सलमान की दीवानी  सोमी अली 

सोमी अली ने 1991 में फिल्म ‘मैंने प्यार किया’ देखते ही कहा था, ‘मैं इस हीरो (सलमान खान) से शादी करूंगी।’ उन्होंने अपनी मां से कहा कि वह कल भारत जा रही हैं। उनकी मां ने इजाज़त देने से साफ मना कर दिया। वह ज़िद पर अड़ी रहीं कि उन्हें भारत जाकर सलमान खान से शादी करनी है। उस रात उन्होंने सपना देखा कि उन्हें मुंबई जाकर सलमान से शादी करनी है क्योंकि वही उनके सेवियर बनेंगे। फिर भी उनकी मां मानने के लिए तैयार नहीं हुईं। सोमी अली ने अपने पिता को कॉल किया और झूठ कहा कि वह भारत जाकर मुंबई में जो उनके रिश्तेदार हैं, उनसे मिलना चाहती हैं और उनका सबसे बड़ा सपना ताजमहल देखने का है (जिसे उन्होंने आज तक नहीं देखा है)।
सोमी अली का जन्म पाकिस्तान में हुआ था, जहां वह कुछ वर्षों तक रहीं और फिर मियामी में रहने लगीं। इसलिए उन्होंने एक सप्ताह पाकिस्तान में गुज़ारा और फिर भारत में आकर एक पांच-सितारा होटल में रहने लगीं। लोग उनका मज़ाक उड़ाते थे कि वह ‘स्ट्रगलिंग एक्टर’ हैं और फाइव-स्टार में रह रही हैं। किशोरावस्था में मन बहुत चंचल होता है, कहां डोल जाये कुछ कहा नहीं जा सकता। बड़े पर्दे पर जो कलाकार दिखायी देते हैं, उनसे किशोर इतने अधिक प्रभावित हो जाते हैं कि अक्सर उनके लिए कुछ भी कर बैठते हैं; ऐसा कुछ जिसकी कल्पना करना भी कभी कभार कठिन होता है। सोमी अली ऐसी ही किशोरी थीं। जैसा कि ऊपर बताया गया, 1991 में वह जब मात्र 16 बरस की थीं, तो सब कुछ छोड़छाड़ कर मुंबई आ गईं, हीरोइन बनने के लिए नहीं बल्कि अपने टीनएज क्रश सलमान खान से शादी करने के लिए। इसके एक वर्ष बाद सोमी अली ने न सिर्फ सलमान खान से मुलाकात की बल्कि जल्द ही उन्हें डेट भी करने लगीं। इस रिलेशनशिप पर 1999 में विराम लगा और सोमी अली वापस अपने घर अमरीका लौट गईं अपनी शिक्षा पूरी करने के लिए। हां, अपने मुंबई प्रवास के दौरान उन्होंने ‘कृष्ण अवतार’, ‘अंत’, ‘यार गद्दार’, ‘तीसरा कौन?’, ‘आओ प्यार करें’, ‘आंदोलन’, ‘माफिया’, ‘चुप’ आदि भूल जाने लायक फिल्में भी कीं, लेकिन बकौल उनके वह ‘हमेशा ही फिल्मोद्योग में मिसफिट’ रहीं क्योंकि ‘एक अदाकारा के रूप में मैं प्रत्येक निर्देशक का नाईटमेयर (डरावना सपना) रही और रिहर्सल्स पर जाने से इंकार करती रही; मेरा एकमात्र उद्देश्य तो सलमान से शादी करने का था’।
  सोमी अली का बॉलीवुड में कोई संपर्क नहीं था, फिर भी उन्हें बहुत आसानी से ब्रेक मिल गया। हुआ यह कि उन्होंने विख्यात फोटोग्राफर गौतम राजाध्यक्ष से अपना पोर्टफोलियो तैयार कराया, जिन्होंने उन्हें एक खास प्रोडक्शन हाउस में जाने के लिए कहा। जब वह वहां गईं तो संयोग से वहां सलमान खान अपने कुछ दोस्तों से मिलने के लिए आये हुए थे; सलमान खान ने तो उन्हें देख लिया, लेकिन उन्होंने सलमान खान को नहीं देखा। वहां ‘बुलंद’ फिल्म (जो कभी रिलीज़ नहीं हुई) के लिए कास्टिंग चल रही थी। सोमी अली की तस्वीरें देखने के बाद उन्हें ऑडिशन के लिए कहा गया और उन्होंने फिल्म साइन कर ली। इसके बाद उन्हें और फिल्में मिलने लगीं। सब कुछ परीकथा की तरह चला, लेकिन दुर्भाग्य से अंत परीकथाओं वाला नहीं हुआ। राजकुमारी को अपना राजकुमार हमेशा के लिए नहीं मिला। 1997 में फिल्म ‘चुप’ के बाद सोमी अली पूर्णत: चुप हो गईं और भारत छोड़कर चली गईं।
