क्या भाजपा के अभेद्य किले में सेंध लगा सकेगा विपक्ष ?

 

अगर सब कुछ ठीक-ठाक रहा तो अगले साल के शुरू में देश में लोकसभा चुनावों की हलचल बढ़ जाएगी। सभी दल अपने-अपने घोषणा-पत्र को अंतिम रूप दे रहे होंगे और प्रत्याशियों के नामों पर भी अंतिम विचार चल रहा होगा। फिज़ाओं में लोकसभा चुनाव का पूरा माहौल बन गया होगा। दरअसल, यह चुनाव आज़ाद भारत का एक ऐसा चुनाव होगा जब कांग्रेस को छोड़ कर किसी दूसरी पार्टी की सत्ता की पारी दशकीय सीमा लांघकर एक नई तारीखी लकीर खींच सकती है। इस चुनाव के लिहाज से राज्यों की राजनीति भी गरमा रही है। अगर भाजपा की बात करें तो देश के सबसे बड़े प्रदेश में उसकी निश्ंिचतता का आलम कुछ और ही है। वैसे भी दिल्ली के राजनीतिक  गलियारों में यह बात शुरू से कही और मानी जाती रही है कि देश की सत्ता का मार्ग उत्तर प्रदेश से होकर ही गुज़रता है। इस प्रदेश ने देश को अब तक सबसे ज्यादा प्रधानमंत्री दिए हैं। आज अगर गुजरात से निकलकर देश की राजनीति का ध्रुव बनकर नरेंद्र मोदी उभरे हैं तो वह भी यहीं से दो-दो बार निर्वाचित हुए हैं। 
देश की सबसे बड़ी पंचायत संसद के निचले सदन यानी लोकसभा के लिए 80 सांसदों को चुनकर भेजने वाले इस प्रदेश की सियासी अहमियत निर्विवाद है। यहां पर भाजपा का प्रदर्शन लगातार सुधरा है। पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा ने अपनी जीत को दोहराया ही नहीं है, बल्कि वह लगातार विपक्ष की राजनीतिक ज़मीन को कमज़ोर भी कर रही है। आस्था और विकास की नई प्रयोगशाला बनकर उभरा उत्तर प्रदेश आगामी लोकसभा चुनाव में विपक्ष के लिए कड़ी चुनौती पेश करेगा। उत्तर प्रदेश में विपक्ष तो पहले से ही तार-तार हो चुका दिखाई दे रहा है। 
बेशक, यह समझना दिलचस्प है कि विपक्ष की राजनीति का केंद्र रहा उत्तर प्रदेश मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अगुवाई में किस तरह भाजपा के अभेद्य किले के तौर पर लगातार मज़बूत होता गया है। 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा ने प्रदेश की 80 में से 64 सीटें अपने दम पर जीती थीं। इसी तरह वर्ष 2022 में हुए विधानसभा चुनाव में भी भाजपा ने अपने दम पर कुल 403 सीटों में से 225 सीटें जीत कर उत्तर प्रदेश की सत्ता में धमाकेदार वापसी की। अपने सहयोगियों के साथ भाजपा की सीटों का आंकड़ा 272 तक पहुंच गया। इस जीत ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की लोकप्रियता को बढ़ा दिया। उसके बाद से राज्य में हुए लगभग सभी उप-चुनावों में भाजपा ने ही जीत दर्ज की है।
उत्तर प्रदेश में विपक्ष के बिखराव की तस्वीर साफ  है। मतों के लिहाज से प्रदेश में अपनी प्रभावी उपस्थिति रखने वाली समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के बीच सुलह की संभावना आज दूर-दूर तक नहीं दिखती। लोकदल का असर कुछ जिलों तक ही सीमित है।  इधर, कांग्रेस का जनाधार इस प्रदेश में लगभग समाप्त हो चुका है। ऐसे में भाजपा के सामने विपक्ष की चुनौती बेहद कमज़ोर है। आंकड़ों से परे जाकर यदि यह मान भी लिया जाए कि हर चुनाव का अपना एक अलग गणित होता है, अपना एक अलग मिज़ाज होता है तो भी यह चुनाव विपक्ष के लिए आसान नहीं होगा क्योंकि प्रधानमंत्री के रूप में नरेन्द्र मोदी की लगातार बढ़ती लोकप्रियता के अलावा, उत्तर प्रदेश में योगी की गुण्डा तत्वों के खिलाफ सख्ती और उनकी भ्रष्टाचार मुक्त कार्यशैली का मॉडल लोगों के मन में स्थायी जगह बना चुका है।       
 उत्तर प्रदेश में एक्सप्रेस-वे की भरमार, जनकल्याण की योजनाएं, भ्रष्टाचार के खिलाफ  नो टॉलरेंस की नीति और रोज़गार के अवसर पैदा करना आदि कुछ ऐसे कदम हैं, जिनके दम पर उत्तर प्रदेश आज औद्योगिक प्रदेश बनने की दिशा में तेज़ी से आगे बढ़ रहा है। यूरोप, अमरीका और खाड़ी देशों के निवेशकों के लिए उत्तर प्रदेश पहली पसंद बन गया है। इसका बड़ा कारण मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के शासनकाल में प्रदेश में निवेशकों को मिलने वाला सुरक्षित और भ्रष्टाचार मुक्त माहौल है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गत 10 फरवरी को जब उत्तर प्रदेश  वैश्विक निवेशक सम्मेलन-2023 का शुभारंभ करने लखनऊ पहुंचे थे तो उन्होंने देश और दुनिया के सामने प्रदेश की बदली छवि को प्रस्तुत करते हुए कहा था कि आज उत्तर प्रदेश आशा और प्रेरणा का स्रोत बन गया है। उन्होंने कहा था कि अब उत्तर प्रदेश की पहचान सुशासन, बेहतर कानून-व्यवस्था, शांति और स्थिरता से होती है, तो इसके पीछे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में प्रदेश भर में सामाजिक और आर्थिक रूप से हो रहा बदलाव है। इस निवेशक सम्मेलन के माध्यम से प्रदेश में रिकार्ड 31 लाख करोड़ रुपये के निवेश के प्रस्ताव प्राप्त हुए। देश के जाने-माने अर्थशास्त्रियों का भी मानना है कि मुख्यमंत्री योगी के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश आज भेदभाव, पक्षपात, जातिवाद और क्षेत्रवाद की सियासत से ऊपर उठकर ‘सबका साथ-सबका विकास-सबका विश्वास’ की नीति पर चलते हुए समग्र व संतुलित विकास की दिशा में अद्वितीय उदाहरण प्रस्तुत कर रहा है। 
योगी सरकार ने हाल ही में वर्ष 2023-24 के लिए लगभग 6,90,242.43 करोड़ रुपये का बजट पेश कर प्रदेश को नया रूप और मज़बूती देने का मार्ग प्रशस्त किया है। ऐसे में यह देखना होगा कि विभाजित विपक्ष आगामी लोकसभा चुनाव में भाजपा के इस अभेद्य किले में सेंध लगा पाने की हिम्मत भी जुटा पाता है या नहीं।
(लेखक वरिष्ठ संपादक, स्तंभकार और पूर्व सांसद हैं)