मान सरकार बनाम मातृ भाषा पंजाबी व पंजाब

पंजाब के मुयमंत्री भगवंत मान की कारगुज़ारी के संबंध में विपक्षी दलों की टिप्पणियां दिन-प्रतिदिन बढ़ रही हैं। मैं सिर्फ पंजाबी साहित्य तथा सयाचार की बात करूंगा। ख्क् फरवरी का दिन विश्व मातृ भाषा दिवस को समर्पित था। अमरीका के शिकागो शहर में 'सुखनवर पंजाब' नामक कार्यक्रम में वहां के पंजाबी कवियों द्वारा रंग जमाने की रिपोर्टें जग-जाहिर हैं। यह संस्था गत ख् वर्षों से ऊर्दू मुशायरे करवाने के लिए जानी जाती है। इस वर्ष पंजाबी कवि दरबार भी आयोजित किया गया। कार्यक्रम में पूर्वी तथा पश्चिमी पंजाब के पंजाबी कवियों के अतिरित कुछ ऊर्दू भाषी लोगों ने भी भाग लिया। यह भी बताना ज़रूरी है कि परपरा शुरू करने वाला पंजाबी शायर आदिब रशीद है जो एक इंजीनियर है। मुशायरे की अध्यक्षता सुफियाना ढंग की शायरी करने वाले साजिद चौधरी ने की।  मुय मेहमान के रूप में न्यूयार्क से एजाज़ भट्टी शामिल हुए। कविता पढ़ने वालों में गुरलीन कौर, हरजिन्दर खैरा, लाली बटाला, अरकिंद कौर तथा अन्य शामिल थे। खूबी यह कि प्रयोजकों ने इस पहल कदमी को भविष्य में लगातार जारी रखने की घोषणा की है।
पूर्वी पंजाब का यह हाल है कि भाषा विभाग पंजाब द्वारा मनाए जा रहे राज्य स्तरीय समागम में मुयमंत्री तथा कैबिनेट मंत्री तो या स्थानीय विधायक ने भी शिरकत नहीं की। वैसे मुयमंत्री द्वारा मातृ भाषा के प्रसार, प्रचार एवं विकास के नाम पर सभी सरकारी कार्यालयों, संस्थानों तथा विभागों के नाम की ततियां तथा बोर्ड पंजाबी भाषा में लगाने के आदेश जारी करने में कोई कसर नहीं छोड़ी गई। यह भी लिखा गया कि यदि किसी को ततियां बनाने में कोई मुश्किल आ रही है तो पंजाब सरकार उनकी सहायता करने के लिए तैयार है।
माना कि मुयमंत्री के आदेश ततियों के कार्य संबंधी ढील बरतने वालों को सावधान करने के लिए अच्छे हैं परन्तु उन्हें यह पता नहीं कि ऐसे आदेश भी तभी कारगर होते हैं यदि इनकी भावना को आत्मिक तौर पर क्रियान्वयन किया जाए, चाहे विशेष दिवस मनाने की  प्रक्रिया औपचिारिक ही यों न हो।
मुयमंत्री तथा उनके स्टाफ को कौन समझाए कि इसका महत्व या है। उनके कार्यालय द्वारा यह लापरवाही पहली बार नहीं हुई। गत वर्ष जब एक नवबर को पंजाब दिवस मनाया जाना था तो तब भी मुयमंत्री भगवंत मान हां करने के बावजूद पटियाला में हुए उस समारोह में नहीं पहुंचे थे। उन्होंने अपनी जगह कैबिनेट मंत्री गुरमीत सिंह मीत हेयर को भेजा अवश्य था, परन्तु वह दो घंटे से अधिक देरी से पहुंचे थे। यह बात अलग है कि गुरमीत हेयर ने देर से आने की माफी के तौर पर मंच पर बैठे गणमान्यों के घुटनों को छूआ  था तथा सामने बैठे ओम प्रकाश गासो जैसे लेखकों को मंच से नीचे उतर कर पांव छूकर मिला। मतलब यह कि यहां भी समारोह की आत्मा का समान करने की बजाय शारीरिक प्रक्रिया पर ही ज़ोर था।
अंतिका
(पंजाब तथा मातृ भाषा पंजाबी के प्रशंसक)
जदों वी देश नू खून दी लोड़ पै गई
हामी हस्स के भरी पंजाबियां ने।
जद वी ज़ुल्म दी नदी विच्च कांग आई
छालां मार के भरी पंजाबियां ने
-करतार सिंह बल्लगन
खंड तों मिट्ठे हो जाना सी महुरे वरगे बोलां ने,
इन्हां विच्च जे लैंदे दो तिन्न अखर खोल पंजाबी दे॥
-इरशाद संधू
आपनी बोली पंजाबी दा माण रखीं,
जिहड़ी मां ए असां पंजाबियां दी।
रन्न रन्न जाणी, मां मां जाणी,
गल्ल करीं न खाना खराबियां दी।
-हफीज़ जालन्धरी