दिसम्बर 1999 में सोमी अली अमरीका लौट गईं, जिसका मुख्य कारण यह था कि सलमान खान से उनका संबंध बहुत खराब हो गया था, खासकर इसलिए कि उन्होंने वही गलतियां कीं जो कम उम्री में किशोर अक्सर कर ही बैठते हैं। ध्यान रहे कि सोमी अली ने 9वीं कक्षा में ही पढ़ाई छोड़ दी थी, यानी वह शिक्षित नहीं थीं, जिससे गुमराह होने व दूसरों के बहकावे में आने की आशंकाएं अधिक थीं और यही हुआ भी। बहरहाल, जब सोमी अली का खुद का सपना टूटा तो उन्हें अपने जीवन का असल मकसद समझ में आया। अपनी शिक्षा पूर्ण करने के बाद उन्होंने अपनी संस्था ‘नो मोर टीयर्स’ आरंभ की, जो उन व्यक्तियों की मदद करती है जो मानसिक या शारीरिक उत्पीड़न व शोषण का शिकार हुए होते हैं। सोमी अली का अब फिल्मों या मनोरंजन की दुनिया में लौटने का कोई इरादा नहीं है। अब अगर आप मानसिक या शारीरिक तौर से उत्पीड़ित हैं तो उनकी संस्था आपकी मदद करने के लिए तैयार है। वह बताती हैं, ‘हमने पहले भी भारत के अनेक पीड़ितों को सहारा दिया है और उन्हें खुशहाल जीवन व्यतीत करने में मदद की है।’
सलमान से संबंध समाप्त होने के बाद वह घर लौटीं, अपनी शिक्षा पूर्ण की और यही उनके जीवन का बेहतर निर्णय था। अगर वह ऐसा न करतीं तो उनके संगठन ‘नो मोर टीयर्स’ से हज़ारों लोग फायदा न उठा पाते। सोमी अली बताती हैं, ‘मुझे लगता है कि मुझे एक उच्च शक्ति ने इस ग्रह पर यह काम करने के लिए भेजा है। मियामी लौटने पर मैंने मनोविज्ञान में डिग्री हासिल की और मेरे पास पीड़ित अधिवक्ता का सर्टिफिकेट भी है, इसलिए मेरे पास पीड़ित बच्चों, पुरुषों व महिलाओं के साथ कार्य करने की ट्रेनिंग भी है। मेरे पास ब्रॉडकास्ट जर्नलिज्म में मास्टर्स डिग्री भी है।’ पीड़ितों की मदद करने की प्रेरणा सोमी अली को अपने व्यक्तिगत अनुभवों से मिली है। उन्होंने अपने घर में घरेलू हिंसा देखी। पांच से नौ वर्ष की आयु तक उनके घर के नौकर ने उनका यौन शोषण किया। जब वह 11 वर्ष की थीं तो अमरीका में उनके साथ बलात्कार हुआ और बाद में वह घरेलू हिंसा की भी शिकार हुईं।
संक्षेप में यह कि उनके साथ जो कुछ बुरा हुआ उससे उन्होंने बहुत कुछ अच्छा निकालने का प्रयास किया, जिसमें वह अपनी संगठन के ज़रिये सफल भी हैं। वह कहती हैं, ‘आप खुद पर अफसोस करें या विजेता बनने की कोशिश करें और यह सुनिश्चित करें कि जो कुछ आपके साथ हुआ है वह किसी दूसरे के साथ न हो।’ अब सोमी अली ऐसे किसी व्यक्ति की तलाश में हैं जो उनकी तरह दुनिया को बेहतर बनाने की इच्छा रखता हो, और हां, वह ताजमहल भी देखना चाहती हैं।                

 -इमेज रिफ्लेक्शन सेंटर