भाजपा का बढ़ता प्रभाव


एक तरफ कांग्रेसी नेता राहुल गांधी द्वारा ‘भारत जोड़ो यात्रा’ जारी है। अन्य स्थानों की तरह पंजाब में भी इसकी काफी चर्चा रही है और इसको बड़ा समर्थन मिला है। इस यात्रा को आगामी वर्ष लोकसभा के होने वाले चुनाव के साथ जोड़कर देखा जा रहा है। दूसरी तरफ भारतीय जनता पार्टी, जो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में  8 साल से ज्यादा समय से केन्द्र में सरकार चला रही है, ने भी आगामी वर्ष के चुनावों के लिए अपनी तैयारी शुरू कर दी है। दिल्ली में पार्टी के केन्द्रीय कार्यकारिणी के हुए सम्मेलन को इसी संदर्भ में देखा जा रहा है। इसी तरह ही पार्टी की अलग-अलग प्रदेशों की इकाइयों की कार्यकारिणियों के भी चुनाव की तैयारी के लिए बैठकें हो रही हैं।
पंजाब प्रदेश की कार्यकारिणी के अमृतसर में हुए सम्मेलन में आने वाले लोकसभा चुनाव का विषय ही भारी रहा। पंजाब की वर्तमान स्थिति के बारे में भी चर्चा की गई। दो दिन की बैठक में भाजपा ने प्रदेश में नशे और फैले भ्रष्टाचार को लेकर मार्च से अगस्त तक यात्रा आरम्भ करने का भी ऐलान किया। इस सम्मेलन में बहुत से वह नेता भी शामिल हुए हैं, जो दूसरी पार्टियों को छोड़कर भाजपा में शामिल हुए थे। इस सूची में पूर्व कांग्रेस नेताओं के नाम काफी हैरानीजनक हैं, जिनमें कांग्रेस के पूर्व प्रधान और चर्चित राजनीतिक नेता सुनील जाखड़ का नाम भी शामिल है। चाहे पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेन्द्र सिंह इस सम्मेलन में तो शामिल नहीं हुए परन्तु उनका नाम इस पार्टी में शामिल होने वालों में पहले नम्बर पर आता है। पिछले दिनों में जिस तरह कांग्रेस, अकाली व अन्य पार्टियों से छोटे से लेकर बड़े नेताओं तक भाजपा में शामिल होने की जल्दबाज़ी दिखाई दी है, वह उत्सुकता भरपूर ज़रूर है। यह इस बात का भी प्रत्यक्ष प्रमाण है कि भाजपा प्रदेश में अपना अच्छा आधार बनाने में सफल हो रही है। यह पार्टी पंजाब में दीर्घकालिन अकाली दल की दूसरे नम्बर की भागीदार रही है। अकाली दल के साथ मिलकर इसने यहां काफी बार प्रशासन भी चलाया है परन्तु दिल्ली में लगे किसान मोर्चे के बाद दोनों पार्टियों के अलग-अलग होने के बाद भाजपा ने अकेले तौर पर आज़ाद रूप में प्रदेश की राजनीति में अपनी गतिविधियां दिखानी शुरू कर दी थी, जिसमें वह अब तक काफी हद तक सफल भी हुई है। 
इसी कारण प्रदेश अध्यक्ष अश्विनी शर्मा अगले वर्ष आने वाले लोकसभा चुनावों तथा विधानसभा के अगले चुनावों में सभी 117 सीटों पर चुनाव लड़ने की प्रतिदिन घोषणाएं कर रहे हैं। आम आदमी पार्टी की सरकार आने के बाद जिस प्रकार कुछ महीनों की अवधि में लोगों का इससे मोह भंग होने लगा है, उससे भाजपा और भी उत्साहित हुई देखी जा सकती है। ‘आप’ सरकार द्वारा अभी तक घोषणाओं की झड़ियां लगाई जा रही हैं। बड़ी संख्या में घरेलू उपभोक्ताओं के बिजली के बिल ज़ीरो आने की नकारात्मक प्रतिक्रिया भी सामने आने लगी हैं। राज्य में अराजकता का माहौल बनता नज़र आ रहा है। उद्योगपति तथा व्यापारी वर्ग भी खुश दिखाई नहीं देता। इस प्रकार की स्थिति में पिछले दिनों केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह के पटियाला आने की भी चर्चा थी। फिलहाल उनका दौरा कुछ कारणों से स्थगित कर दिया गया है। सरकार के बहुत-से मंत्रियों की कारगुज़ारी पर भी अंगुलियां उठने लगी हैं। ‘आप’ के दो मंत्रियों को भ्रष्टाचार के आरोपों के आधार पर त्याग-पत्र देना पड़ा है। लगातार दयनीय होती जा रही आर्थिकता ने प्रदेश को निरुत्साहित करना शुरू कर दिया है। इन मामलों को लेकर ही प्रतिदिन भाजपा सरकार प्रदेश सरकार पर हमले बोल रही है। 
गत लम्बे समय से प्रधानमंत्री नरेन्द मोदी ने भी ऐसी घोषणाएं की हैं, जिनके कारण पंजाब में भाजपा का आधार मज़बूत हुआ है। इनमें देश भर में वीर बाल दिवस मनाने की घोषणा, करतारपुर गलियारे को खोलना, 84 के सिख विरोधी दंगों के लिए नई सिट बनाने जैसे कदम शामिल हैं। वर्ष 2022 में पंजाब विधानसभा के चुनावों में अकाली दल की हुई हार तथा उसके बाद संगरूर लोकसभा चुनावों में भी उसे ंिमले कम समर्थन के कारण भी भाजपा अधिक उत्साह में आई प्रतीत हो रही है। अब यह पार्टी इस बात के लिए यत्नशील प्रतीत होती है कि किसी तरह ग्रामीण क्षेत्रों में भी अपना प्रभाव बढ़ा सके। आने वाले समय में प्रदेश में बन रहा यह नया दृश्य विरोधी राजनीतिक पार्टियों के लिए चुनौती बन सकता है। कई गुटों में विभाजित हो चुके अकाली दल तथा प्रदेश कांग्रेस को अपना राजनीतिक अस्तित्व बनाए रखने के लिए पूरी तैयारी से राजनीतिक मैदान में उतरना होगा। 


            —बरजिन्दर सिंह हमदर्द