पुंछ में आतंकी हमला : पाकि ने फिर की नापाक हरकत

जम्मू-कश्मीर के राजौरी सेक्टर में सेना का एक ट्रक भिम्बर गली से संगीओट की ओर जा रहा था। भारी बारिश हो रही थी, जिसकी वजह से सड़क पर कुछ साफ दिखायी नहीं दे रहा था, हालांकि दोपहर के लगभग 3 बजे थे। इस अवसर का लाभ उठाते हुए आतंकियों ने ट्रक पर तीन तरफ  से गोलियां बरसानी शुरू कर दीं। आशंका है कि आतंकियों ने ग्रेनेड का भी इस्तेमाल किया, जिससे ट्रक में आग लग गई और केंद्र शासित प्रदेश में काउंटर-टेरर ऑपरेशन के लिए तैनात राष्ट्रीय राइफल्स के पांच जवान हवलदार मंदीप सिंह, लांस नायक देबाशीष बसवाल, लांस नायक कुलवंत सिंह, सिपाही हरकृष्ण सिंह व सिपाही सेवक सिंह दुर्भाग्य से शहीद हो गये, जबकि एक सैनिक गंभीर रूप से घायल हो गया, जिसे उपचार के लिए राजौरी के आर्मी अस्पताल में भर्ती कराया गया है। 20 अप्रैल, 2023 को पुंछ में हुआ यह आतंकी हमला पुलवामा के बाद से सबसे घातक है। पुलवामा की घटना 14 फरवरी, 2019 को हुई थी, जिसमें सीआरपीएफ  के 40 जवान शहीद हुए थे। 
आतंकियों को ट्रेस करने का ऑपरेशन आरंभ हो गया है, जिसमें ड्रोन, स्निफर डॉग्स आदि का इस्तेमाल किया जा रहा है, विशेषकर बाटा-डोरिया के जंगलों में, लेकिन इस लेख के लिखे जाने तक हमलावरों के बारे में कोई स्पष्ट सूचना नहीं थी। हालांकि कि जैश समर्थित आतंकी गुट पीपल्स एंटी फासिस्ट फ्रंट (पीएएफएफ) ने इस हमले की ज़िम्मेदारी ली है, लेकिन यह कोई ज़रूरी नहीं है कि हमला इसी गुट ने किया हो क्योंकि सीमा पार बैठे अपने आकाओं को प्रसन्न करने व उनसे पैसा, हथियार आदि लेने के लिए एक हमले के अनेक आतंकी गुट दावेदार हो जाते हैं। वैसे इसमें कोई दो राय नहीं कि यह हमला पाकिस्तान के इशारे पर हुआ है, जो जम्मू-कश्मीर में आतंक फैलाए रखने के लिए ऐसे हमले करवाता रहता है व आतंकियों को ट्रेनिंग तथा हथियार देता है। 
बहरहाल गौर करने की बात यह भी है कि यह हमला उस जगह के निकट हुआ, जहां 2021 में मुठभेड़ हुई थी जो कई सप्ताह तक चली थी। तब गहन तलाशी अभियान के बावजूद आतंकी वहां से फरार होने और अपना स्थान बदलने में सफल हो गये थे। जब इस स्थान पर आतंकी सक्रिय रहते हैं, तब यहां सुरक्षा के इंतज़ाम सख्त क्यों नहीं किये गये? इसलिए यह अनुमान लगाना गलत नहीं होगा कि इंटेलीजेंस की चूक के साथ ही भारतीय सुरक्षा व्यवस्था के लिए ज़िम्मेदारों से भी लापरवाही हुई। गौरतलब है कि हाल ही में एक इंटरनेट चैनल को इंटरव्यू देते हुए जम्मू-कश्मीर के अंतिम राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने पुलवामा की घटना के लिए पाकिस्तान को दोषी ठहराते हुए यह गंभीर आरोप भी लगाया था कि बारूद से भरी गाड़ी 10-12 दिन तक उस क्षेत्र में घूमती रही और इंटेलिजेंस से सूचना नहीं मिली व साथ ही इतने बड़े काफिले को शिफ्ट करने के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय ने पांच हवाई जहाज़ों की व्यवस्था नहीं की। मलिक का यह भी कहना है कि उनसे इस मुद्दे पर खामोश रहने के लिए कहा गया था।
