कैरियर बनाने की क्षमता रखता है। भारतीय सेना के पास अब दो एयरक्राफ्ट कैरियर आईएनएस विक्रमादित्य तथा आईएनएस विक्रांत हैं। इसके अलावा भारतीय नौसेना में 75 हजार रिजर्व और 67252 एक्टिव जवान हैं।
ब्रह्मोस और बराक-8 जैसी घातक मिसाइलों से लैस स्टील्थ गाइडेड-मिसाइल विध्वंसक आईएनएस विशाखापत्तनम को 21 नवम्बर 2021 को नौसेना में कमीशन किए जाने से भी भारत की समुद्री ताकत काफी बड़ी है। आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत 75 फीसदी स्वदेशी उपकरणों से बनाया गया आईएनएस विशाखापत्तनम भारत में बने सबसे शक्तिशाली युद्धपोतों में से एक माना जाता है। यह गर्व की बात है कि हिन्द महासागर में ड्रैगन के कब्जे की रणनीति को नाकाम करने के लिए भारत अपनी समुद्री ताकत बढ़ाने के लिए लगातार विध्वंसक युद्धपोतों और पनडुब्बियों के निर्माण में लगा है। इसी कड़ी में आईएनस कलवरी, खंडेरी और आईएनएस करंज के बाद स्वदेशी पनडुब्बी आईएनएस वेला को भी नौसेना में शामिल किया जा चुका है, जो अत्याधुनिक मशीनरी और टैक्नोलॉजी के साथ-साथ घातक हथियारों से भी लैस है। इस सबमरीन को ‘साइलेंट किलर’ कहा जाता है, जो दुश्मन को उसकी मौत की भनक तक नहीं लगने देती।
हाल के वर्षों में अरब सागर और हिंद महासागर में चीन लगातार अपनी मौजूदगी बड़ा रहा है। हिंद प्रशांत क्षेत्र में तो चीन से मिलने वाली चुनौतियां निरंतर बड़ रही हैं। विगत तीन दशकों में चीन की पीलीए नेवी का आकार तीन गुना से भी ज्यादा बड़ चुका है और जंगी जहाजों की संख्या के मामले में पीएलए नेवी अब अमरीकी नौसेना की बराबरी कर रही है। सामरिक विशेषज्ञों का मानना है कि चीनी नौसेना हिंद महासागर क्षेत्र में और अधिक स्थायी उपस्थिति दर्ज कराने पर जोर दे सकती है, जिसे लंबे समय से भारत का समुद्री इलाका कहा जाता रहा है। रक्षा विश्लेषकों का मानना है कि इस क्षेत्र में अमरीकी सैन्य शक्ति का मुकाबला करने की चीन की तैयारियों का भारत पर मिश्रित प्रभाव पड़ा है।
आस्ट्रेलिया, ब्रिटेन और अमरीका के बीच हुए सुरक्षा समझौते के तहत हिंद प्रशांत क्षेत्र में अमरीका को विभिन्न नौसेनाओं का साथ होने के बाद इस इलाके में चीन की चुनौतियां बड़ी हैं। अमरीकी नौसेना का मुकाबला करने में अपनी पूरी ताकत लगाने और अपना विस्तार करने में जुटी चीन की नौसेना भारतीय नौसेना से बहुत बड़ी है लेकिन भारतीय नौसेना की ताकत भी दिनों-दिन बड़ रही है और वर्तमान में इसकी ताकत के आगे पाकिस्तानी नौसैना तो कहीं नहीं ठहरती तथा चीन की चुनौतियों का भी हमारी नौसेना डटकर मुकाबला कर रही है। हालांकि अपने आस-पास के हिन्द महासागर क्षेत्र के अधिकांश क्षेत्र में भारत का नियंत्रण है लेकिन रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि नौसेना के पास अभी हेलीकॉप्टरों तथा पनडुब्बियों की कमी है, जिसे दूर करने के लिए गंभीर प्रयास किए जाने की जरूरत है। नौसेना के वाइस चीफ एसएन घोरमाडे के अनुसार जिस तरह वैश्विक और क्षेत्रीय स्तर पर बैलेंस ऑफ पावर में तेज़ी से बदलाव आ रहे हैं और हिंद महासागर क्षेत्र में तो ये बदलाव और तेजी से हो रहे हैं, उसे देखते हुए बेहद जरूरी है कि भारत भी अपनी समुद्री ताकत बढ़ाए ताकि किसी भी चुनौती का सामना किया जा सके।
भारतीय नौसेना के जंगी बेड़े में इस समय एयरक्राफ्ट कैरियर आईएनएस विक्रमादित्य और आईएनएस विक्रांत सहित करीब 130 युद्धपोत हैं, इसके अलावा 39 जंगी जहाज देश के ही अलग-अलग शिपयार्ड में तैयार किए जा जा रहे हैं। 
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