हरियाणा विधानसभा में गूंजा राज्य मंत्री संदीप सिंह का मामला

 

हरियाणा विधानसभा के बजट सत्र में पहले दिन राज्य मंत्री संदीप सिंह का मामला छाया रहा। कांग्रेसी विधायकों विशेषकर महिला विधायकों ने संदीप सिंह के इस्तीफे की मांग करते हुए विधानसभा में न सिर्फ नारेबाज़ी की बल्कि विधानसभा के अंदर महिलाओं की सुरक्षा को लेकर पोस्टर भी उठाए हुए थे। राज्य मंत्री संदीप सिंह पर महिला कोच के साथ छेड़छाड़ के आरोप में चंडीगढ़ पुलिस ने मामला दर्ज किया है। इसी मामले को लेकर कांग्रेस ने विधानसभा के अंदर और बाहर दोनों जगह संदीप सिंह को लेकर अपना विरोध जताते हुए उनके इस्तीफे की मांग कर रहे थे। जब राज्य मंत्री संदीप सिंह को लेकर विधानसभा के अंदर शोर-शराबा हो रहा था उस समय राज्य मंत्री संदीप सिंह खुद सदन में हाज़िर नहीं थे। नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र हुड्डा ने भी मुख्यमंत्री से संदीप सिंह को हटाने की मांग करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री या तो संदीप सिंह को हटा दें या फिर संदीप सिंह खुद नैतिकता के आधार पर मंत्री पद से इस्तीफा दे दें। लेकिन मुख्यमंत्री ने सदन में दो-टुक शब्दों में यह साफ कर दिया कि वह विपक्ष के कहने पर संदीप सिंह को नहीं हटाएंगे और उनका इस्तीफा भी नहीं लिया जाएगा। मुख्यमंत्री और विधानसभा स्पीकर का कहना था कि सिर्फ आरोप लग जाने से कोई दोषी नहीं होता और जब तक पूरी जांच नहीं हो जाती तब तक किसी को दोषी करार नहीं दिया जा सकता। 
तेज़ी से उठी है ओपीएस की मांग
हरियाणा में ओल्ड पैंशन स्कीम की मांग को लेकर मामला एक बार फिर गरमा गया है। हरियाणा के विभिन्न कर्मचारी संगठनों ने सरकार से नई पैंशन स्कीम के स्थान पर पुरानी पैंशन स्कीम लागू किए जाने की मांग की है। प्रदेश के हजारों कर्मचारी इस मांग को लेकर इसी सप्ताह पंचकूला में एकत्रित हुए और पैदल मार्च करते हुए चंडीगढ़ में दाखिल होने का प्रयास किया। हरियाणा व चंडीगढ़ की सीमा पर कर्मचारियों का पुलिस के साथ टकराव भी हुआ और पुलिस ने कर्मचारियों पर न सिर्फ पानी की बौछारें मारी बल्कि लाठीचार्ज भी किया। प्रदेश के विभिन्न कर्मचारी संगठनों ने कर्मचारियों पर लाठीचार्ज करने की निंदा करते हुए सरकार पर तीखे हमले किए हैं। राजस्थान और हिमाचल की सरकारों द्वारा पुरानी पैंशन स्कीम लागू करने का ऐलान करने के बाद हरियाणा में भी पुरानी पैंशन स्कीम लागू करने की मांग जोर पकड़ती जा रही है। नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र हुड्डा ने यह ऐलान किया है कि प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनते ही मंत्रिमंडल की पहली बैठक में ओल्ड पैंशन स्कीम लागू कर दी जाएगी। कांग्रेस के साथ-साथ अन्य विपक्षी दलों ने भी कर्मचारियों की ओल्ड पैंशन स्कीम की मांग का समर्थन करते हुए यह कहना शुरू कर दिया है कि प्रदेश में अगले साल अगर उनकी पार्टी की सरकार आ गई तो ओल्ड पैंशन स्कीम फिर से प्रदेश में लागू की जाएगी। धीरे-धीरे हरियाणा में ओल्ड पैंशन स्कीम का मुद्दा बहुत बड़ा मुद्दा बनता जा रहा है। प्रदेश सरकार इस मामले में कोई बीच का रास्ता तलाश करने का प्रयास कर रही है। जबकि आन्दोलनकारी कर्मचारी पुरानी पैंशन स्कीम लागू करने के मुद्दे पर अड़े हुए हैं। 
कांग्रेस द्वारा संतुलन साधने का प्रयास
