प्रधानमंत्री श्री मोदी के विदेश दौरे से भारत का रुतबा और बढ़ा

बरजिन्दर सिंह हमदर्द

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के जापान में जी-7 देशों के सम्मेलन में विशेष अतिथि के रूप में भाग लेने की विश्व भर में बड़ी चर्चा हो रही है। जी-7 में विश्व की सात बड़ी अर्थ-व्यवस्थाओं वाले देश शामिल हैं, जिनके द्वारा कुछ अन्य देशों को भी समय-समय पर विशेष रूप से भाग लेने के लिए आमंत्रित किया जाता है। इन 7 देशों में अमरीका, ब्रिटेन, जापान, जर्मनी, फ्रांस, इटली तथा कनाडा शामिल हैं। भिन्न-भिन्न स्थानों पर अपने लगातार होते सम्मेलनों में इन देशों के राष्ट्र प्रमुखों की ओर से सामयिक समस्याओं के संबंध में विस्तारपूर्वक विचार-विमर्श किया जाता है। अब पिछले 15 मास से रूस तथा यूक्रेन में भीषण युद्ध चल रहा है, जिसका प्रभाव किसी न किसी रूप में पूरे विश्व पर पड़ रहा है। इस कारण उपरोक्त शिखर सम्ेलन में अन्य मुद्दों के साथ-साथ इस संबंधी भी विशेष रूप से चर्चा हुई है। उत्पन्न हुये इन अन्तर्राष्ट्रीय हालात में भारत के लिए अपनी विदेश नीति में संतुलन बना कर रखना बहुत ही मुश्किल रास्ते से गुज़रने की तरह है।
रूस के साथ भारत के विगत लम्बी अवधि से बहुत अच्छे संबंध रहे हैं। प्रत्येक कठिन समय में रूस ने भारत की सहायता की है। दशकों पहले उसने यहां सरकारी क्षेत्र में बड़े उद्योग लगाने में भी सहायता की थी। देश की सुरक्षा के मामले में भी वह हमेशा भारत के साथ खड़ा रहा है। यहां तक कि समय-समय पर उसने बड़ी मात्रा में भारत को अत्याधुनिक हथियार भी दिए हैं। भारत के स्वतंत्र होने के बाद उसने पाकिस्तान को  दर-किनार करके हमेशा भारत को प्राथमिकता दी है। यहां तक कि 1962 में चीन के हमले के बाद भी उसने अपनी नीति में कोई बदलाव नहीं किया था। आज जबकि रूस का यूक्रेन पर हमला जारी है, तो भी भारत ने अपनी विदेश नीति में संतुलन बनाये रखने का यत्न किया है हालांकि जी-7 सम्मेलन के देश इस मामले पर रूस के विरुद्ध खड़े हुए हैं। दूसरी तरफ दक्षिणी चीन सागर में चीन ने जहां अपने पड़ोसी देशों के लिए अपनी विस्तारवादी नीतियों के कारण बड़ी समस्या पैदा कर रखी है, वहीं उसने नित्य-प्रति सीमांत मामलों पर भारत के प्रति भी अपनी दबाव वाली नीति जारी रखी हुई है।
इन सभी मुश्किलों के बावजूद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की आज अन्तर्राष्ट्रीय क्षेत्र में अलग पहचान बन चुकी है। उनकी आवाज़ को हर मंच पर गम्भीरता के साथ सुना जाता है। इस सम्मेलन में उन्होंने बहुत ही प्रभावशाली ढंग से देश की नीतियों  का विस्तार बताया तथा सम्बोधित करते हुए कहा कि सभी देशों द्वारा संयुक्त राष्ट्र के संविधान तथा अन्तर्राष्ट्रीय कानूनों के अनुसार अन्य देशों की प्रभुसत्ता तथा क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान किया जाना चाहिए। यदि इस व्यवस्था को बदलने का एकतरफा प्रयास किया जाता है तो उसके विरुद्ध आवाज़ बुलंद करनी चाहिए। भारत की हमेशा यह रणनीति रही है कि किसी भी मामले को लेकर बढ़ते तनाव या दबाव के दृष्टिगत शांतिपूर्ण ढंग से अन्तर्राष्ट्रीय कानूनों के माध्यम से हल निकाला जाना चाहिए। 
चीन के संबंध में बात को आगे बढ़ाते हुये उन्होंने कहा कि आज चीन अपने दक्षिणी सागर में सैनिक उपस्थिति बढ़ा रहा है, जबकि उसके दक्षिणी चीन सागर के विशाल समुद्री क्षेत्र पर दावों का कोई कानूनी आधार नहीं है। उन्होंने चीन को सम्बोधित करते हुए यह भी कहा कि उसे क्षेत्रीय अखंडता संबंधी संयुक्त राष्ट्र के संविधान के उद्देश्यों पर आधारित नीति को ही अपनाना चाहिए। नि:सन्देह भारतीय प्रधानमंत्री के प्रभाव को आज विश्व भर में माना जाता है। हिरोशिमा में ही क्वाड संगठन के सदस्य देशों की हुई बैठक में भी संयुक्त रूप में चीन के हिंद-प्रशांत क्षेत्र में सैनिक हस्तक्षेप की निन्दा की गई है। भारत ने अपने बढ़ते प्रभाव को देखते हुये संयुक्त राष्ट्र की सुरक्षा परिषद में भी अपनी स्थायी सदस्यता के दावे को दोहराया है।
मोदी के साथ मुलाकात
