अदारा ‘अजीत’ को निशाना बनाना ़गलत बरजिन्दर सिंह हमदर्द ने हमेशा पंजाब की सेवा की 

पंजाब में आज नेताओं को तो दबाया ही जा रहा है, वर्करों को भी दबाया जा रहा है। उनकी आवाज़ बंद करने की कोशिश की जा रही है। जिन्होंने मदद नहीं की, आज उनको ठोकने में लगे हुए हैं। जिनमें थोड़ी बहुत शक्ति है, उनको भी निशाना बनाया जा रहा है। लेकिन जो प्रैस से हो रहा है, वह बहुत ही गलत है, आने वाले समय के लिए, पंजाब की लोकतांत्रिक प्रणाली के लिए, सामाजिक जीवन के लिए यह अच्छी बात नहीं है। जालन्धर की प्रैस मशहूर है। जो अजीत अखबार है, यह आज का नहीं, आज़ादी से पहले का अखबार है जो पंजाब की सेवा करने में लगा हुआ है। आप एक बात को जानकर हैरान होंगे, शायद आप कई लोगों को पता न हो, मुझे भी यह बात आज पता चली कि अजीत पत्रिका पहले लाहौर से निकलती थी। इसकी जो सोसायटी थी, सिख न्यूज़ सोसायटी, यह लाहौर में थी, और इसके चेयरमैन हमारे इलाके के थे स. बलदेव सिंह धूमणा, जो कि रक्षा मंत्री भी रहे। तब यह उर्दू में निकलती थी। इसको एक ट्रस्ट मैनेज करता था, सोसायटी मैनेज कर रही थी। 1955 से इस अदारे की ओर से पंजाब में अजीत अखबार निकालना शुरू कर दिया गया। अजीत अखबार ने पंजाब की अथाह सेवा की। यहां तक कि खाड़कूवाद में भी इन्होंने लोहा लिया। जिन लड़कों के साथ नाजायज़ होती थी, उनके पक्ष में भी ये खबरें लगाते रहे। हमेशा पंजाब को इन्होंने ऊपर उठाया। स. साधु सिंह हमदर्द 1955 में इसके च़ीफ एडीटर बने और उन्होंने लगातार पंजाबी की सेवा की और यह एक प्रमुख अखबार पंजाब का पंजाबी में चलता रहा। पूरे पंजाब, पंजाबियत की इन्होंने बहुत सेवा की। स. बरजिन्दर सिंह हमदर्द जो कि स. साधु सिंह हमदर्द जी के बेटे हैं, वह आज इसके न्यूज़ एडीटर हैं, च़ीफ न्यूज़ एडीटर। और देखें कि विलक्षणता की बात, कि वह ऐसे व्यक्ति हैं जो पंजाबी ट्रिब्यून के भी फाऊंडर एडीटर रहे। पंजाबी ट्रिब्यून जब शुरू हुआ तो यह च़ीफ एडीटर थे। उन्होंने उसको कामयाब किया। उन्होंने पंजाबी की बहुत बड़ी सेवा की है।
दूसरे घराने में आकर दूसरे का च़ीफ एडीटर बन कर हमदर्द साहिब ने बड़ी सेवा की। राज्यसभा के सदस्य भी रहे। ऐसे लोगों को संभालना होता है, पालना होता है, देश की सेवा के लिए, पंजाब की सेवा के लिए ऐसे लोगों को तगड़ा करके रखना होता है लेकिन मैं हैरान हूं कि पंजाब सरकार तो अजीत अखबार को डुबोने में लगी हुई है जो कि आधार है पंजाबी का अखबार है। उसकी एैड बंद कर दी गईं। वह भी मैं मान गया। देखो, मुझ पर कार्रवाई हो, कोई ज्यादा आश्चर्यजनक बात नहीं, क्योंकि मैं पालिटिकल व्यक्ति हूं। मैं मुख्यमंत्री रहा हूं। सौ बार उनको स्टेज पर गलत बोला होगा, उनको बुरा लगा होगा या उनको ऐसे लग रहा होगा कि यह दोबारा आगे न आ जाए। मुझे ठोक रहे हैं, यह अलग बात है लेकिन बरजिन्दर सिंह हमदर्द जी जो कि पंजाब में लब्ध प्रतिष्ठ व्यक्ति हैं, यह हर कोई जानता है। एक बात यकीन से आपको बताना चाहता हूं ईमानदारी के साथ कि आज तक मैं कितने ही चुनाव लड़ चुका हूं, आज तक चुनावों में अजीत अखबार ने पैसे नहीं लिए। इस बात का मैं साक्षी हूं।
