हंसी-मज़ाक करने का दिन है ‘मूर्ख दिवस’

 

प्रत्येक वर्ष एक अप्रैल को विश्व भर में ‘मूर्ख दिवस’ मनाया जाता है। ‘फूल्स डे’ का आनंदभाव इसे लोकप्रिय बनाता है। इस दिन मज़े लेने के लिए नौजवान और बच्चे  कई दिन पहले ही तैयारी करने लगते हैं कि किसको और कैसे मूर्ख बनाया जाए।
 एक अप्रैल और मूर्खता के बीच सबसे पहले संबंध का विवरण चौसर के कैंटरबरी टेल्स (1392) में मिलता है। हालांकि अप्रैल फूल की शुरुआत 17वीं सदी से हुई मानी जाती है, परन्तु एक अप्रैल को मूर्ख दिवस के रूप में माना जाना और लोगों के साथ हंसी-मज़ाक करने का सिलसिला सन् 1564 के बाद फ्रांस से शुरू हुआ। इस परम्परा की शुरुआत बड़ी मनोरंजक है। 1564 से पहले यूरोप के लगभग सभी देशों में एक जैसा कैलेंडर प्रचलित था, जिसमे हर नया वर्ष एक अप्रैल से शुरू होता था। उन दिनों एक अप्रैल के दिन को लोग नववर्ष के प्रथम दिन की तरह ठीक इसी प्रकार मनाते थे, जैसे आज हम एक जनवरी को मनाते हैं। इस दिन लोग एक-दूसरे को नववर्ष के उपहार देते थे, शुभ-कामनाएं भेजते थे और एक-दूसरे के घर मिलने जाते थे। सन् 1564 में वहां के राजा चार्ल्स नवम ने एक बेहतर कैलेंडर को अपनाने का आदेश दिया। इस नए कैलेंडर में एक जनवरी को वर्ष का प्रथम दिन माना गया। अधिकतर लोगों ने इस नए कैलेंडर को अपना लिया, लेकिन कुछ ऐसे भी लोग थे जिन्होंने नए कैलेंडर को अपनाने से इन्कार कर दिया था। वह एक अप्रैल को ही वर्ष का पहला दिन मानते थे। ऐसे लोगों को मूर्ख समझकर नया कैलेंडर अपनाने वालों ने एक अप्रैल के दिन विचित्र प्रकार के मज़ाक करने शुरू कर दिए, तभी से एक अप्रैल को लोग ‘मूर्ख दिवस’ के रूप में मनाते हैं।  मूर्ख दिवस खास तौर पर पश्चिमी देशों में मनाया जाता है। फ्रांस में इस दिन मूर्खों, कवियों और व्यंग्यकारों का सात दिवसीय रोमांचक कार्यक्रम होता है। इस मनोरंजक कार्यक्रम में भाग लेने वालों को महिलाओं की ड्रेस पहननी पड़ती है। मूर्ख बने व्यक्ति को पुरस्कृत भी किया जाता है।
चीन में ‘अप्रैल फूल’ के दिन खाली पार्सल भेजने और मिठाई बांटने की परम्परा है। यहां के लोग जंगली जानवरों के मुखौटे पहनकर आने-जाने वाले लोगों को डराते हैं। रोम में  ‘अप्रैल फूल’ सात दिनों तक मनाया जाता है और चीन की भांति खाली पार्सल भेज कर लोगों को मूर्ख बनाया जाता है। जापान में बच्चे पतंग पर इनामी घोषणा लिख कर उड़ाते हैं। पतंग पकड़ कर इनाम मांगने वाला ‘अप्रैल फूल’ बन जाता है। इंग्लैंड में ‘अप्रैल फूल’ के दिन आयोजित कार्यक्रम में हंसी-मज़ाक वाले गीत गाये जाते हैं, तो स्कॉटलैंड में ‘मूर्ख दिवस’ को ‘हंटिंग द कूल’ के नाम से जाना जाता है। मुर्गा चुराना यहां की विशेष परम्परा है। मुर्गे का मालिक भी इसका बुरा नहीं मानता। किसी का मुर्गा चुराना यहां के लोगों का ‘मूर्ख दिवस’ मनाने का तरीका तो है ही, साथ ही नए-नए तरीके ढूंढ़ कर एक-दूसरे को मूर्ख बनाते हैं। 
पारम्परिक तौर पर कुछ देशों जैसे न्यूज़ीलैंड, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण अफ्रीका में इस तरह के मज़ाक दोपहर तक ही किये जाते हैं और अगर कोई दोपहर के बाद इस तरह की कोशिश करता है तो उसे ‘अप्रैल फूल’ कहा जाता है। रूस, नीदरलैंड, जर्मनी, ब्राज़ील, कनाडा और अमरीका में चुटकलों का सिलसिला दिन भर चलता रहता है। 
नन्स प्रीस्ट्स टेल के मुताबिक इंग्लैण्ड के राजा रिचर्ड द्वितीय और बोहेमिया की रानी एनी की सगाई की तारीख 32 मार्च घोषित कर दी गई। जिसे वहां की जनता ने सच मान लिया और मूर्ख बन बैठी। तब से 32 मार्च यानी 1 अप्रैल को अप्रैल फूल डे के रूप में मनाया जाता है। स्पेन के राजा माउन्टो बेर ने एक दिन घोषणा करवाई कि जो सबसे सच ‘झूठ’ लिख कर लाएगा, उसे इनाम दिया जाएगा। प्रतियोगिता के दिन राजा के पास ‘सच झूठ’ के हज़ारों खत पहुंचे, लेकिन राजा किसी के खत से संतुष्ट नहीं हुए। अंत में एक लड़की ने आकर कहा, ‘महाराज मैं गूंगी और अंधी हूं।’ सुन कर राजा चकराया और पूछा, ‘क्या सबूत है कि तुम सचमुच अंधी हो।’ तब तेज-तर्रार किशोरी बोली, ‘महल के सामने जो पेड़ लगा है, वह आपको तो दिखाई दे रहा है, लेकिन मुझे नहीं।’ इस पर राजा खूब हंसा। उसने किशोरी को इनाम दियाष तभी से स्पेन में भी मूर्ख दिवस की परम्परा चल पड़ी।   एक बार हास्य-प्रेमी कवि व लेखक भारतेंदु हरिशचंद्र ने बनारस में ढिंढोरा पिटवा दिया कि अमुक वैज्ञानिक अमुक समय पर उतार कर दिखायेंगे। नियत समय पर लोगों की भीड़ इस अद्भुत करिश्मे को देखने को जमा हो गई। लोग घंटों तक इंतज़ार में बैठे रहे परन्तु वहां कोई वैज्ञानिक नहीं दिखाई दिया। वह एक अप्रैल का दिन था, लोग तो मूर्ख बन कर वापस लौट गए परन्तु बनारस में एक अप्रैल मूर्ख दिवस बन गया।  
एक अप्रैल के मूर्ख दिवस को रोकने के लिए यूरोप मेें समय-समय पर अनेक कोशिश हुई परन्तु विरोध के बावजूद यह दिवस मनाया रहा है। मूर्ख दिवस मनाने वालों का कहना है कि वर्ष में एक बार सबका जम कर हंसना मन व मस्तक में सकारात्मक ऊर्जा पैदा करता है ।
इस दिन एक बात का ध्यान अवश्य रखना चाहिए कि मूर्ख बनाने के लिए किसी से भद्दा मज़ाक न किया जाए, किसी की भावनाएं आहत न हों। मूर्ख बनाएं या बनें पर आपसी प्रेम पर आंच न आए।  
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