पाकिस्तान में हिन्दुओं का जबरन धर्मांतरण चिंताजनक

पाकिस्तान में अल्पसंख्यक हिन्दुओं पर अत्याचार और जबरन धर्म परिवर्तन का सिलसिला जारी है। पिछले दिनों में पचास हिन्दुओं का सामूहिक रूप से धर्म परिवर्तन कर मुस्लिम बनाया गया। उधर पाकिस्तान में हिन्दू लड़कियों के साथ दरिंदगी और जबरन धर्म परिवर्तन आम बात है। पाकिस्तान के मावनाधिकार आयोग के मुताबिक हर साल करीब एक हज़ार लड़कियों का जबरदस्ती धर्म परिवर्तन किया जाता है। इनमें से ज्यादातर लड़कियां सिंध प्रांत के गरीब हिन्दू समुदाय से होती हैं। इसके अलावा सिख और क्रिश्चियन समुदाय की भी काफी लड़कियों के साथ ऐसा ही होता है। याद रहे गत वर्ष 5 नवम्बर, 2022 को सिंध के बदिन जिले के कस्बे तंतु गुलाम अली से दो नाबाविग हिन्दू लड़कियों का अपहरण किया गया। पिछले एक महीने में कोई 16 ऐसी घटनाएं पाकिस्तान के सिंध इलाके में हो चुकी हैं, जिनमें नाबालिग हिन्दू लड़कियों का अपहरण कर जबरन मुस्लिम व्यक्ति से निकाह करवा कर उनका धर्म परिवर्तन किया गया। इसी साल जनवरी में संयुक्त राष्ट्र ने भी पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों के खिलाफ  हो रहे अत्याचार को लेकर एक रिपोर्ट जारी की थी। संयुक्त राष्ट्र के 12 विशेषज्ञों ने पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों के अपहरण, धर्म परिवर्तन और छोटी उम्र में लड़कियों की शादी करने जैसे मामलों को लेकर चिंता व्यक्त की थी।
पाकिस्तान के मीरपुरखास में 10 परिवारों के 50 हिंदुओं को मुसलमान बनाया गया। इनमें 1 साल की बच्ची भी शामिल थी। इस मौके पर मज़हबी मामलों के मंत्री मोहम्मद ताल्हा महमूद के बेटे मोहम्मद शमरोज खान भी मौजूद थे। वह खुद भी सांसद हैं। हिंदुओं का सामूहिक धर्मांतरण कराने के लिए एक विशेष कार्यक्रम आयोजित किया गया। जिन लोगों का मज़हब बदलवाया जाता है, उन्हें चार महीने तक एक जगह रखा जाता है, इसे आम बोलचाल में इस्लामी ट्रेनिंग सेंटर कह सकते हैं। करीब एक महीने पहले हिंदू सांसद दानिश कुमार ने सदन में यह कहकर सबको चौंका दिया था कि उनके सहयोगी सांसद उन्हें इस्लाम अपनाने के लिए लालच देते हैं या दबाव डालते हैं। अब हिंदुओं के सामूहिक धर्मांतरण का मामला सामने आया है। जिस संगठन ने यह धर्मांतरण कार्यक्रम आयोजित किया, उसके मुन्तजिर कारी तैमूर राजपूत ने कहा कि कुल 10 परिवारों को इस्लाम में शामिल किया गया है। वे अपनी मज़र्ी से मुस्लिम बनने को राज़ी हुए, हमने कोई दबाव नहीं डाला। इस मौके पर कई स्थानीय लोग मौजूद थे। वास्तविकता यह है कि हिन्दू समाज के गरीब लोगों को बाकायदा टार्गेट कर धर्म परिवर्तन के लिए मजबूर किया जाता है।  करीब एक साल पहले सर्वाधिक हिन्दू जनसंख्या वाले सिंध प्रांत के हरूनाबाद ज़िले के मिट्ठी कस्बे में 3700 और जैकबाबाद ज़िले के सग्घर कस्बे के 5700 लोगों का सामूहिक धर्म परिवर्तन करवा कर वहां के मंदिरों पर ताले जड़ दिये गए थे। यदि पाकिस्तान में यही हालात रहे तो आगामी एक दशक में वहां हिन्दुओं का नामोनिशान मिट जाएगा। सन् 2021 में वहां बीस हज़ार हिन्दुओं का धर्म परिवर्तन करवाया गया, 11 मंदिर तोड़े गए, 28 हिन्दुओं की हत्या की गई और 18 ने धार्मिक प्रताड़ना के चलते खुदकुशी कर ली। सबसे बड़ी बात शायद यह कि दुनिया का ऐसा विरला देश होगा जहां अल्पसंख्यक आबादी के आंकड़े छुपाए जाते हैं।
पाकिस्तान में धर्म परिवर्तन विरोधी कानून बनाए जाते हैं लेकिन कट्टरपंथियों के विरोध के चलते ठंडे बस्ते में चले जाते हैं। गत वर्ष वहां 18 साल से कम के लोगों के धर्म परिवर्तन पर पाबंदी का कानून आया लेकिन मुल्ला-मौलवियों के विरोध के चलते उसे वापस ले लिया गया। वहां धर्म परिवर्तन को सबाव अर्थात पुण्य का काम कहा  जाता है और इस्लामिक कानून के तहत ऐसी पाबंदी धर्म विरोधी है, कह कर गवर्नर ने कानून रद्द कर दिया था। इसके अलावा ईश निंदा कानून को अल्पसंख्यक हिन्दु, सिख व ईसाई समुदाय के उत्पीड़न का एक बड़ा हथियार बना दिया गया है। वहां मानवाधिकार आयोग का कोई महत्व नहीं है यह सिर्फ  दिखावे के लिए काम कर रहा है। पाकिस्तान के हिंदू संगठन के प्रमुख कार्यकर्ता फाकिर शिवा ने इस सामूहिक धर्मांतरण का विरोध किया है। शिवा ने कहा कि बिल्कुल साफ  नज़र आ रहा है कि अब सरकार ही दूसरे मज़हब के लोगों का इस्लाम में धर्मांतरण करा रही है। अल्पसंख्यक कई सालों से मांग कर रहे हैं कि इस तरह के धर्मांतरण के खिलाफ  सख्त कानून बनाया जाए। सिंध में तो यह बहुत बड़ा मुद्दा बन चुका है। अब तो कैबिनेट मंत्री का सांसद बेटा भी इस तरह के प्रोग्राम में शामिल हो रहा है। यहां बता दें कि पाकिस्तान में हिन्दुओं की जनसंख्या लगातार कम हो रही है। बहुसंख्यक मुलसमानों की तुलना में उनकी जनसंख्या वृद्धि दर बेहद कम है। मानवाधिकार सर्वे रिपोर्ट के अनुसार उस क्षेत्र (जो अब पाकिस्तान है) में हिंदुओं की आबादी 1931 की जनगणना में 15 फीसदी थी, 1941 में 14 फीसदी हुई, विभाजन के बाद 1951 में केवल 1.3 फीसदी रह गई। 1961 यह आंकड़ा 1.4 प्रतिशत का था जो 1981 और 1998 में क्रमश: 1.6 और 1.8 फीसदी रहा। 
पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो ज़रदारी जिस समय भारत की यात्रा पर आए हुए थे, उसी बीच पाकिस्तान से हिन्दूओं के सामूहिक धर्म परिवर्तन की खबर सामने आई थी। भारत सरकार को पाकिस्तान में हो रहे जबरन धर्म परिवर्तन के खिलाफ सख्त एतराज़ करना चाहिए और कड़ी चेतावनी देनी चाहिए।


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