विगत दिवस श्री नरेन्द्र मोदी की ओर से बुलाये जाने पर दिल्ली में मेरी उनके साथ लगभग सवा घंटे तक लम्बी मुलाकात हुई थी। उनका मुख्य उद्देश्य देश, विश्व तथा विशेष रूप से पंजाब के हालात संबंधी विचार-विमर्श करना था। मुझे श्री मोदी के पंजाब के साथ हमेशा रहे विशेष संबंधों की जानकारी थी। वह हमेशा इस धरती, पंजाबियों तथा विशेष रूप से सिख समुदाय के साथ स्नेह की अभिव्यक्ति करते रहे हैं। मैं विगत लम्बी अवधि से उनके इस लगाव को जानता हूं। जब वह नवम्बर, 2019 में करतारपुर साहिब गलियारा के उद्घाटन के लिए यहां आये थे, तो वह बेहद भावुक थे। यह गलियारा खुलवाने में उनका तथा उस समय के पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान का बड़ा योगदान रहा है। उद्घाटन करते हुए श्री मोदी ने कहा था कि वह आज इस पवित्र धरती पर आकर स्वयं को भाग्यशाली महसूस कर रहे हैं। यह उनका सौभाग्य है कि आज वह इस देश को श्री करतारपुर साहिब का गलियारा समर्पित कर रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि जिस तरह संगतों को कार सेवा करके अपने भीतर खुशी का एहसास होता है, वैसा ही एहसास वह अपने भीतर महसूस कर रहे हैं। उस समय उन्होंने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान का भी धन्यवाद किया था कि उन्होंने करतारपुर साहिब से जुड़ी संगतों की भावनाओं का सम्मान करते हुए एक निश्चित समय में पाकिस्तान की तरफ गलियारा पूरा करवाया है। उन्होंने यह भी कहा कि श्री गुरु नानक देव जी केवल सिख पंथ के और केवल भारत के ही नहीं बल्कि पूरी मानवता के लिए प्रेरणा स्त्रोत हैं। उन्होंने गुरु साहिब की बाणी को मार्ग-दर्शक बताते हुए उनकी शिक्षाओं पर चलने हेतु जोर भी दिया था। जनवरी, 2022 को श्री गुरु गोबिंद सिंह जी के प्रकाशोत्सव के अवसर पर उन्होंने एक बड़ा ऐलान करते हुए हर वर्ष 26 दिसम्बर को ‘वीर बाल दिवस’ के रूप में मनाए जाने का ऐलान किया था और कहा था कि यह दिवस गुरु गोबिंद सिंह जी के साहिबज़ादों की अद्वितीय बलिदान को समर्पित होगा।
एक समय उन्होंने साहिबज़ादों की बहादुरी और बलिदान को देश का एक बेमिसाल उदाहरण कहा था तथा साहिबज़ादों की बहादुरी, दृढ़ता और शहादत के बारे में यह भी कहा था कि इसके साथ उन्होंने अभूतपूर्व इतिहास रच दिया है, जिस पर गर्व किया जाना चाहिए।
अब अपने आस्ट्रेलिया दौरे के दौरान भारतीय मूल के लोगों के एक बड़े समूह को संबोधित करते उन्होंने आज के दिन श्री गुरु अर्जन देव जी के अभूतपूर्व बलिदान का ज़िक्र करते कहा कि महान गुरुओं द्वारा दसवंध की रिवायत को शुरू करके मानवता की भलाई की जिस परम्परा को चलाया गया था, आज भी वह मौजूद है।
जहां तक पंजाब का सवाल है, भारत की जनसंख्या और क्षेत्रफल के पक्ष से यह बहुत छोटा राज्य है। लोकसभा के कुल 543 सदस्यों में से पंजाब में से सिर्फ 13 प्रतिनिधि ही चुने जाते हैं परन्तु इसके बावजूद श्री मोदी ने मेरे साथ मुलाकात के समय हर पक्ष से पंजाब के बिगड़ रहे हालात के बारे में चिंता ज़ाहिर की और कहा कि सबको मिलकर पुन: इस राज्य की बेहतरी और खुशहाली के बारे में गम्भीर योजनाएं तैयार करनी चाहिएं। इनकी पूर्ति के लिए किए जाते यत्नों में किसी प्रकार की राजनीति का दखल नहीं होना चाहिए और न ही इनकी तुलना वोट की राजनीति से की जानी चाहिए। 
उन्होंने इस पक्ष से हर तरह से राज्य की बेहतरी के लिए सहयोग करने की बात भी कही थी। इसके साथ ही उन्होंने पंजाब से जुड़ी बहुत सी अन्य यादों का भी ज़िक्र किया। उन्होंने इस दौरान स. प्रकाश सिंह बादल की भी कई बार प्रशंसा की और कहा कि उनकी जन-समर्थक भावनाओं और उनके लोगों के प्रति समर्पण के बारे कोई प्रश्न-चिन्ह नहीं उठाया जा सकता। श्री मोदी से मेरी यह मुलाकात स. बादल के देहांत से कुछ समय पहले ही हुई थी। उनके देहांत के बाद श्री मोदी ने एक लेख के माध्यम से जिस प्रकार स. बादल के संबंध में अपनी भावनाएं प्रकट की हैं, उनसे मेरी मुलाकात के समय उनके द्वारा स. बादल के प्रति प्रकट किए गये विचारों की पुष्टि ही हुई है। लम्बी बातचीत के बाद मैं एक अच्छे प्रभाव के साथ उनसे विदा हुआ था कि श्री मोदी के मन में हमेशा की तरह पंजाब और समूह पंजाबियों के प्रति एक विशेष स्नेह की भावनाएं बनी हुई हैं। पंजाब के विकास के लिए राज्य के प्रशासन को इससे लाभ उठाना चाहिए।