मनीष सिसोदिया का त्याग-पत्र

दिल्ली के उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की शराब नीति घोटाले में गिरफ्तारी ने एक बार तो राजनीतिक गलियारे में बड़ी हलचल पैदा की है। ताज़ा घटनाक्रम के अनुसार मनीष सिसोदिया ने अपनी गिरफ्तारी को सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी थी परन्तु वहां भी उन्हें राहत नहीं मिली, जिस कारण उन्होंने तथा जेल में पहले ही बंद ‘आप’ के मंत्री सत्येन्द्र जैन ने अपने पदों से त्याग-पत्र दे दिए हैं, जोकि मुख्यमंत्री केजरीवाल ने स्वीकार भी कर लिए हैं। दिल्ली में आम आदमी पार्टी के प्रशासन की यह तीसरी पारी है। आम आदमी पार्टी का जन्म अन्ना हज़ारे द्वारा भ्रष्टाचार के विरुद्ध वर्ष 2011 में आन्दोलन के  बाद हुआ था। हज़ारे ने देश के लिए जन लोकपाल बिल लाने के लिए देश भर में बड़ा आन्दोलन किया था। अरविन्द केजरीवाल उस समय अन्ना हज़ारे के निकटम साथी माने जाते थे। इसके उपरांत केजरीवाल द्वारा राजनीतिक पार्टी बनाने की घोषणा करने के कारण अन्ना हज़ारे ने इससे स्वयं को अलग कर लिया था परन्तु भ्रष्टाचार के विरुद्ध उठे आन्दोलन को मिले भारी समर्थन से केजरीवाल के नेतृत्व में आम आदमी पार्टी का बड़ा नाम हो गया था।
दिल्ली में इसे लगातार भारी समर्थन मिलता रहा तथा तीन बार वहां इस पार्टी को सरकार बनाने का अवसर मिला। चाहे इस पार्टी को स्थापित करने वाले योगेन्द्र यादव, कुमार विश्वास, आशुतोष, प्रशांत भूषण, अलका लाम्बा आदि नेता समय-समय पर केजरीवाल की कार्यशैली से निराश होकर इस पार्टी को अलविदा कह गए परन्तु मनीष सिसोदिया शुरू से इसके साथ जुड़े रहे तथा बाद में उन्हें उप-मुख्यमंत्री बना दिया गया। उनके पास सरकार के 33 विभागों में से 18 विभाग थे, जिनमें वित्त, शिक्षा, पर्यटन, पी.डब्ल्यू.डी., ज़मीन तथा भवन निर्माण के अलावा कला, संस्कृति तथा भाषाओं के विभाग शामिल हैं परन्तु समय व्यतीत होने के साथ भ्रष्टाचार के विरुद्ध उठे आन्दोलन से बनी इस पार्टी में इस मामले पर बड़ी त्रुटियां देखने को मिलने लगीं। यह भी एक कारण था कि पार्टी के ज्यादातर संस्थापक इससे नाराज़ तथा निराश हो गये। इस पर टिकटें देने के बदले पैसे लेने के आरोप भी लगे। इसका एक बड़ा मंत्री सत्येन्द्र जैन मनी लांड्रिंग के केस में पिछली लम्बी अवधि से जेल में बंद है। अब दिल्ली में वर्ष 2021 में आबकारी नीति में बदलाव करने के कारण उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया तथा इसके अन्य बड़े नेताओं पर शराब के निजी ठेकेदारों का कमिशन बढ़ाने तथा इसके बदले में उनसे बड़ी राशियां वसूलने के आरोप लग रहे हैं। पार्टी का बड़ा नेता विजय नायर इसी कारण कई महीनों से सलाखों के पीछे है। शराब के नीति संबंधी घोटाले का जाल तेलंगाना तक फैलने के समाचार हैं। इन समाचारों के अनुसार दक्षिण के शराब के कुछ बड़े ठेकेदारों को मोटी राशि लेकर लाभ पहुंचाये गये। नई शराब नीति बनाने तथा इसमें व्याप्त त्रुटियों संबंधी दिल्ली के मुख्य सचिव ने लिखित रिपोर्ट उप-राज्यपाल को दी थी, जिसके आधार पर उन्होंने नई आबकारी नीति की सी.बी.आई. से जांच करवाने के लिए सिफारिश भेजी थी परन्तु बाद में इस आबकारी नीति को संबंधित मंत्री सिसोदिया ने वापिस लेने की घोषणा भी कर दी थी। अब इसी नीति के कारण ही मनीष सिसोदिया के साथ-साथ अन्य अनेक संबंधित अधिकारियों तथा ठेकेदारों को इसके लिए उत्तदायी होना पड़ रहा है।
पंजाब में भी ऐसी ही शराब नीति लागू करने के कारण यहां पर भी बड़ी हलचल दिखाई दे रही है। शराब के बड़े कारोबारी दीप मल्होत्रा के बेटे गौतम मल्होत्रा की गिरफ्तारी के बाद की गई पूछताछ में काफी घोटाले सामने आ रहे हैं। पंजाब में चाहे मुख्यमंत्री ने भ्रष्टाचार विरोधी अभियान चला रखा है तथा इसका ज्यादातर निशाना विपक्षी पार्टियों के नेताओं को बनाया जा रहा है परन्तु यह बात किसी से छिपी  हुई नहीं है कि राज्यसभा की सदस्यता देने के लिए क्या कुछ किया गया था। आज प्रदेश भर में भी ऐसे समाचार लगातार मिल रहे हैं, जिनके कारण भ्रष्टाचार के विरुद्ध लगातार की जा रही बयानबाज़ी भी ठुस्स होती जा रही है। आगामी समय में मनीष सिसोदिया तथा समय-समय पर भ्रष्टाचार के आधार पर जेल में बंद आम आदमी पार्टी के अन्य नेता अपनी छवि को कैसे बचा पाएंगे, पार्टी के समक्ष यह एक बड़ा सवाल आ खड़ा हुआ है।


—बरजिन्दर सिंह हमदर्द