दरअसल पुंछ के ताज़ा हमले के बारे में सोचने के लिए कुछ अन्य बाते भी हैं। आगामी 4 व 5 मई को गोवा में शंघाई को-ऑपरेशन आर्गेनाइजेशन (एससीओ) के विदेश मंत्रियों की बैठक होने जा रही है। इसमें पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो ज़रदारी भी हिस्सा लेंगे। हालांकि भारत सरकार ने आधिकारिक तौर पर बिलावल और भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर के बीच द्विपक्षीय वार्ता से इन्कार नहीं किया है, लेकिन इस संभावित मुलाकात से दोनों देशों के बीच कोई ठोस बात निकलने की उम्मीद न के बराबर है। तथ्य यह है कि नई दिल्ली ने बिलावल की यात्रा पर कोई उत्साह प्रदर्शित नहीं किया है बल्कि उसे एक तरह से अनदेखा-सा करते हुए कहा है कि जब अनेक देशों के प्रतिनिधि आ रहे हों, तब किसी एक देश पर फोकस करना उचित नहीं है।
पाकिस्तान के लिए यूरोप-एशिया समूह में हिस्सा लेना विदेशनीतिक वरीयता है, न केवल चीन से अपने संबंधों को लेकर बल्कि हाल के दिनों में रूस से अपनी बढ़ती दोस्ती की वजह से भी। चीन के विदेश मंत्री चिन गांग और रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव भी इस बैठक में हिस्सा लेंगे। ऐसे में पाकिस्तान यह दिखाने की कोशिश अवश्य करेगा कि जम्मू-कश्मीर में सब कुछ ठीक नहीं है। इसलिए गोवा बैठक से कुछ दिन पहले ही पुंछ में पाकिस्तान द्वारा प्रायोजित आतंकी हमले से अनेक प्रश्न खड़े हो जाते हैं। यहां यह बताना भी आवश्यक है कि भारत-पाकिस्तान के बीच किसी मंत्री की यात्रा पिछली बार 2015 में हुई थी, जब तत्कालीन विदेश मंत्री सुषमा स्वराज हार्ट ऑफ एशिया कांफ्रैंस में भाग लेने के लिए इस्लामाबाद गई थीं, फिर इसी कांफ्रैंस के अमृतसर चैप्टर में हिस्सा लेने के लिए पाकिस्तान के विदेश मंत्री सरताज अज़ीज़ 2016 में भारत आये थे। 
स्वराज की यात्रा से दोनों देशों ने विस्तृत द्विपक्षीय वार्ता के नये नाम से बातचीत की प्रक्रिया आरंभ की थी, लेकिन इस घोषणा के कुछ सप्ताह बाद ही पठानकोट एयरबेस पर आतंकी हमला हुआ, जिससे बातचीत की पहल आगे न बढ़ सकी। अब बिलावल की यात्रा से पहले ही पुंछ में आतंकी हमला हो गया है, इसलिए उनकी यात्रा महत्वपूर्ण होने के बावजूद किसी किस्म की आशा उत्पन्न नहीं करती है। ध्यान रहे कि दोनों देशों के बीच संबंध डाउनग्रेडेड हैं कि हाई कमिश्नरों की अनुपस्थिति है और दोनों मिशन अपनी आवंटित संख्या से आधे पर काम कर रहे हैं। जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा समाप्त किये जाने के बाद पाकिस्तान ने 2019 में अपने हाई कमिश्नर को वापस बुला लिया था और इसके अगले वर्ष नई दिल्ली ने इस्लामाबाद से अपने मिशन की संख्या यह कहते हुए आधी कर दी थी कि उसके अधिकारी भारत के विरुद्ध सीमापार आतंकवाद की विस्तृत नीति में सहयोग कर रहे हैं। 
भारत 2017 में एससीओ का पूर्ण सदस्य बना था। इस समय वह इसका अध्यक्ष है। बतौर अध्यक्ष उसकी वरीयता है कि ऐसा वातावरण सुनिश्चित किया जाये, जिसमें सदस्य राज्यों में आर्थिक सहयोग के अतिरिक्त एक दूसरे की प्रभुसत्ता व एकता के लिए सुरक्षा व सम्मान हो। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एससीओ के किंगदाओ सम्मेलन 2018 में सुरक्षा, आर्थिक सहयोग, कनेक्टिविटी व एकता पर बल दिया था। भारत अब इसे ही आगे बढ़ाना चाहता है। यह सब शांति व आपसी सहयोग के वातावरण में ही संभव है, लेकिन अगर पाकिस्तान पुंछ जैसे हमलों को प्रायोजित करता रहेगा और चीन वास्तविक नियंत्रण रेखा पर घुसपैठ का प्रयास करता रहेगा तो न पड़ोसियों से अच्छे संबंध बन पाएंगे और न एससीओ के उद्देश्य की पूर्ति होगी। इसलिए ज़रूरी है कि पाकिस्तान ही नहीं बल्कि चीन भी अपनी घिनौनी हरकतों से बाज़ आये।      
-इमेज रिफ्लेक्शन सेंटर