एक और बड़ी ज़िम्मेदारी 


दिल्ली नगर निगम में आम आदमी पार्टी की जीत ने उसे राजनीतिक मंच पर एक और बड़ा समर्थन दिया है। चाहे महज यह एक शहर का ही चुनाव था परन्तु देश की राजधानी होने के कारण इसके परिणामों पर सभी की नज़रें टिकी हुई थीं। इसके साथ ही एक अन्य बड़ी बात यह भी थी कि भारतीय जनता पार्टी पिछले समय में 3 बार लगातार इस चुनाव पर जीत दर्ज करती आई है, चाहे उस समय दिल्ली में नगर निगम एक के स्थान पर तीन थे परन्तु तीनों पर ही भाजपा का कब्ज़ा था। अब 15 वर्ष के बाद उसे आम आदमी पार्टी की ओर से एक बड़ी चुनौती मिली थी, क्योंकि कांग्रेस पिछले दशकों में लगातार यहां फिसलती आई थी। चाहे शीला दीक्षित दिल्ली में कांग्रेस की एक स़फल मुख्यमंत्री थीं, उनके समय में इस महानगर में अधिक विकास कार्य हुए थे। निगमों पर उस समय इस पार्टी का कब्ज़ा होने के कारण इस शहर को प्राथमिक सुविधाओं द्वारा पूरी तरह सुन्दर एवं मज़बूत बनाया गया था। इन चुनावों से पूर्व ही यह प्रभाव ज़रूर बना हुआ था कि इस बार यहां आम आदमी पार्टी बाज़ी मार जाएगी तथा भाजपा को हार का सामना करना पड़ेगा परन्तु फिर भी इस पार्टी ने अपनी ओर से इन चुनावों के लिए सख्त लड़ाई लड़ी। चाहे यह हार ज़रूर गई है परन्तु यह 250 वार्डों में 104 वार्ड जीत गई है। तीसरी ओर कांग्रेस एक बार फिर इन चुनावों में बुरी तरह असफल हुई है इसने सिर्फ 9 वार्डों पर जीत हासिल की है। इस वर्ष निगम की रूप-रेखा में बदलाव किया गया था। इससे पूर्व वर्ष 2017 के चुनावों में उस समय तीन नगर निगमों में कुल 270 वार्डों में से भाजपा ने 181 वार्डों में जीत दर्ज की थी। ‘आप’ को सिर्फ 48 सीटें तथा कांग्रेस को उससे भी कम 30 सीटें मिली थीं। पिछले समय में दिल्ली विधानसभा के लिए आम आदमी पार्टी को बड़ा समर्थन मिलता रहा है परन्तु इस बार निगम की जीत ने यह ज़रूर ताज़ा करवा दिया है कि अभी तक भी दिल्ली वासियों के दिलों में अरविन्द केजरीवाल का प्रभाव बना हुआ है। इस संबंध में आम आदमी पार्टी के कुछ नेताओं ने भी जो भावनाएं व्यक्त की हैं, वह समय तथा लोगों की उम्मीदों के अनुसार पूरी उतरती हैं।
मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने यह वायदा किया है कि जहां वह दिल्ली को साफ तथा सुन्दर बनाने हेतु प्रयासशील होंगे वहीं इसे भ्रष्टाचार से भी मुक्त किया जाएगा तथा यह भी कि देशवासियों के लिए यह एक सन्देश है कि उनकी पार्टी उनकी उम्मीदों पर पूरा उतरने का प्रयास करेगी। दिल्ली के उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने भी यह बात कही है कि हमारे लिए यह मात्र जीत नहीं, अपितु हम पर एक बड़ी ज़िम्मेदारी  आ गई है। पार्टी के प्रमुख नेता संजय सिंह ने भी कहा है कि ‘आप’ सिर्फ 10 वर्ष पुरानी प ार्टी है जिसने एक बड़ी पार्टी को हरा कर इस प्रभाव को दृढ़ किया है कि ‘आप’ एक ईमानदार पार्टी है। पार्टी के सांसद राघव चड्ढा ने भी यह कहा है कि दिल्ली वासियों ने उन्हें यह समर्थन इसलिए दिया है, क्योंकि लोग चाहते हैं कि निगम को 15 वर्ष के भ्रष्टाचार से मुक्ति दिलाई जाये।
नि:सन्देह अपने चुनाव प्रचार में भारतीय जनता पार्टी ने जहां सख्त मेहनत की थी, वहीं अन्य पार्टियों तथा उम्मीदवारों पर कई तरह के बड़े दबाव डालने का भी प्रयास किया था। ‘आप’  का दिल्ली का एक मंत्री अभी तक भ्रष्टाचार के आरोपों के कारण जेल में बंद है। अब देखने वाली बात यह होगी कि दिल्ली एवं पंजाब में अपनी सरकारें बनाने तथा दिल्ली नगर निगम चुनावों में प्रभावी जीत हासिल करने के बाद यह पार्टी देश में किस ढंग-तरीके से विचरती है तथा अपना कितना प्रभाव बनाने में सक्षम होती है? क्योंकि दिल्ली सहित पंजाब में उसे इस समय कई बड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है तथा यह अनेक कठिनाइयों में से गुज़रती दिखाई दे रही है।  इसका भविष्य एक अच्छा प्रशासन देने तथा लोगों का विश्वास जीतने पर ही केन्द्रित होगा।

—बरजिन्दर सिंह हमदर्द