नितीश के नेतृत्व में धीरे-धीरे बनने लगी विपक्ष की एकता

बिहार के मुख्यमंत्री नितीश कुमार की सभी विपक्षी पार्टियों को एक मंच पर लाने तथा आगामी वर्ष होने वाले आम चुनाव में भाजपा के खिलाफ एक संयुक्त मोर्चा बनाने के बड़े यत्नों को कई क्षेत्रीय नेताओं की बहुत सकारात्मक प्रतिक्रियाएं मिली हैं। नितीश कुमार कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे तथा कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी, एनसीपी प्रमुख शरद पवार, शिव सेना (यूबीटी) नेता उद्धव ठाकरे, झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, ओड़िशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी तथा समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव आदि से एक महत्वपूर्ण बैठक करने वाले हैं। इस बैठक को नये मोर्चे के गठन तथा ‘संयुक्त गठबंधन’ के कन्वीनर की घोषणा के लिए ‘लांचिंग पैड’ माना जा रहा है, जो 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के विरुद्ध विपक्षी पार्टियों द्वारा ‘एक के खिलाफ एक’ उम्मीदवार खड़ा करने की रणनीति पर कार्य कर रहा है। 
प्रस्तावित बैठक पटना में होगी, जिसमें कांग्रेस, राजद, जद (यू), टीएमसी, जेएमएम, समाजवादी पार्टी, एनसीपी, शिवसेना, डीएमके, ‘आप’, सीपीआई, सीपीएम, सीपीआई-एम.एल. (मुक्ति) तथा कुछ अन्य क्षेत्रीय पार्टियां जो नये मोर्चे में शामिल होने की इच्छुक  हैं, के शीर्ष नेताओं के शामिल होने की उम्मीद है। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, झारखंड के  मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन  तथा एनसीपी प्रमुख शरद पवार विशेष तौर पर शिरकत करने वाले हैं। इस दौरान इस बात की चर्चा भी ज़ोरों पर है कि अकाली दल भाजपा के साथ गठबंधन करने के लिए यत्नशील है और बीजू जनता दल 2024 में अकेले ही लोकसभा चुनाव लड़ने का इरादा रखता है। 

आरएलडी तथा समाजवादी पार्टी

समाजवादी पार्टी (सपा) तथा उसके सहयोगी राष्ट्रीय लोक दल (आरएलडी) के मध्य दरारें बड़ी होती दिखाई दे रही हैं। आरएलडी नेताओं ने समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव पर उन्हें धमकाने का आरोप लगाते हुए इस बात की पुष्टि की है कि पार्टी आगे बढ़ रही है और 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए सहयोगियों के विकल्प ढूंढ रही है। हालांकि दोनों पक्षों ने अधिकारित तौर पर कहा कि इस अफवाह का कोई आधार नहीं था। हालांकि, अखिलेश यादव के कर्नाटक में सिद्धारमैया के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल न होने तथा जयंत चौधरी द्वारा शमूलियत करने के बाद मतभेदों की अटकलों को बल मिला है। ऐसी ही एक अन्य उदाहरण में अखिलेश ने हाल ही में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की टिप्पणी का समर्थन किया कि कांग्रेस को उन सीटों पर क्षेत्रीय पार्टियों का समर्थन करना चाहिए, जहां उनकी पकड़ मज़बूत है। हालांकि कुछ दिनों के बाद चौधरी ने कांग्रेस के साथ गठबंधन के बारे में क्यास को और हवा देते हुए कहा कि सपा के साथ हमारा गठबंधन जारी रहेगा, साथ ही विपक्षी पार्टियां कांग्रेस के साथ गठबंधन बारे भी सोचेंगी। इससे पहले आरएलडी ने पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को अपना समर्थन दिया था और पश्चिम उत्तर प्रदेश में उनकी ‘भारत जोड़ो यात्रा’ में भी भाग लिया था और अब 2024 के लोकसभा चुनाव में भी राष्ट्रीय लोक दल ने नये गठबंधन की संभावनाओं का संकेत दिया है। 

मध्य प्रदेश भाजपा में पड़ी फूट

विधानसभा चुनावों से पहले मध्य प्रदेश भाजपा में आंतरिक विवाद शिखर पर है। पार्टी नेताओं के एक गुट ने कथित तौर पर भाजपा हाईकमान से हस्तक्षेप करने व घर संभालने की अपील की है। सूत्रों के अनुसार भाजपा तीन गुटों में बंट गई है। तीन झगड़ रहे गुटों में से एक का नेतृत्व मुख्यमंत्री शिवराज चौहान कर रहे हैं, दूसरे का नेतृत्व पार्टी अध्यक्ष वी.डी. शर्मा कर रहे हैं और तीसरे का नेतृत्व ज्योतिरादित्य सिंधिया कर रहे हैं। रिपोर्टों में आगे दावा किया गया है कि मुख्यमंत्री चौहान तथा पार्टी अध्यक्ष शर्मा के बीच दरार तथा असहमति काफी बढ़ गई है। सिंधिया के लिए मुख्य चिंता उन विधायकों के हितों की रक्षा करना है, जो कांग्रेस से दलबदली करके उनके साथ भाजपा में शामिल हुए थे। भाजपा के दिग्गज नेताओं में बढ़ते असंतोष में मुख्यमंत्री शिवराज चौहान ने कहा, ‘हमने सभी को साथ लेकर चलना है, जिस का मतलब है, ‘पुरानों का सम्मान तथा नयों को स्थान’। बड़े दिल वाले बनें, क्योंकि भाजपा सांसद, विधायक या मुख्यमंत्री बनाने के लिए चुनाव नहीं लड़ती। 
 

वसुंधरा राजे की अनुपस्थिति 

राजस्थान में भाजपा में सब कुछ ठीक नहीं लग रहा। आंतरिक कलह स्पष्ट देखी जा रही है और पार्टी के भीतर मतभेद खुल कर सामने आ गए हैं। समस्याएं तब स्पष्ट हुईं, जब केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने भाजपा की पूर्व मंत्री वसुंधरा राजे के कार्यकाल के दौरान भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच की कांग्रेस नेता सचिन पायलट की मांग का समर्थन करके एक नया विवाद खड़ा कर दिया। शेखावत ने कहा, ‘यदि कोई भ्रष्टाचार में शामिल है तो जांच होनी चाहिए, परन्तु वह बिना राजनीतिक हस्तक्षेप से होनी चाहिए।’ राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि शेखावत के बयान ने न सिर्फ राजे, अपितु सचिन पायलट की भांति मुख्यमंत्री गहलोत को निशाना बनाया। इस दौरान पार्टी में दरार उस समय सामने आई जब पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे नागौर ज़िले के लाड़नूं में हुई राजस्थान भाजपा कार्यकारिणी कमेटी की बैठक में अनुपस्थित रही। वह पहले भी सभी कार्यकारिणी कमेटियों में शामिल नहीं हुईं।

(आई.पी.ए.)