हरियाणा कांग्रेस का पिछले 9 सालों से प्रदेश में संगठन नहीं बन पाया है। कुछ दिन पहले उम्मीद की जा रही थी कि प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष उदयभान और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र हुड्डा द्वारा प्रदेश कांग्रेस पदाधिकारियों की सूची जल्दी ही जारी करवा दी जाएगी। लेकिन प्रदेश पदाधिकारियों की सूची एक बार फिर अटक गई है। 2014 से लेकर अब तक हरियाणा कांग्रेस में ज़िला व हल्का स्तर पर पदाधिकारियों की नियुक्ति नहीं हो पाई है। इसी बीच 26 फरवरी से कांग्रेस का राष्ट्रीय अधिवेशन छत्तीसगढ़ के रायपुर में होने जा रहा है। इस अधिवेशन में कांग्रेस द्वारा अगले साल होने जा रहे लोकसभा चुनाव को लेकर मंथन किया जाएगा। उम्मीद की जा रही है कि इस राष्ट्रीय अधिवेशन में विपक्षी दलों के साथ एकता को लेकर रणनीति भी बनाई जा सकती है। इस अधिवेशन से पहले हरियाणा कांग्रेस के 41 नेताओं की एक सूची जारी की गई है, जिसमें 26 निर्वाचित और 15 मनोनीत सदस्य शामिल किए गए हैं। हालांकि इस सूची में नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र हुड्डा और प्रदेश अध्यक्ष उदयभान के समर्थकों की संख्या ज्यादा है लेकिन इसके बावजूद कांग्रेस आलाकमान ने सूची में कुमारी शैलजा, राज्यसभा सांसद रणदीप सुरजेवाला और विधायक किरण चौधरी के समर्थकों को जगह देकर सभी गुटों के बीच संतुलन साधने का प्रयास किया है। कांग्रेस की प्रदेश व जिला स्तरीय इकाईयों का गठन कब तक होगा यह तो समय बताएगा लेकिन पिछले कईं सालों से गुटबाजी में फंसी हुई कांग्रेस पार्टी अभी तक आपसी खींचातान से उभर नहीं पाई है।
रुक नहीं रहा सरपंच आंदोलन
हरियाणा में सरपंचों का आन्दोलन शांत होने का नाम नहीं ले रहा है। सरपंच प्रदेश सरकार द्वारा शुरू की गई ई-टेंडरिंग प्रणाली का विरोध कर रहे हैं। सरकार ने यह निर्णय लिया है कि प्रदेश की पंचायतों में अब 2 लाख रुपए से ऊपर के सभी काम ई-टेंडरिंग के जरिए हाेंगे। सरपंच इसका विरोध कर रहे हैं। सरकार शुरू में यह सोचती थी कि सिर्फ थोड़े से सरपंच ही इस प्रणाली का विरोध कर रहे हैं लेकिन धीरे-धीरे सरपंचों का आन्दोलन ज्यादातर पंचायतों में फैल गया और आन्दोलन थमने का नाम नहीं ले रहा। अभी नईं पंचायतों का गठन कुछ समय पहले ही हुआ है और नए सरपंच निर्वाचित होते ही आन्दोलन को लेकर सड़कों पर आ गए हैं। उनका कहना है कि सरकार पंचायतों को ज्यादा अधिकार देने की बजाय उनके अधिकारों को छीनने का प्रयास कर रही है। अगले साल लोकसभा के अलावा हरियाणा विधानसभा के भी चुनाव होने वाले हैं। उन चुनावों के दृष्टिगत भी सरकार सरपंचों के आंदोलन को लेकर चिंतित है और उम्मीद की जा रही है कि इस आन्दोलन को और ज्यादा लंबा खींचने से पहले ही सरकार व सरपंच कोई बीच का रास्ता जरूर निकालने का प्रयास करेंगे। 
खुल्लर की वापसी
हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल के प्रधान सचिव रहे राजेश खुल्लर वापस हरियाणा आ गए हैं। राजेश खुल्लर मनोहर सरकार में सबसे ज्यादा प्रभावशाली और संकटमोचक अफसर रहे हैं और जितनी देर तक भी वे मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव रहे तो पूरे प्रदेश का शासन-प्रशासन उन्हीं के इर्द-गिर्द घुमता रहा था। अक्तूबर 2020 में वे विश्व बैंक में कार्यकारी निदेशक के तौर पर अमरीका चले गए थे। वहां पर उनकी नियुक्ति 3 साल के लिए हुई थी लेकिन मुख्यमंत्री मनोहर लाल के अनुरोध पर केंद्र सरकार ने उन्हें अढ़ाई साल बाद ही वापस बुला लिया। राजेश खुल्लर के विश्व बैंक में जाने के बाद मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव की जिम्मेदारी वी. उमाशंकर को दी गई थी और हरियाणा के पूर्व मुख्य सचिव डीएस ढेसी को मुख्यमंत्री का मुख्य प्रधान सचिव नियुक्त किया गया था। अगले साल लोकसभा के अलावा विधानसभा के भी चुनाव होने हैं। ऐसे में राजेश खुल्लर जैसे प्रभावशाली और संकटमोचक अधिकारी की हरियाणा में वापसी के बाद अधिकारियों में उनकी पोस्टिंग को लेकर उत्सुकता बनी हुई हैं। माना जा रहा है कि खुल्लर को फिर से मुख्यमंत्री सचिवालय में कोई महत्वपूर्ण जिम्मेदारी मिल सकती है और हरियाणा की अफसरशाही में भी बड़े स्तर पर व्यापक फेरबदल होने की संभावना है।  -मो.-9855465946