दुनिया में बरकरार है प्रधानमंत्री मोदी का जलवा

हाल ही में जापान, पापुआ न्यू गिनी और आस्ट्रेलिया के दौरे पर गए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जिस प्रकार भव्य स्वागत हुआ, यह उनकी लोकप्रियता का उदाहरण है। इससे पता चलता है कि दुनिया में प्रधानमंत्री मोदी का जलवा अभी भी बरकरार है। पापुना न्यू गिनी ने प्रधानमंत्री मोदी की निर्विवाद रूप से ग्लोबल नेता स्वीकार किया है। प्रधानमंत्री जेम्स मारपे ने नरेंद्र मोदी से कहा कि प्रशांत द्वीप राष्ट्र उन्हें ग्लोबल साउथ के नेता के रूप में मानता है। प्रशांत द्वीप समूह के देशों के सामने आने वाली समस्याओं पर रोशनी डालते हुए जेम्स मारपे ने कहा कि हम वैश्विक राजनीति के शिकार हैं। आप (प्रधानमंत्री मोदी) ग्लोबल साउथ के नेता हैं। हम वैश्विक मंचों पर आपके नेतृत्व का समर्थन करेंगे।
प्रधानमंत्री मोदी से जी-20 और जी-7 जैसे वैश्विक मंचों पर छोटे द्वीप राष्ट्रों के लिए एक सक्रिय आवाज़ बनने का आग्रह करते हुए जेम्स मारपे ने प्रधानमंत्री मोदी से कहा कि आप वह आवाज़ हैं जो हमारे मुद्दों को उच्च स्तर पर पेश कर सकते हैं क्योंकि विकसित अर्थव्यवस्थाएं, वाणिज्य, व्यापार और जियो-पॉलिटिक्स से जुड़े मामलों पर चर्चा करती है।
मरापे ने कहा कि हालांकि हमारी भूमि छोटी हो सकती है और संख्या भी कम हो सकती है, लेकिन प्रशांत क्षेत्र में हमारा क्षेत्र और स्थान बड़ा है। दुनिया व्यापार, वाणिज्य और आवाजाही के लिए इसका इस्तेमाल करती है। हम चाहते हैं कि आप हमारी आवाज़ बनें। उम्मीद है कि इन चर्चाओं के बाद भारत और प्रशांत के संबंध और मज़बूत होंगे।  पिछले दिनों पापुआ न्यू गिनी में तीसरे भारत-प्रशांत द्वीप सहयोग शिखर सम्मेलन की सह-अध्यक्षता करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि भारत बहुपक्षवाद में विश्वास करता है और एक स्वतंत्र, खुले और समावेशी भारत-प्रशांत का समर्थन करता है। प्रधानमंत्री मोदी ने यह भी कहा कि उनके लिए प्रशांत द्वीप राष्ट्र बड़े महासागरीय देश हैं न कि छोटे द्वीप राज्य। प्रधानमंत्री मोदी ने पापुआ न्यू गिनी के प्रधान मंत्री जेम्स मारपे के साथ तीसरे भारत-प्रशांत द्वीप समूह सहयोग शिखर सम्मेलन की सह-अध्यक्षता की।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को उनके वैश्विक नेतृत्व की मान्यता में फिजी के प्रधानमंत्री द्वारा फिजी के सर्वोच्च सम्मान ‘कम्पेनियन ऑफ  द ऑर्डर ऑफ  फिजी’ से सम्मानित किया गया। आज तक गिने-चुने गैर-फिजी लोगों को ही यह सम्मान मिला है। उल्लेखनीय है कि 2014 में लॉन्च किए गए इस मंच में भारत और 14 प्रशांत द्वीप देश शामिल हैं। यह देश हैं—फिजी,पापुआ न्यू गिनी, टोंगा, तुवालु, किरिबाती, समोआ, वानुअतु, नीयू, माइक्रोनेशिया के संघीय राज्य, मार्शल द्वीप समूह, कुक द्वीप समूह, पलाऊ, नाउरू और सोलोमन द्वीप हैं।
गौरतलब है कि देश में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की लोकप्रियता को लेकर अलग-अलग राय रखी जाती है, लेकिन जिस तरह विश्व के दो शक्तिशाली देश अमरीका और अस्ट्रेलिया के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री ने मुक्त कंठों से उनकी लोकप्रियता को सराहा, वह देश के लिए भी गर्व की बात है।
अमरीकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने तो यहां तक कहा कि प्रधानमंत्री जी मुझे आपका आटो ग्राफ  लेना चाहिए। वहीं जापान की यात्रा के बाद जब प्रधानमंत्री पापुआ न्यू गिनी पहुंचे तो अदभुत दृश्य था। अगवानी को आए न्यू गिनी के प्रधानमंत्री जेम्स मरापे ने मोदी के पैर छुए। बताते हैं कि जापान में क्वाड बैठक के वक्त बाइडन ने प्रधानमंत्री मोदी से कहा कि उन्हें एक अजीबोगरीब चुनौती से जूझना पड़ रहा है। बाइडन ने तो यहां तक कहा कि अगले महीने हमने वाशिंगटन में आपके सम्मान में जो स्वागत भोज रखा है, उसमें शामिल होने के लिए पूरा देश उमड़ रहा है। 