पैसे लेकर कभी उन्होंने खबर नहीं लगाई। यह नहीं है कि जितनी लाइनें लगीं, उतने पैसे दें, इस प्रकार कभी अजीत ने नहीं किया। न ही इनके टी.वी. ने कभी किया। ऐसा अखबार। मैं जंग-ए-आज़ादी की बात करता हूं। जंग-ए-आज़ादी की 2014 में स. प्रकाश सिंह बादल जी ने शुरुआत की। एक बहुत बड़ा और बढ़िया अदारा बनाया जो कि आज़ादी के संघर्ष में पंजाब में से जो लोग शहीद हुए उनकी शहीदियों को दर्शाता है। एक नैशनल मोनूमैंट एक बहुत अच्छा अदारा है, यह जहां जाकर आपको देश के इतिहास, पंजाब के इतिहास का पता चलता है। जिन्होंने देश के लिए अपनी जान दी। इस अदारे का बरजिन्दर सिंह हमदर्द को बादल साहिब ने मिन्नतें करके चेयरमैन बनाया और साथ में सैक्रेटरी डी.सी. है। सब कुछ सी.एम. के अंडर होता है, सी.एम. की देखरेख में सब कुछ बनता है। वहां पी.डब्ल्यू.डी. और सरकारी एजेंसियां काम करती हैं। डी.सी. उसका चैक काटते, डी.सी. के पास सभी रिकार्ड होते हैं। डी.सी. ने सब कुछ देखना होता है। मैं हैरान हूं कि उसके लिए विजीलैंस पंजाब की बरजिन्दर सिंह हमदर्द को बुला रही है अपने दफ्तर में जो कि घोर निन्दनीय बात है। इससे घटिया हरकत और कोई नहीं हो सकती कि एक शरीफ, ईमानदार और प्रगतिशील देश की सेवा करने वाला व्यक्ति जिसने अपनी राज्यसभा की सीट भी वापिस कर दी थी, पंजाब, पंजाबियत की सेवा करने के लिए। उस व्यक्ति को आप शक के कटघरे में खड़ा करके बदनाम करने के लिए, ज़लील करने के लिए नोटिस दे रहे हो। यदि पहले अजीत की एैड बन्द न की होतीं, फिर भी आप बुला लेते तो फिर भी यह समझ में आता कि शायद इसके कारण बुलाया गया है। अब तो रिकार्ड बनाया है पहले आप ने कि हमने अजीत अखबार को ठोकना है, अजीत को तंग करना है। गुजरात के, कर्नाटक के, दिल्ली के, सभी समाचार-पत्रों को विज्ञापन जा रहे हैं, कन्नड़ के समाचार पत्रों को जा रहे हैं, गुजराती में जा रहे हैं। अन्य भाषाओं में पूरे पृष्ठ जा रहे हैं लेकिन अपना जो पंजाबी को प्रफुल्लित कर रहा समाचार पत्र, उसे विज्ञापन ही नहीं दिये जा रहे हैं। यदि जांच का कार्य पहले शुरू किया होता तो फिर हम समझ सकते थे कि यह वैनडेटा (बदले की कार्रवाई) नहीं है, यह तो बरजिन्दर सिंह हमदर्द की कोई अन्य बात है। रिकार्ड पहले ही बना लिया कि हमनें इन्हें ठोंकना है और अब नोटिस विजीलैंस का दे दिया, इस प्रकार हुआ सरकारी एजेंसियों का दुरुपयोग। और वह भी एक ऐसी शख्सियत को निशाना बनाने के लिए जो कि लोकप्रिय है, जिसने निष्काम सेवा की, पंजाब, पंजाबियत की, यह बहुत ही निंदनीय बात है। और मैं इसकी कड़ी निंदा करता हूं। और सरकार से विनती करता हूं कि इस प्रकार का माहौल उत्पन्न करना बंद करे। यह आप बिल्कुल गलत कर रहे हैं। इस नोटिस को वापस लें। यह ठीक है कि आप नोटिस देकर ज़लील कर लोगे, सब कुछ कर लोगे, परन्तु यह जो प्रथा शुरू कर रहे हो, यह बिल्कुल गलत है। इससे पंजाबियों के मन को ठेस पहुंच रही है। यह बहुत ही गलत हो रहा है पंजाब में। इसलिए इसे तुरंत वापस लिया जाए, क्योंकि हमदर्द साहिब एक ऐसी शख्सियत हैं, जिन्होंने पंजाब, पंजाबियत की निष्काम सेवा की है। और मैं इस बात का साक्षी हूं, देखो कोई ऐसा व्यक्ति नहीं है पंजाब में जिसे तीन सरकारों ने प्रमाणित किया हो। बादल साहिब ने इन्हें जंग-ए-आज़ादी का चेयरमैन बनाया। कैप्टन साहिब की सरकार आ गई, कैप्टन साहिब कहते थे, हमदर्द साहिब आप बहुत अच्छा कार्य कर रहे हो, बहुत बढ़िया अदारा बन गया है। आप जारी रखो। मैं पर्यटन मंत्री था, कुदरती मेरा सीधा संबंध था इनके साथ। नई सरकार आई इन्होंने त्याग-पत्र दे दिया था कि मैंने तो काम नहीं