बिगड़ते हालात


साल भर से अमृतपाल सिंह चर्चा का विषय बना रहा है। किसान आंदोलन के दौरान प्रसिद्ध अभिनेता दीप सिद्धू ने ‘वारिस पंजाब दे’ नाम का संगठन बनाने का ऐलान किया था। उसके शीघ्र बाद एक सड़क हादसे में दीप सिद्धू की मौत हो जाने के बाद अमृतपाल सिंह का पंजाब आगमन और एक दम किस तरह उसका यहां उभार हुआ, यह हैरानी की बात ज़रूर रही है। वह दुबई में ट्रकों के कारोबार से जुड़ा हुआ था। वहां उसने सिख स्वरूप धारण किया और पंजाब में आकर अमृत छका। फिर उसने अपने आप को ‘वारिस पंजाब दे’ संगठन का वारिस होने का ऐलान कर दिया जबकि दीप सिद्धू के परिवार का कहना है कि वह अमृतपाल को नहीं जानते और न ही उसके बारे में उनको बहुत कुछ पता है। उसके कुछ समर्थकों ने संत जरनैल सिंह भिंडरांवाले के गांव जाकर एक सम्मेलन में उसकी दस्तारबंदी करके उसको ‘वारिस पंजाब दे’ संगठन का अध्यक्ष होने का ऐलान कर दिया। उसके बाद वह लगातार चर्चा में बना रहा है।
उसके ब्यान अक्सर विवादित रहे हैं, जिन्होंने समय-समय पर पंजाब के अलग-अलग भाईचारों में सहम भी पैदा किया। नौजवानों को अमृत छकाने और नशा छुड़ाने के लिए उसने लहर बनाने का यत्न किया लेकिन इसके साथ ही उसके द्वारा काफी संख्या में हथियारबंद नौजवानों को साथ लेकर चलने, खालसा राज तथा खालिस्तान की बात करने से राज्य में बड़ी चर्चा और चिंता भी पैदा हुई। यहां तक कि उसने एक बड़े राष्ट्रीय नेता को भी यह धमकी दी कि यदि उन्होंने खालिस्तान आंदोलन को रोकने की कोशिश की तो उनका हाल भी इंदिरा गांधी जैसा होगा। गुरुद्वारों में अपनी मर्यादा चलाने के नाम पर उसने दबाव की नीति अपनाई। जालन्धर में एक बड़े गुरुद्वारा साहिब में दाखिल होकर दीवान हाल के पीछे रखी कुर्सियों की उसने तथा उसके साथियों ने तोड़-फोड़ भी की। पुलिस यह सब कुछ देखती रही। विगत माह उसके तथा उसके कुछ साथियों के खिलाफ एक अन्य सिख युवक वरिन्दर सिंह की मारपीट की रिपोर्ट अजनाला पुलिस स्टेशन में दर्ज हुई थी। पुलिस ने इस संबंध में उसके एक साथी लवप्रीत सिंह तूफान को गिरफ्तार भी कर लिया था। अमृतपाल ने प्रत्यक्ष रूप में अपने साथी को छुड़ाने के लिए पुलिस को धमकियां दीं तथा बाद में एक पालकी में श्री गुरु ग्रंथ साहिब की सवारी लेकर भारी संख्या में अपने साथियों के साथ उस पुलिस थाने पर हमला कर दिया, जिसमें एस.एस.पी. सहित कुछ पुलिस कर्मी घायल हो गए। इस घटना से कई सप्ताह की देरी के बाद अब प्रशासन ने इस प्रकार की बड़ी कार्रवाई क्यों की है, यह तो प्रशासन को ही पता होगा, परन्तु इसने लोगों में बड़ी दहशत एवं बेचैनी अवश्य पैदा कर दी है। जिस प्रकार का तनाव बना है तथा जो घटनाक्रम घटित हो रहा है, उससे प्रशासन की योग्यता पर बड़ा प्रश्न-चिन्ह लगा है। पाकिस्तान के अतिरिक्त विदेशों में बैठे खाड़कू संगठनों के सदस्यों ने जिस प्रकार के प्रदर्शन किये हैं, वे चिन्तित करने वाले हैं। इससे पंजाब तथा देश के कई अन्य भागों में माहौल के बिगड़ने की आशंका बनी नज़र आ रही है। जहां तक पंजाब का संबंध है, यहां खालिस्तान की कोई लहर नहीं है, न ही लोगों द्वारा इस प्रकार की किसी गतिविधि को कोई अधिक समर्थन ही दिया जा रहा है। जहां तक सिख धर्म का संबंध है, हमारी सोच के अनुसार यह सरबत का भला मांगने वाला धर्म है। इस का विशेष कार्य मानवता की सेवा है। इससे सर्व-सांझीवालता की भावनाओं का संचार होता है।
सिख समुदाय आज किसी एक क्षेत्र तक सीमित नहीं है, बल्कि विश्व भर में फैला हुआ है और अपनी मान्यताओं के अनुसार विचरण करते हुए अच्छे कार्यों को प्राथमिकता दे रहा है। अपनी मेहतन, सहिष्णुता तथा दूरदर्शिता से इसने विश्व भर में अपनी पहचान बनाई है। सिख गुरुओं ने भी मानवता के भले के लिए हमेशा ऐसे ही संदेश दिये हैं।  पहले भी भाईचारे के संकीर्ण सोच रखने वाले कुछ लोगों की कार्रवाइयां के कारण पंजाब ने लम्बे समय तक संताप भोगा है। उस कारण पहले ही नौजवानों तथा भाईचारे का देश तथा दुनिया में बड़ा नुक्सान हो चुका है। ऐसे अमल आने वाले समय में भी कौम की प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचाने वाले सिद्ध हो सकते हैं। प्रशासन को अमृतपाल सिंह के घटनाक्रम से बेहद सूझ तथा समझदारी से निपटने की आवश्यकता होगी ताकि मामला और भी गंभीर रूप धारण न कर सके और पंजाब को पुन: किसी अप्रत्याशित संताप में से न गुज़रना पड़े। 
         

  —बरजिन्दर सिंह हमदर्द