चौंकाती नहीं, डराती है डाटा की इतनी बड़ी डकैती!

साइबराबाद (हैदराबाद) मेट्रोपोलिटिन पुलिस के कमिश्नर एम. स्टीफेन रवींद्र ने गत 25 मार्च, 2023 को डाटा चोरी के एक ऐसे गम्भीर मामले को उजागर किया है, जिस पर एकबारगी किसी को यकीन ही नहीं होगा। जी हां, आखिर आप कितने लोगों के एक साथ डाटा लीक होने या इसे चुराये जाने की कल्पना कर सकते हैं? हज़ार, कुछ लाख, जी नहीं, साइबराबाद पुलिस के मुखिया ने 16.8 करोड़ इंटरनेट यूजर्स का विभिन्न तरह का डाटा लीक होने का खुलासा किया है। इसके लिए देश की राजधानी दिल्ली और दिल्ली से सटे नोएडा से एक हैकर गैंग के 7 लोगों को गिरफ्तार किया गया। लेकिन अपनी अकल्पनीय संख्या के कारण डाटा चोरी का यह मामला, महज चौंकाता नहीं है बल्कि बहुत गहरे तक झकझोर देने वाले डर से रूबरू कराता है, क्योंकि यह गैंग पता नहीं किस उद्देश्य से या किसके इशारे पर सोशल मीडिया के विभिन्न प्लेटफार्मों पर मौजूद लोगों की निजी जानकारियां चुरा रहा था, लेकिन सोचें तो इनकी यह हरकत बहुत डरावनी है। क्योंकि इन्होंने स्वीकार किया है कि 50 हज़ार लोगों के डाटा को इन्होंने बहुत कम पैसों में साइबर अपराधियों को बेच दिया है।
इस बात को जानकर हैरानी होती है कि इन डाटा चोरों के निशाने पर किस तरह के लोग थे। नोएडा और दूसरी जगहों से तीन कम्पनियों (कॉल सेंटर) के ज़रिये जिन लोगों का डाटा चोरी किया गया है, उनमें 11 लाख सरकारी कर्मचारी हैं, 1.20 करोड़ वाट्सएप यूजर्स हैं, 17 लाख फेसबुक यूजर्स हैं, 2 करोड़ स्टूडेंट हैं जिनमें 12वीं क्लास के छात्रों के साथ साथ विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं के छात्र भी हैं, इनमें 40 लाख बेरोज़गार हैं, 15 लाख आईटी प्रोफेशनल्स हैं, 1.47 करोड़ ऐसे लोग हैं, जो विभिन्न तरह की गाड़ियों (कार से लेकर व्यापारिक वाहन तक) के मालिक हैं और 3 करोड़ से ज्यादा ऐसे सामान्य लोग भी इस डाटा चोरी का शिकार हुए हैं, जो सोशल मीडिया के विभिन्न प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल करते हैं। इनमें गृहिणियां, छोटे दुकानदार और बड़ी तादाद में रोज़गार की तलाश में लगे बेरोज़गार भी हैं। इन डाटा चोरों ने लोगों के फोन नम्बर, ईमेल आईडी, पोस्टिंग डिटेल्स, बैंक संबंधी जानकारियां, हस्ताक्षर का नमूना, शिक्षा, व्यापार, मेडिकल डिटेल, बीमा, रिहाइश, शौक, हाल में की गई यात्राएं, किन कम्पनियों के फोन इस्तेमाल करते हैं, जैसी विस्तृत जानकारियों की चोरी की है।