आस्ट्रेलिया की यात्रा के दौरान के सिडनी में जिस तरह पूरा स्टेडियम वहां रहते भारतीयों से भर गया था और मोदी मोदी के नारे से गूंज उठा था, उसे देख आस्टे्रलिया के प्रधानमंत्री एंथोनी अल्बनीज़ भी हैरान हो गए थे। उस समय उन्होंने ने प्रधानमंत्री मोदी की खूब प्रशंसा की थी
गौरतलब है कि 2014 में अपने पहले कार्यकाल के दौरान ही प्रधानमंत्री मोदी ने जो प्रयास शुरू किए थे, उसके बाद से अंतर्राष्ट्रीय मंच पर जहां भारत मजबूत हुआ वहीं व्यक्तिगत स्तर पर उनकी लोकप्रियता अभूतपूर्व स्तर तक पहुंची है। कुछ महीने पहले ही इटली की प्रधानमंत्री जार्जिया मेलोनी ने एक कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री मोदी को विश्व का सबसे लोकप्रिय नेता करार दिया था। वस्तुत: अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर हो रही यह प्रशंसा जहां वैश्विक प्रयास के लिए अहम है, वहीं घरेलू स्तर पर भी इसका राजनीतिक असर दिखता है। पिछले लोकसभा चुनाव में हर आयु वर्ग के लोगों के लिए यह गर्व का विषय था और कईयों ने इसे ही अपने फैसले का आधार बनाया था। सिडनी में पहले क्वाड समूह की बैठक होनी थी, लेकिन अमरीकी राष्ट्रपति जो बाइडन के मना कर देने के बाद क्वाड समूह के शीर्ष नेताओं की बैठक हिरोशिमा में जी-7 की पृष्ठभूमि में ही हो गई। हालांकि प्रधानमंत्री मोदी इसके बाद ऑस्ट्रेलिया की अपनी यात्रा गए। हिरोशिमा में यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की से मुलाकात और बातचीत के दौरान प्रधानमंत्री मोदी का वक्तव्य खूब प्रसिद्ध हुआ है।
यही नहीं जी-7 शिखर सम्मेलन में शामिल होने के लिए 19 मई को हिरोशिमा पहुंचे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का भाषण फिर से चर्चा में है। इससे पहले पिछले साल सितम्बर में प्रधानमंत्री मोदी का वक्तव्य वैश्विक स्तर पर चर्चा में आया था, जब उन्होंने रूसी राष्ट्रपति पुतिन को कहा था कि ‘यह युद्ध का युग नहीं है।’ तब रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ प्रधानमंत्री मोदी ने टैलिफोन पर की बातचीत में रूस के राष्ट्रपति को कूटनीतिक रूप से युद्ध की समाप्ति की सलाह दी थी। 20 मई को यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर ज़ेलेंस्की से बातचीत में प्रधानमंत्री मोदी ने युद्ध को मानवता की समस्या बताया और उनका यह बयान खासा चर्चित हो रहा है। उन्होंने युद्ध के बारे में भारत की स्थिति को साफ  करते हुए कहा था कि यूक्रेन में युद्ध दुनिया के लिए एक बड़ी चिंता है और इसने पूरे विश्व को प्रभावित किया है, लेकिन मैं इसे राजनीतिक या आर्थिक मुद्दा नहीं मानता, यह मेरे लिए मानवता, मानवीय मूल्यों का मुद्दा है। प्रधानमंत्री मोदी ने यूक्रेनी नेता के साथ सहानुभूति जताते हुए कहा कि भारत उनकी पीड़ा और तकलीफ को समझ सकता है, क्योंकि भारत भी इस अनुभव से गुजर चुका है। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि युद्ध का दर्द क्या होता है, वह बेहतर जानते हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस वक्तव्य की वैश्विक पटल पर काफी प्रशंसा हुई है।
भारत इस बार जी-20 और एससीओ दोनों ही समूहों की अध्यक्षता कर रहा है। चीन की विस्तारवादी नीतियों से दुनिया के कई देश परेशान हैं और इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में भारत को एक बड़ी ताकत के तौर पर आंका जा रहा है। भारत भी इसका पूरा फायदा उठाकर जी-7 हो या क्वाड, अपनी आर्थिक ज़रूरतों को पूरा करने की मांग भी कर रहा है और अपनी विदेश नीति की वकालत भी। भारत का वैश्विक रंगमंच पर बड़े खिलाड़ी के तौर पर आगमन हो चुका है।

(युवराज)