करना। मुझे पिछली सरकार ने लगाया था कि मैं इतना ही कार्य कर सकता हूं। मेरी ड्यूटी लगी सरकार की ओर से कि हमदर्द साहिब को मनाएं, कांग्रेस सरकार की ओर से। अकालियों ने भी व्यक्ति लगाया हुआ था, मैंने इन्हें विनती की कि हमदर्द साहिब, आप जारी रखें। बड़ी मुश्किल से हमने लोग भेज तक इन्हें जारी करवाया। आज से 6 वर्ष पहले। उसके बाद मैं मुख्यमंत्री बन गया। मैंने भी इन्हें जारी रखा कि आप ही काम करें। यहीं बस नहीं, इनका बहुत अच्छा काम देखकर आपको याद होगा, पांच सौ पचास वर्षीय गुरु नानक देव जी का प्रकाश पर्व मनाया गया तो मैं उस समय पर्यटन मंत्री था, मुझे उसका प्रभारी बना दिया गया, क्योंकि पर्यटन मंत्री था, पर्यटन का काम था, हमने उसे बहुत बढ़िया ढंग से किया, पूरे हिन्दुस्तान में नहीं, विश्व में इस की शोभा हुई कि पंजाब सरकार ने बहुत बढ़िया तरीके से यह दिन मनाया है। प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति वहां आए। 
इसके साथ ही हमने वहां एक गांव बाबे नानक का,जिस पर 500 करोड़ रुपये लगने थे, वहीं बनाना था हमने, मैं हमदर्द सारिब के पास गया कि हमदर्द साहिब आपने जंग-ए-आज़ादी बहुत अच्छा प्रोजैक्ट बनाया है, आप कृपा करें हम पर, आपने बाबा नानक की जो नगरी बनानी है, वहां गांव बाबे नानक का बनेगा, उसके भी चेयरमैन बन जाएं। हमदर्द साहिब ने हाथ जोड़ दिये, कहा कि मैं इतनी ही सेवा कर सकता हूं, मैंने आगे नहीं करनी। मैंने उसका चेयरमैन नहीं बनना। फिर एक बैठक हुई। बैठक के बाद इन्होंने एक जंग-ए-आज़ादी यादगार की रिपोर्ट पेश की। मैंने कहा जी हमदर्द साहिब आपको यह रिपोर्ट पेश करने की क्या आवश्यकता है, हमने आपसे क्या रिपोर्ट लेनी है। वहां कैप्टन अमरेन्द्र सिंह भी बैठे थे, कैप्टन अमरेन्द्र सिंह जी ने कहा, यदि वह कुछ कहना चाहते हैं, रखना चाहते हैं, रखने दो। 
बाद में कैप्टन साहिब भी कहने लगे कि हमदर्द साहिब आपने हमारे गांव बाबा नानक का जो प्रोजैक्ट बनना है, उसकी ज़िम्मेदारी संभालें। यदि यह लालची होते, यदि इन्होंने कोई इस प्रकार की हेराफेरियां करनी होतीं तो वह प्रोजैक्ट संभाल लेते। इस बात का तो मैं साक्षी हूं कि उसकी भी ज़िम्मेदारी दे रहे थे इन्हें, इन्होंने नहीं ली। सो, ऐसे व्यक्ति को जिसकी सरकारें मिन्नतें करती रहीं आज की, पिछली कि जी आप यह कार्य कर दें, यह कार्य कर दें, आप पंजाब, पंजाबियत के लिए... और मैंने यह देखा, पहले मुझे यही लगता था कि यह किसी एक पार्टी की मदद करते हैं। थोड़े दिनों बाद मैंने इनका एक लेख, देखा जो उस पार्टी के  ही विरुद्ध था। 
इसलिए जो यह काम हुआ, विजीलैंस का जो यह नोटिस आया, उसके लिए मैं सरकार को विनती करूंगा कि सम्मानपूर्वक उन्हें यह जा कर कहें कि गलत हुआ और इसे वापस लिया जाए ताकि पंजाब में जो हमारी अच्छी शख्सियतें हैं, जिन्होंने आने वाले दिनों में हमें और ऐसे अपने अनुभवों से लाभ देना है, ऐसे अदारे जिन्हें हमने संभाल कर रखना है, उन्हें परेशान न किया जाए। इस राजनीति में लम्बे उतार-चढ़ाव आते रहते हैं कि आज किसी और की सरकार है, कल किसी और की थी, परसों किसी और की होगी। लेकिन ऐसे अदारों को क्षति पहुंचाना जो पंजाब की सेवा करते हैं, सही नहीं। इसलिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद। मुझे उम्मीद है कि आपके द्वारा यह बात अवश्य मौजूदा सरकार तक पहुंचेगी। थैंकयू।