2024 के लोकसभा चुनाव प्रधानमंत्री मोदी के मंत्रिमंडल में जल्द होगा फेरबदल


प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के केन्द्रीय मंत्रिमंडल में व्यापक स्तर पर फेरबदल किये जाने की अधिक सम्भावना है। सूत्रों के अनुसार भाजपा के चार से पांच मंत्रियों को मंत्रिमंडल से बाहर कर पार्टी संगठन में वापिस बुलाया जा सकता है। यह फेरबदल 2024 के लोकसभा चुनावों पर केन्द्रित है, जिसमें बिहार, उत्तर प्रदेश, पश्चिमी बंगाल तथा तेलंगाना जैसे बड़े प्रदेशों में बड़े राजनीतिक दाव तथा गठबंधन के समीकरण शामिल होंगे। फेरबदल में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले शिवसेना गुट, जिसे शिव सेना के ज्यादातर सांसदों का समर्थन प्राप्त है, को मंत्रिमंडल में प्रतिनिधित्व मिलने की सम्भावना है।
जाति जनगणना करवाने का समर्थन
मैनपुरी उप-चुनाव में पत्नी डिम्पल यादव को बड़ी जीत दिलाने तथा चाचा शिवपाल यादव को पुन: पार्टी में लाने के बाद समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव अब घर से ही अपनी राजनीतिक ज़मीन नये रूप से तैयार कर रहे हैं। 
उनका लक्ष्य जाति आधारित जनगणना के मुद्दे को ज़ोर-शोर से उठाना है, जिससे प्रत्यक्ष रूप से गांव-गांव के युवाओं के साथ जुड़ कर भविष्य की रणनीति बनाई जा सके। अखिलेश ने अपने प्रदेश में जाति आधारित जनगणना शुरू करवाने के लिए बिहार के मुख्यमंत्री नितीश कुमार की प्रशंसा करते हुए कहा कि अंग्रेज़ों ने भी 1931 में इस कदम संबंधी सोचा था, जो अकेले ही सभी जातियों के विकास तथा सशक्तिकरण को सुनिश्चित बना सकता है। 
उद्धव ठाकरे-प्रकाश अम्बेदकर गठबंधन
महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने आने वाले मुम्बई निगम चुनावों की तैयारियों के दौरान प्रकाश अम्बेदकर की वंचित बहुजन अघाड़ी (वी.बी.ए.) पार्टी के साथ गठबंधन की घोषणा की है। इस रणनीतिक कदम को ठाकरे द्वारा दलितों के मध्य समर्थन को बढ़ाने तथा मज़बूत करने के प्रयास स्वरूप देखा जा रहा है। अम्बेदकर ने कहा कि फिलहाल गठबंधन शिव सेना (उद्धव बाल ठाकरे-यू.बी.टी.) तथा वी.बी.ए. के बीच है परन्तु उन्हें उम्मीद है कि इस तज़र् पर महा विकास अघाड़ी (कांग्रेस तथा नैशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी) के अन्य भागीदार भी शामिल होंगे। पिछले वर्ष हुई उथल-पुथल जिस कारण महाराष्ट्र में एम.वी.ए. सरकार गिर गई थी, के बाद आने वाले बी.एम.सी. चुनाव शिव सेना (उद्धव गुट) की पहली परीक्षा होगी, जिसमें उन्हें भाजप-शिंदे सेना-आर.पी.आई. गठबंधन का सामना करना पड़ेगा। 2024 में होने वाले विधानसभा चुनावों से पूर्व बी.एम.सी. पर नियन्त्रण की लड़ाई शिव सेना के दो विपक्षी गुटों के बीच एक महत्त्वपूर्ण प्रतिष्ठता की लड़ाई होगी।
उपेन्द्र कुशवाहा और नितीश 
बिहार के मुख्यमंत्री नितीश कुमार द्वारा तेजस्वी यादव के अलावा किसी अन्य को उप-मुख्यमंत्री बनाये जाने की सम्भावनाओं से स्पष्ट इन्कार करने के बाद उपेन्द्र कुशवाहा तथा नितीश के मध्य मतभेद दिन-प्रतिदिन बढ़ते ही जा रहे हैं। मुख्यमंत्री नितीश को सन्देह है कि कुशवाहा, एक प्रमुख सहयोगी, जो कुछ समय पूर्व उनके गठबंधन से बाहर हो गए हैं, भाजपा के साथ मेल-मिलाप कर सकते हैं। नितीश ने कहा कि वह जब तक चाहें फालतू की ब्यानबाज़ी कर सकते हैं तथा जिस दिन भी चाहें पार्टी छोड़ सकते हैं। वहीं कुशवाहा ने ट्वीट कर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि ‘अच्छा भाई साहिब...! यदि बड़े भाई की सलाह पर छोटे भाई इस तरह से बाहर निकलते रहे तो छोटे भाइयों को घर से बाहर निकाल कर सभी बड़े भाई पुश्तैनी सम्पत्ति हड़प जाएंगे।’ 
उन्होंने कहा कि पूरी सम्पत्ति में से अपना हिस्सा छोड़ कर कैसे जा सकते हैं? हालांकि कुशवाहा ने स्थिति को स्पष्ट करते हुए दृढ़ता के साथ कहा कि वह कभी भी भाजपा के सदस्य नहीं बनेंगे। परन्तु वह 2024 के लोकसभा चुनाव से पूर्व एक पार्टी बनाने तथा एन.डी.ए. में शामिल के सवाल पर टाल-मटोल करते रहे। 
कांग्रेस की नज़र महिला मतदाताओं पर
कर्नाटक में विधानसभा चुनावों से पूर्व कांग्रेस रणनीतिक तौर पर महिला मतदाताओं को भ्रमाने के लिए एक अलग घोषणा-पत्र द्वारा तरह-तरह के वायदे कर रही है। कांग्रेस ने घोषित करते हुए कहा कि यदि वह सत्ता में आती है तो उसकी ओर से हर मास घर की प्रमुख महिला के खाते में 2000 रुपये जमा करवाये जाएंगे। उसने प्रदेश के सभी घरों को 200 यूनिट मुफ्त बिजली देने का भी वायदा किया है। इस दौरान कांग्रेस नेता राहुल गांधी की ‘भारत जोड़ो यात्रा’ 30 जनवरी को श्रीनगर में राष्ट्रीय ध्वज फहराने के बाद समाप्त होगी। बहुचर्चित यात्रा की समाप्ति के बाद राहुल गांधी का पूरा ध्यान आने वाले विधानसभा चुनावों पर होगा, जिसमें तीन पूर्व-उत्तर प्रदेशों—त्रिपुरा, तेलंगाना, कर्नाटक, राजस्थान, मध्य प्रदेश तथा छत्तीसगढ़ में भी व्यापक स्तर पर प्रचार करेंगे जहां इस वर्ष विधानसभा चुनाव होने हैं। (आई.पी.ए.)