प्रगाढ़ होते आपसी संबंध

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की तीन दिवसीय आस्ट्रेलिया यात्रा बेहद भावपूरित एवं अर्थ-पूर्ण रही है। भारत तथा आस्ट्रेलिया हिन्द प्रशांत महासागर द्वारा जुड़े हुए हैं। आस्ट्रेलिया की जनसंख्या सिर्फ अढ़ाई करोड़ के लगभग है परन्तु ज़मीनी क्षेत्रफल बेहद विशाल अर्थात 77 लाख वर्ग कि.मी. के लगभग है। चाहे आस्ट्रेलिया में 250 वर्ष पहले ही लोगों ने यूरोप से प्रवास किया परन्तु इतनी कम अवधि में ही यह देश आज विश्व के बेहतरीन देशों में शामिल हो चुका है। दोनों में बहुत कुछ साझा है।
आस्ट्रेलिया में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कम्पनी का व्यापार पर पूरा कब्ज़ा था। भारत में पहले इसी कम्पनी ने डेरे लगाये थे। इस देश में बेहद प्राकृतिक स्रोत होने के कारण अब तक इसके विकास की बड़ी सम्भावनाएं बनी दिखाई देती हैं। दोनों ही देश ब्रिटिश साम्राज्य के उपनिवेश होने के कारण पहले से ही इनका किसी न किसी रूप में आपसी सम्पर्क बना रहा था। यहां तक कि दोनों देशों के सैनिकों ने इकट्ठे होकर ब्रिटिश साम्राज्य के लिए युद्ध भी लड़े थे। दूसरे विश्व युद्ध के बाद आस्ट्रेलिया की सरकार ने भारत की स्वतंत्रता के लिए तत्परता दिखाई थी। आज दोनों के संबंध इस सीमा तक प्रगाढ़ हो चुके हैं कि जहां आस्ट्रेलिया के पहले ही दिल्ली के अलावा मुम्बई तथा चेन्नई में कौंसलेट हैं, वहीं श्री मोदी की यात्रा के दौरान आस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री ने बैंगलुरु में भी व्यापारिक कौंसलेट खोलने की घोषणा की है।
भारत का उच्चायोग वहां की राजधानी कैनबरा में है परन्तु इसके अलावा सिडनी, पर्थ तथा मैलबोर्न में भी इसके कौंसलेट हैं। समुद्री क्षेत्र द्वारा आपस में जुड़े होने के कारण दोनों ही देश हिन्द प्रशांत क्षेत्र में चीन के बढ़ते प्रभाव से चिंतित भी हैं तथा इसे रोकने के लिए लगातार यत्न भी करते रहे हैं। आज आस्ट्रेलिया में भारतीय मूल के लोग बड़ी संख्या में रह रहे हैं तथा उनका वहां पर बड़ा प्रभाव भी माना जाता है। आस्ट्रेलिया संयुक्त राष्ट्र की सुरक्षा परिषद में भारत को स्थायी स्थान दिलवाने के लिए भी लगातार सक्रिय रहा है। पिछले समय में दोनों देशों के शिखर सम्मेलन भी होते रहे हैं तथा दोनों के संयुक्त सैनिक अभ्यास भी लगातार चलते रहे हैं। आज इन संबंधों में इस सीमा तक निकटता आ चुकी है कि प्रधानमंत्री की यात्रा के दौरान  सिडनी के हार्बर ब्रिज तथा ओपेरा हाऊस लगातार तिरंगे की रौशनी से चमकते रहे। नरेन्द्र मोदी अपनी इस यात्रा के दौरान बड़ी कम्पनियों के प्रमुखों से भी मिले तथा खनन, कपड़ा, कृषि, दूरसंचार तथा शिक्षा के क्षेत्र में निवेश करने के लिए भी उन्हें प्रेरित किया। दोनों ही देशों में सुरक्षा समझौता भी हुआ है।
दोनों देशों के आपसी संबंधों का इस बात से भी पता चलता है कि आस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीज़ ने यह कहा कि वह अपने एक वर्ष के समय के दौरान श्री मोदी को 6 बार मिल चुके हैं। आस्ट्रेलिया से आर्थिक सहयोग के क्षेत्र में मुक्त व्यापार समझौते की ओर बढ़ने में ही भारत की बेहतरी देखा जा सकती है। नि:सन्देह दोनों ही देश आपसी आदान-प्रदान के साथ विकास की नई बुलंदियों को छूने के समर्थ हैं। जापान के बाद आस्ट्रेलिया के साथ लगातार प्रगाढ़ होते संबंध भारत के लिए हर पक्ष से एक अच्छा सन्देश माने जा सकते हैं।

—बरजिन्दर सिंह हमदर्द