हवा में ठंड ज्यादा क्यों लगती है?

 

कल के मुकाबले आज ठंड ज्यादा है’, मेरे दोस्त ने कुछ सिकुड़ते हुए कहा। मैंने कहा, ‘नहीं, इस प्रकार नहीं है। आज भी कल के बराबर ही तापमान है।’ ‘लेकिन मुझे ज्यादा ठंड महसूस क्यों हो रही है?’ उसका अगला सवाल था। मैनें उसको समझाया कि ऐला इसलिए है क्योंकि आज हवा तेज़ चल रही है। दरअसल, तापमान में चाहे बदलाव न हुआ हो परन्तु हवा की रफ्तार बढ़ जाती है और हमें ठंड ज्यादा लगती है। जीवित प्राणी ही हवा में ज्यादा ठंड महसूस करते है। यह अलग बात है कि ऐसा क्यों होता है, का उत्तर कम लोग ही जानते हैं। दिलचस्प यह है कि तेज़ हवा चलने के कारण थर्मामीटर ड्रोप नहीं करता भाव तापमान में कमी नहीं आती है।
सर्दी के मौसम में हवा तेज़ चलने से ज्यादा ठंड इस लिए लगती है क्योंकि हवा हमारे चेहरे और शरीर से शांत मौसम के मुकाबले ज्यादा गर्माहट उड़ा ले जाती है। शांत मौसम में भाव जब हवा कुछ खास नहीं चल रही होती तो हवा के हमारे शरीर के आस-पास परत बनाई होती है जो गर्माहट को रोके रखती है। तेज़ हवा इस रक्षा कवच रूपी परत को हटा देती है, जिसके साथ हम अपने शरीर की गर्मी को रोक नहीं पाते। जितनी तेज़ हवा होगी, उतनी ही ज्यादा हवा हर पल हमारे शरीर से गर्माहट को उड़ाती जाएगी। यह बात अपने आप में सही है, हमें ज्यादा ठंड महसूस करवाने के लिये।
परन्तु एक और कारण भी है हमारी त्वचा से हर समय नमी बाहर निकलती रहती है, जब ठंडी हवा चलती है तब भी। पसीने के लिए हमे गर्माहट चाहिए। गर्माहट हमें अपने शरीर से और हमें घेरती हवा की परत से मिलती है। जब हवा स्थिर होती है तो पसीना धीरे से निकलता है क्योंकि चमड़ी के पास से हवा की परत शीघ्र भाप से तर-बतर हो जाती है और नमी भरी हवा में वाशपीकरण बहुत तेज़ नहीं होता लेकिन जब आस-पास की हवा रफ्तार में होती है और चमड़ी के साथ उसके नये-नये हिस्से सम्पर्क में आते हैं, पसीना ज्यादा तेज़ी के साथ आता है, गर्माहट की ज्यादा जरूरत पड़ती है, जोकि शरीर से छीन भाव सोख ली जाती है। हवा का कूलिंग प्रभाव कितना होता है? यह हवा के वेग व हवा के तापमान पर निर्भर करता है। आम तौर पर यह अनुमान से ज्यादा प्रभावी होती है। त्वचा के तापमान को हवा कितनी तेज़ी के साथ कम करती है। आओ, इसको एक मिसाल के तौर पर समझें। जैसे हवा का तापमान जीरो से 4 डिग्री सैंटीग्रेट ऊपर है और हवा नहीं चल रही है। तब शरीर का तापमान 31 डिग्री सैंटीग्रेट होगा। लेकिन 2 मीटर प्रति सैकेंड की हलकी सी हवा त्वचा को 7 डिग्री सैंटीग्रेट ठंडा कर देगी और 6 मीटर प्रति सैकेंड की हवा चमड़ी को 22 डिग्री सैंटीग्रेट ठंडा कर देगी भाव ज़ीरो से 9 डिग्री सैंटीग्रेट ऊपर।
इसलिए हमें कितनी ठंड लगेगी, इसका अंदाज़ा मात्र तापमान से लगाना सही नहीं है बल्कि हवा के वेग को भी समझ कर ही होगा। इसका मतलब यह हुआ कि यदि दो स्थानों पर समान तापमान है तो जहां हवा का वेग 6 मीटर प्रति सैकेंड है, वहां ठंड बर्दाश्त करना उस स्थान के मुकाबले ज्यादा मुश्किल होगी, जहां हवा का वेग 2 मीटर प्रति सैकेंड है।