इस बड़ी डाटा डकैती से क्या-क्या नुकसान हो सकते हैं, इसे तो हम आगे जानेंगे। पहले यह जान लेते हैं कि आखिर डाटा होता क्या है और यह हमारे लिए कितना महत्वपूर्ण है? दरअसल कम्प्यूटर द्वारा प्रोसेस की जा सकने वाली हर सामग्री डाटा होती है। इसमें किसी का रिज्यूमे, उसकी विस्तृत प्रोफाइल, बैंक और विभिन्न तरह के डिजिटल दस्तावेज़, जीवन से संबंधित किसी भी क्षेत्र के महत्वपूर्ण आंकड़ों सहित हर वह जानकारी जो किसी व्यक्ति के निजी, सार्वजनिक और प्रोफेशनल जीवन को प्रभावित करती है, डाटा कहलाती है। अगर और पारिभाषिक अभिव्यक्ति में जाएं तो सभी तरह के स्वीकृत तथ्य व निर्दिष्ट सिद्धांत भी डाटा के ही अंतर्गत आते हैं। अगर कहा जाए कि आज की तारीख में हमारा डाटा सोने से भी ज्यादा कीमती है, तो यह अतिश्योक्ति नहीं होगी। आमतौर पर असंशोधित और विस्तृत जानकारियां हमारे लिए कई बार सीधे-सीधे उपयोगी नहीं होंती, लेकिन अपराधी इस असंशोधित जानकारी के समुद्र से ऐसी जानकारियां खोज निकालते हैं, जिनसे हमें नुकसान हो सकता है। इसलिए कम्प्यूटर के भंडार में मौजूद कच्चा डाटा या किसी के बारे में विस्तृत जानकारियां चाहे वह ऑडियो फॉर्मेट में हाें, वीडियो फार्मेट में हों, तस्वीरों में हों, गणित की शक्ल में हों या कैसी भी हों, उन सबका किसी के खिलाफ आपराधिक इस्तेमाल किया जा सकता है। 
इसलिए विशेषज्ञ कहते हैं कि वर्तमान डिजिटल लाइफस्टाइल में डाटा को हल्के में नहीं लेना चाहिए। इसका बहुत नुकसान हो सकता है। बैंकों और विभिन्न वित्तीय संस्थानों से होने वाली धोखाधड़ी के बारे में तो हम हर दिन तरह-तरह की कहानियां सुनते ही रहते हैं और कई तरह के हमारे व्यक्तिगत अनुभव भी हो सकते हैं। लेकिन डाटा सिर्फ  यहीं तक सीमित नहीं होता। यह हमारे बारे में हर वह गोपनीय जानकारी अपने अंदर छिपाये होता है, जो दूसरों के जान लेने से हानिकारक सिद्ध हो सकता है। पिछले कुछ वर्षों में बार-बार डाटा की संवेदनशीलता को लेकर आगाह किया जाता रहा है। बैंक से आये दिन ये संदेश आते रहते हैं कि अपना एकाउंट नंबर, अपना ओटीपी और अपना पिन नंबर किसी के साथ साझा न करें। ज़ाहिर है बैंक इसलिए दिन-रात सावधान करते रहते हैं, क्योंकि उन्हें मालूम है कि हाल के सालों में कितनी तेज़ी से और कितने बड़े पैमाने पर साइबर फ्रॉड हुए हैं और हो रहे हैं। 
डाटा चोरी से होने वाले आर्थिक और वित्तीय नुकसान को तो हम जानते ही हैं, लेकिन इससे हमारी जैविक जानकारी यानी हमारी पहचान के भी लीक होने का खतरा रहता है। कारोबारी हमें खास तरह से बरगलाने की कोशिश कर सकता है। डिजिटल डाटा के जरिये साइबर स्टॉकिंग का भी एक बड़ा खतरा है। कहते हैं तकनीक दो-धारी तलवार होती है। सोशल मीडिया या इंटरनेट के ज़रिये आज दुनिया एक गांव में तब्दील हो गई है, जिसका इस्तेमाल हम अपना कारोबार बढ़ाने, लोगों के साथ सम्पर्क करने और अपनी ज़िंदगी के लिए बेहतर अवसरों की तलाश के रूप में कर सकते हैं। सोशल मीडिया पर मौजूद हमारी सभी गतिविधियां व विभिन्न किस्म का डाटा हमें एक झटके में बर्बाद भी कर सकता है। इसलिए आज की तारीख में डाटा बहुत महत्वपूर्ण हो गया है। ऐसे में सरकारों और विभिन्न सुरक्षा एजेंसियों की यह ज़िम्मेदारी बन जाती है कि वे लोगों के डाटा की सुरक्षा के लिये पूरी तरह गम्भीर हों। 
-इमेज रिफ्लेक्शन सेंटर