कांग्रेस में शैलजा का बढ़ा राजनीतिक रुतबा


पूर्व केंद्रीय मंत्री कुमारी शैलजा को कांग्रेस का राष्ट्रीय महासचिव और छत्तीसगढ़ का प्रभारी महासचिव बनाए जाने से शैलजा का हरियाणा में राजनीतिक कद एक बार फिर बढ़ गया है। शैलजा पूर्व केंद्रीय मंत्री स्व. चौधरी दलबीर सिंह की बेटी है और अकसर विवादों से दूर रही है। चौधरी दलबीर सिंह इंदिरा गांधी मंत्रिमंडल में मंत्री रहने और सिरसा से चार बार सांसद चुने गए और प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष भी रहे। उससे पहले वे विधायक और संयुक्त पंजाब में प्रताप सिंह कैरों सरकार में मंत्री भी थे और राजीव गांधी के कार्यकाल में वे कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव रहे थे। चौधरी दलबीर सिंह के निधन के बाद कुमारी शैलजा ने अपने पिता की राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाया और वे खुद भी न सिर्फ सिरसा और अंबाला से 4 बार लोकसभा सांसद और एक बार राज्यसभा की सांसद सहित कुल पांच बार सांसद रही। 
कुमारी शैलजा नरसिम्हा राव सरकार में व मनमोहन सिंह सरकार में भी केंद्रीय मंत्री रही। शैलजा कांग्रेस के राष्ट्रीय संगठन में भी राष्ट्रीय सचिव और उत्तराखंड व राजस्थान की प्रभारी सहित कईं वरिष्ठ पदों पर रही। 2018 के राजस्थान विधानसभा चुनाव में टिकटों के बंटवारे के लिए बनी स्क्रीनिंग कमेटी चेयरपर्सन की जिम्मेदारी भी शैलजा के पास ही थी और वहां सरकार बनाने का श्रेय भी अन्य के अलावा शैलजा को भी मिलता रहा है। इससे पहले शैलजा जब 1998 में कांग्रेस की राजस्थान प्रभारी सचिव थी, तब भी राजस्थान में कांग्रेस की सरकार बनी थी।
8 साल से नहीं बना संगठन
हरियाणा कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष व पूर्व सांसद डॉ. अशोक तंवर और पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्डा के बीच छत्तीस का आंकड़ा होने और आपसी विवाद बढ़ने के बाद कांग्रेस आलाकमान ने डॉ. अशोक तंवर को प्रदेशाध्यक्ष पद से हटाकर 2019 के चुनाव से ठीक पहले कुमारी शैलजा को हरियाणा प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी सौंपी थी।
 2014 के विधानसभा चुनाव कांग्रेस ने अध्यक्ष डॉ. अशोक तंवर और भूपेंद्र हुड्डा (तब मुख्यमंत्री) के नेतृत्व में लड़े थे और उस समय कांग्रेस को मात्र 15 सीट हासिल हुई थी और कांग्रेस विधानसभा में मुख्य विपक्षी दल का दर्जा भी हासिल नहीं कर पाई थी। 2019 के हरियाणा विधानसभा चुनाव कांग्रेस ने कुमारी शैलजा और भूपेंद्र हुड्डा के नेतृत्व में लड़े थे और कांग्रेस को 31 सीटें हासिल हुई थी। लेकिन पहले भूपेंद्र हुड्डा और अशोक तंवर के बीच विवाद के चलते और बाद में कुमारी शैलजा और भूपेंद्र हुड्डा के बीच मतभेदों के चलते पिछले 8 साल से हरियाणा में कांग्रेस पार्टी अपना संगठन नहीं बना पाई। 
कुमारी शैलजा ने करीब सात महीने पहले प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था और उनके स्थान पर कांग्रेस आलाकमान ने पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्डा के समर्थक उदयभान को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी सौंप दी थी। मल्लिकार्जुन खड़गे के कांग्रेस का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के बाद कांग्रेस ने जो राष्ट्रीय स्टीयरिंग कमेटी का गठन किया था, उसमें हरियाणा की ओर से कुमारी शैलजा और राज्यसभा सांसद रणदीप सुरजेवाला को सदस्य बनाया गया। उसी समय यह साफ हो गया था कि कांग्रेस आलाकमान कुमारी शैलजा को राष्ट्रीय स्तर पर कोई बड़ी जिम्मेदारी दे सकती है। वैसे भी शैलजा का परिवार हमेशा से गांधी-नेहरु परिवार का बेहद करीबी रहा है और चौधरी दलबीर सिंह व शैलजा कुल मिलाकर 9 बार हरियाणा से सांसद भी रहे हैं। 
बंसल की हुई छुट्टी
