निराशाजनक बजट

चाहे आम आदमी पार्टी की सरकार को बने हुए एक वर्ष का समय ही हुआ है परन्तु वित्त मंत्री हरपाल सिंह चीमा द्वारा 1.96 लाख करोड़ का यह दूसरा बजट पेश किया गया है। चाहे इसमें कोई नया टैक्स नहीं लगाया गया परन्तु इस बजट में कोई बड़ी उम्मीदों की झलक दिखाई नहीं देती। वित्त मंत्री ने पिछली सरकारों द्वारा प्रदेश के सिर पर चढ़ाये गए ऋण का ज़िक्र ज़रूर किया है तथा उस ऋण की राशि में से कुछ राशि का मूल तथा उससे अधिक ब्याज चुकाने की बात भी की है। हम उनकी इस बात से सहमत हैं कि पिछली सरकारों ने लगातार आमदन से अधिक खर्च करके प्रदेश को ऋणी बना दिया है परन्तु नई सरकार भी इसी रास्ते पर चलती ही दिखाई दे रही है। एक वर्ष से भी कम समय में उसने 40,000 करोड़ से भी अधिक राशि उधार ले ली है। इससे रोज़गार, शिक्षा तथा स्वास्थ्य के क्षेत्रों में कोई बड़े कार्य शुरू किए गए हों ऐसा कुछ भी दिखाई नहीं देता। चाहे उसने जल्दबाज़ी में सरकार बनने से पूर्व की गई अपनी कुछ घोषणाओं को पूरा करके दिखाने की ज़िद्द ज़रूर पूरी की है परन्तु क्रियात्मक रूप में इनका लोगों को कितना लाभ होगा, उस संबंध में अनिश्चितता बनी हुई है।
चाहे सरकार ने मोहल्ला क्लीनिकों के संबंध में अपने दावे को पूरा किया है, परन्तु इस कदम का लाभ उसे कम हुआ है, लेकिन व्यापक स्तर पर उसे आलोचना का ज़रूर सामना करना पड़ा है क्योंकि उसने इस क्षेत्र में स्वास्थ्य सेवाओं को और भरपूर बनाने तथा पहले ही स्थापित मूलभूत ढांचे के और नवीकरण करने के स्थान पर एक ऐसा बिखराव किया है, जिसे सम्भालना उसके लिए भी मुश्किल हो गया है। पुराने स्वास्थ्य केन्द्रों को ही रंग-रोगन करके मोहल्ला क्लीनिकों का नाम ज़रूर दे दिया गया है परन्तु उनमें डाक्टरों, फार्मासिस्टों तथा अन्य स्टाफ की कमी पाई जा रही है। दवाइयों की भी पूर्ति नहीं हो रही। शैक्षणिक क्षेत्र में भी वह ‘स्कूल ऑफ ऐमीनैंस’ के नाम पर 9 से 12 तक की कक्षाओं के विद्यार्थियों के लिए अलग तरह से स्कूल खोलने की बात कर रही है, परन्तु ज़रूरत इनके स्थान पर पहले ही खुले हज़ारों स्कूलों को और बेहतर बनाने की है। जहां तक घरों को मुफ्त बिजली देने का संबंध है चाहे यह कदम उठा कर उसने प्रशंसा प्राप्त करने का प्रयास किया है परन्तु इसके साथ पॉवरकाम की हालत में आए अवसान से प्रतीत होता है कि आगामी समय में बिजली सेवाएं बुरी तरह लड़खड़ा जाएंगी क्योंकि सरकार के पास पैसों की कमी होने के कारण वह बिजली के उत्पादन में आने वाले खर्च की पूर्ति कैसे करेगी। मौजूदा समय में यह बात समझ से बाहर दिखाई देती है, 300 यूनिट बिजली मुफ्त करके भी उसने बिजली की मांग को बेहद बढ़ा दिया है। जो पावरकॉम के लिए पूरी करनी बेहद मुश्किल होगी। इसलिए आगामी समय में बिजली संकट के पैदा होने का अंदेशा बन गया है। प्रशासन पर ढीली पकड़ होने के कारण सरकार राजस्व के अपने अनुमानों से भी कहीं पीछे रह गई है, उदाहरणत: सरकार बनने से पहले इसके नेताओं ने ज़ोर-शोर से यह दावा किया था कि सिर्फ रेत की बिक्री से ही उन्हें  20,000 करोड़ रुपये की वार्षिक आय होगी। यह दावा पूरी तरह से फुस्स हो चुका है क्योंकि यह आय हज़ारों के स्थान पर सैकड़ों के आंकड़े पर पहुंचने के लिए हांफती दिखाई दे रही है। प्रदेश की आबकारी नीति भी अब विवादों के घेरे में आ चुकी है। इसके ढीली तथा कमज़ोर चाल चलने के कारण यह अपने निर्धारित परिणामों के निकट भी नहीं पहुंच सकी। प्रदेश में बाहर से बड़ी कम्पनियां लाकर रोज़गार के अवसर बढ़ाने के यत्न अभी अधिक सफल नहीं हो सके, चाहे बयानों में तो इस निवेश संबंधी बड़ी-बड़ी बातें की जा रही हैं परन्तु क्रियात्मक रूप में बड़ी कम्पनियां प्रदेश में निवेश करने से हिचकिचाने लगी हैं क्योंकि उद्योगपतियों को प्रदेश का माहौल अनुकूल नहीं दिखाई देता। चिन्ताजनक बात यह है कि अब हर तरह के उद्योग प्रदेश से पलायन करते जा रहे हैं।
वित्त मंत्री ने बजट में जिन योजनाओं को लागू करने का ज़िक्र किया है, उनमें से ज्यादातर योजनाएं केन्द्र सरकार द्वारा ही चलाई जा रही हैं। प्रदेश के अपने स्रोतों से इनमें कोई वृद्धि नहीं की गई। कृषि प्रधान प्रदेश में पूर्व सरकारों द्वारा बिजली मुफ्त देने की घोषणाएं ़गैर-उत्पादक साबित हुई हैं, जिनमें और वृद्धि करके इस सरकार ने आगामी समय में आर्थिक चुनौतियों को और भी बढ़ा दिया है। इस बजट की बड़ी त्रुटि यह भी है कि इसमें यह स्पष्ट नहीं किया गया कि अलग-अलग क्षेत्रों के लिए जो राशि बजट में निर्धारित की गई है वह कहां से आएगी? लोगों को सन्देह है कि यह सरकार भी पूर्व सरकारों की भांति प्रदेश को और भी अधिक ऋण में डुबो देगी। इसीलिए ही इस बजट से उम्मीदें पैदा नहीं हुईं, अपितु प्रदेश में वोट बैंक की राजनीति के तहत ऋण लेकर मुफ्त सुविधाएं देने की पूर्व सरकारों वाली ही नीतियों को आगे बढ़ाना प्रदेश के लिए घातक हो सकता है।

—बरजिन्दर सिंह हमदर्द