भाजपा, कांग्रेस तथा क्षेत्रीय पार्टियां


कांग्रेस नेता राहुल गांधी को पहले सूरत की एक अदालत द्वारा मानहानि के एक मामले में दो वर्ष की सज़ा सुनाये जाने के बाद उनकी लोकसभा की सदस्यता रद्द करने से जहां कांग्रेस में बड़ा रोष पैदा हुआ है, वहीं बड़ी क्षेत्रीय पार्टियां भी कांग्रेस के साथ इस मामले पर एकजुट होकर खड़ी हुई हैं। इससे यह प्रभाव ज़रूर मिलता है कि आगामी समय में विपक्षी पार्टियों में चुनावों के दौरान भाजपा के विरुद्ध खड़े होने के लिए कोई  मोर्चा बन सकता है। इस वर्ष भी मध्य प्रदेश तथा कर्नाटक, राजस्थान, छत्तीसगढ़ आदि प्रदेशों में विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं जिन्हें वर्ष 2024 में होने वाले लोकसभा चुनावों के प्रभाव के पहले कदम के रूप में देखा जा रहा है, परन्तु अभी भी बहुत-सी क्षेत्रीय पार्टियां जिस तरह विचरण कर रही हैं, उससे मौजूदा समय में किसी संयुक्त मोर्चे के बनने की सम्भावना नहीं प्रतीत होती। इनमें से कई पार्टियां तो भाजपा तथा कांग्रेस को दर-किनार करके कोई तीसरा मोर्चा खड़ा करने संबंधी सोच रही हैं। पिछले दिनों इस संबंध में राजनीतिक स्तर पर जो गतिविधियां देखी गईं, उनसे तीसरा मोर्चा बनाये जाने की सम्भावना अधिक उजागर होती है। 
तेलंगाना में के. चन्द्रशेखर राव जो प्रदेश का मुख्यमंत्री होने के साथ-साथ भारत राष्ट्र समिति के प्रमुख भी हैं, ने जहां देश भर में अपने उभार के लिए अधिक सक्रियता दिखानी शुरू की है, वहीं साथ ही दोनों बड़ी राष्ट्रीय पार्टियों से अपने अलग उभार की बात भी कही है। पश्चिमी बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बैनर्जी भी विगत लम्बी अवधि से बड़ी सक्रियता दिखाते हुए बड़ी क्षेत्रीय पार्टियों के नेताओं के साथ लगातार मुलाकातें करती रही हैं। उड़ीसा में उन्होंने मुख्यमंत्री नवीन पटनायक के साथ मुलाकात की जिसमें दोनों ने ही देश में मज़बूत संघीय ढांचे की बात करते हुए लोकतांत्रिक अधिकारों की भी बात की है। इसके बाद वह कोलकाता में जनता दल (सैकुलर) के पूर्व मुख्यमंत्री एच.बी. कुमारस्वामी से भी मिलीं। दिल्ली में उन्होंने लगातार विपक्षी पार्टियों के नेताओं के साथ अपनी बैठकों का सिलसिला जारी रखा हुआ है। गत दिवस कोलकाता में उन्होंने समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव के साथ भी बातचीत की। ममता बैनर्जी भी यही यत्न कर रही हैं कि वह कांग्रेस तथा भाजपा से दूरी बना कर बड़ी क्षेत्रीय पार्टियों को एकजुट करने का यत्न करें। इस संबंध में वह बिहार के मुख्यमंत्री नितीश कुमार के साथ भी सम्पर्क में हैं।
अखिलेश यादव ने भी आगामी वर्ष लोकसभा चुनावों के लिए मोर्चा बनाने की बात करते हुए यह कहा है कि राष्ट्रीय पार्टी कांग्रेस के लिए अब भी यह सोचने का समय है कि उसने सम्भावित मोर्चे के लिए किस तरह की भूमिका अदा करनी है। उन्होंने उत्तर प्रदेश भाजपा के नेतृत्व वाली योगी सरकार की बेरोज़गारी तथा बिजली के संकट को लेकर आलोचना भी की है। यादव ने केन्द्र सरकार पर अपनी एजेंसियों को अन्य पार्टियों के विरुद्ध लगातार प्रयुक्त किए जाने का आरोप भी लगाया है। नि:सन्देह आगामी वर्ष देश की राजनीति में महत्त्वपूर्ण होगा परन्तु अभी तक समूचे रूप में यह प्रभाव ज़रूर बना हुआ है कि नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा का एक शक्तिशाली पार्टी के रूप में उभार देखा जा सकता है, जो देश की सभी राजनीतिक पार्टियों के लिए एक बड़ी चुनौती सिद्ध हो सकता है।


—बरजिन्दर सिंह हमदर्द