आधुनिक गुलामी

यह बात पढ़ने तथा सुनने में बड़ी अजीब लगती है कि विश्व में आज भी 5 करोड़ लोग गुलामों वाला जीवन व्यतीत कर रहे हैं। इस संबंध में जानकारी आस्ट्रेलिया आधारित अंतर्राष्ट्रीय संस्था वॉक फ्री फाऊंडेशन द्वारा जारी की गई एक रिपोर्ट में दी गई है। यह रिपोर्ट 172 देशों के सर्वेक्षण के बाद तैयार की गई है। आश्चर्यजनक बात यह भी है कि 5 करोड़ लोगों में से गुलामी का जीवन व्यतीत करने वाले लगभग अढ़ाई करोड़ लोग जी-20 समूह के देशों में भी रह रहे हैं। इन विकसित देशों में भी लोगों को जबरन मज़दूरी करने के लिए विवश किया जाता है। 
यदि विश्व के भिन्न-भिन्न देशों में गुलामी का जीवन व्यतीत करने वाले लोगों के आंकड़ों को देखें तो सबसे पहले नम्बर पर भारत है। जहां लगभग एक करोड़ लोग गुलामों वाला जीवन व्यतीत कर रहे हैं। भारत के बाद चीन का नम्बर आता है, जहां 58 लाख लोग गुलामों वाला जीवन व्यतीत कर रहे हैं। रूस में 19 लाख, इंडोनेशिया में 18 लाख, तुर्की में 13 लाख तथा अमरीका में 11 लाख लोग गुलामों वाला जीवन व्यतीत करने के लिए मजबूर हैं। जिन देशों में इस प्रकार की गुलामी का कम प्रचलन है इनमें स्विट्ज़रलैंड, नार्वे, जर्मनी, नीदरलैंड्स, स्वीडन, डैनमार्क, बैल्जियम, आयरलैंड, जापान तथा फिनलैंड आदि शामिल हैं। वैसे इन देशों में भी अधिकतर देश जी-20 समूह के सदस्य हैं। 
रिपोर्ट के अनुसार 2021 के अंत तक 5 करोड़ लोग यह आधुनिक गुलामी झेलने के लिए मजबूर थे। इनमें से 2.8 करोड़ लोगों से जबरन मज़दूरी करवाई जा रही थी और 2.2 करोड़ लोगों के जबरन विवाह किये गए थे। 2016 के बाद 2021 तक ऐसे लोगों की संख्या में एक करोड़ लोगों की और वृद्धि हुई थी। आधुनिक गुलामी झेल रहे बड़ी संख्या में लोग उत्तर कोरिया, एरिट्रिया, मौरिटानिया, सऊदी अरब तथा तुर्की में रहते हैं। रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि ब्रिटेन, आस्टे्रलिया, नीदरलैंड्स, पुर्तगाल तथा अमरीका आदि देशों की सरकारों की ओर से इस समस्या के समाधान के लिए प्रभावी कदम तो उठाए जा रहे हैं, परन्तु ऐसे लोगों की स्थिति में अभी भी इन देशों में अधिक सुधार नहीं हुआ। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि जी-20 समूह के अधिकतर देश अभी भी उनती गंभीरता से ऐसे कदम नहीं उठा रहे, जिनसे कि इन देशों में आधुनिक गुलामी को पूरी तरह समाप्त किया जा सके। 
धरती पर हज़ारों वर्षों से मनुष्य आज़ादी, सुरक्षा तथा मानवाधिकारों के लिए संघर्ष करता आ रहा है। उसका ऐसा संघर्ष आदिकालीन कबीलों से आरंभ होकर जागीरदारी, राजाशाही से होता हुआ आधुनिक लोकतांत्रिक प्रणालियों की स्थापना तक पहुंचा है। पहले के मुकाबले आज अधिक संख्या में लोग आज़ादी, सुरक्षा तथा मानवाधिकारों का आनंद ले रहे हैं, परन्तु इसके साथ-साथ आधुनिक युग में भी बहुत-से देशों में लोग उपरोक्त किस्म के अधिकारों से वंचित हैं, और बहुत-से देशों में अभी भी करोड़ों लोग गुलामी भरा जीवन व्यतीत कर रहे हैं। उनकी न सिर्फ श्रम शक्ति की लूट होती है, अपितु उनका शारीरिक शोषण भी होता है। यहां तक कि उनकी इच्छा के विरुद्ध उनके जबरन विवाह भी कर दिए जाते हैं। ऐसे लोगों को बड़ी संख्या में अमानवीय हालातों में भी रहना पड़ता है। चाहे संयुक्त राष्ट्र की भिन्न-भिन्न एजैंसियों द्वारा इस संबंध में समय-समय पर आवाज़ बुलंद की जाती है तथा वॉक फ्री फाऊंडेशन जैसी संस्थाओं द्वारा भी रिपोर्टें जारी की जाती हैं, परन्तु अभी भी गुलामों वाला जीवन व्यतीत कर रहे करोड़ों लोगों की ज़िन्दगी में बड़े सुधार नहीं हुये। विश्व भर में रहते जागरूक लोगों तथा जन-कल्याण में लगे सरकारी तथा ़गैर-सरकारी संगठनों को इस संबंधी अभी और बड़े प्रयास करने पड़ेंगे।