हरियाणा कांग्रेस के प्रभारी विवेक बंसल को हटाकर वरिष्ठ कांग्रेस नेता शक्ति सिंह गोहिल को हरियाणा कांग्रेस का प्रभारी नियुक्त किया गया है। हरियाणा के प्रभारी रहे विवेक बंसल पिछले कुछ समय से विवादों में रहे और हरियाणा से राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार अजय माकन की हार का ठीकरा भी विवेक बंसल के जिम्मे पड़ा था। इस साल हुए राज्यसभा चुनाव में हरियाणा की 2 सीटों के लिए राज्यसभा का चुनाव होना था। उस समय हरियाणा में कांग्रेस के पास 31 विधायक थे। कांग्रेस ने अजय माकन को हरियाणा से राज्यसभा प्रत्याशी घोषित किया था। कांग्रेस को अपना राज्यसभा सांसद बनवाने के लिए मात्र 30 विधायकों के वोट चाहिए थे। उस समय कांग्रेस विधायक कुलदीप बिश्नोई पार्टी आलाकमान से नाराज चल रहे थे, इसके बावजूद कांग्रेस के पास अजय माकन को चुनाव जितवाने के लिए पूरे विधायक थे। कांग्रेस ने अजय माकन को चुनाव जीतवाने की जिम्मेदारी प्रदेश प्रभारी विवेक बंसल को सौंपी और विवेक बंसल को राज्यसभा चुनाव के लिए चुनाव एजेंट भी बनाया गया। कांगे्रस के सभी विधायकों को अपना वोट डालने से पहले कांग्रेस चुनाव एजेंट विवेक बंसल को दिखाकर उसके बाद ही मतपेटी में डालना था। भाजपा के राज्यसभा उम्मीदवार कृष्ण पंवार की जीत तो पहले से ही पक्की मानी जा रही थी जबकि भाजपा के समर्थन से कार्तिकेय शर्मा निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव मैदान में आ गए। उन्हें न सिर्फ भाजपा के अतिरिक्त वोट मिले बल्कि उन्हें जजपा और निर्दलीय उम्मीदवारों का भी समर्थन हासिल हुआ। इतना ही नहीं कार्तिकेय शर्मा को कांग्रेस विधायक कुलदीप बिश्नोई के अलावा कांग्रेस के एक अन्य विधायक का वोट भी हासिल हो गया और कांग्रेस उम्मीदवार को पार्टी के 31 विधायकों के होते हुए भी मात्र 29 वोट मिले और अजय माकन चुनाव हार गए। 
कांग्रेस के प्रभारी व चुनाव एजेंट होने के बावजूद विवेक बंसल यह नहीं बता पाए कि कांग्रेस के किस विधायक ने क्रॉस वोटिंग की है। इतना ही नहीं ऐलनाबाद व आदमपुर उपचुनाव में कांग्रेस पार्टी की हार की जिम्मेदारी भी विवेक बंसल के जिम्मे रही और विवेक बंसल हरियाणा में पार्टी संगठन को दिशा देने में विफल रहने के चलते आखिरकार उनकी प्रदेश कांग्रेस प्रभारी पद से छुट्टी कर दी गई है। 
गोहिल की राह नहीं आसान
विवेक बंसल की जगह शक्ति सिंह गोहिल जिन्हें हरियाणा कांग्रेस का नया प्रभारी नियुक्त किया गया है, उनकी राह भी आसान नज़र नहीं आ रही। हरियाणा कांग्रेस में भूपेंद्र हुड्डा के अलावा कुमारी शैलजा, रणदीप सुरजेवाला, किरण चौधरी और कैप्टन अजय सिंह के समर्थक भी सक्रिय हैं। प्रदेश कांग्रेस के ज्यादातर विधायक नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र हुड्डा के साथ हैं। कुमारी शैलजा और रणदीप सुरजेवाला कांग्रेस आलाकमान के सबसे करीब हैं। पूर्व मंत्री श्रीमती किरण चौधरी की बेटी पूर्व सांसद श्रुति चौधरी हरियाणा प्रदेश कांग्रेस की कार्यवाहक अध्यक्ष हैं। कांग्रेस की गुटबाजी के चलते ही पिछले 8 सालों से हरियाणा कांग्रेस संगठन नहीं बना पाई है। इस दौरान कांग्रेस के प्रदेश पदाधिकारी जिला व ब्लॉक पदाधिकारी नियुक्त नहीं हो सके हैं। हालांकि इस समय नेता प्रतिपक्ष का पद भूपेंद्र हुड्डा के पास है और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद पर भूपेंद्र हुड्डा के खासमखास उदयभान नियुक्त किए जा चुके हैं। कांग्रेस में आपसी गुटबाजी के चलते ही पूर्व मुख्यमंत्री स्व. भजनलाल के बेटे व पूर्व विधायक कुलदीप बिश्नोई ने कांग्रेस पार्टी व विधानसभा की सदस्यता छोड़ दी थी। कुलदीप बिश्नोई द्वारा खाली की गई आदमपुर सीट पर हुए उपचुनाव में कुलदीप के बेटे भव्य बिश्नोई भाजपा टिकट पर विधायक बन गए हैं। अब नए प्रभारी के लिए पार्टी के सभी गुटों को साथ लेकर चलने और संगठन को खड़ा करना आसान नहीं लगता। फिलहाल सभी की नजरें नए प्रभारी की कार्यशैली पर लगी हुई हैं।  
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