वैश्विक शांति के लिए दुनिया को एकजुट होना होगा

अब तक फिलिस्तीन के करीब 11,600, यूक्रेन के लगभग 2105, इज़रायल के 282 और लेबनान के करीब 53 मासूमों की तितलियों को पकड़ने के लिए उनके पीछे दौड़ने, खिलौनों के लिए मम्मी-पापा से रूठने और बड़े होकर कामयाबी के चांद सितारे छूने की सारी हसरतों को चल रहे युद्ध लील गए हैं। रूस-यूक्रेन, इज़रायल-गाज़ा पट्टी (हमास) और इज़रायल-लेबनान (हिजबुल्लाह) युद्ध की यह समूची मानवहानि नहीं है। यह तो सिर्फ  मासूमों के रक्तपात का मोटा-मोटा ब्योरा है, जबकि जानकारों का मानना है कि ये आंकड़े सच्चाई से काफी कम है। अगर इन दो सालों में रूस-यूक्रेन, गाज़ा और इज़रायल से लेकर लेबनान तक में मारे गये सभी बेगुनाह लोगों का जोड़-घटाव करें तो करीब 2 लाख लोगों ने इन दो सालों में अपनी जान गंवाई है। 
लाचारी का रक्त स्नान बन चुके इन युद्धों में मासूमों की ममता से गले तक भरी माताएं, परिवार की ज़िम्मेदारियों को कंधे पर उठाये मजदूर, सरहद की ज़िम्मेदारी का कौलभरे सिपाहियों से लेकर आसक्त बूढ़ों और घर के अनेक मुखियाओं ने भी बारूदी जंग में अपनी जान गंवा दी है, लेकिन जिन लोगों को इन नियमित, अनियमित युद्धों के गोला बारूद ने सीधा अपना शिकार नहीं बनाया, उन्हें भी घायल करने और अधमरा करके छोड़ देने का इनका खौफनाक आंकड़ा डराता है। जी हां, विश्व बैंक से लेकर अंतर्राष्ट्रीय मुद्राकोष और दूसरी तमाम दुनियावी अर्थव्यवस्थाओं पर नज़र रखने वाली संस्थाओं का मानना है कि इन युद्धों के कारण अफ्रीका से लेकर एशिया और लैटिन अमरीका तक में करोड़ों लोगों के मुंह का निवाला या तो छिन गया है या बहुत मुश्किल हो गया है। रूसी थिंक टैंक सोचता था कि अकूत ताकत और सिहरा देने वाली बेरहमी का मालिक व्लादिमीर पुतिन यूक्रेन पर झपट्टा मारेगा और दस दिनों के भीतर यूक्रेन के पंख नोच डालेगा। यह सब कुछ इस कदर पलक झपकने के अंदाज़ में होगा कि दुनिया समझ ही नहीं पायेगी और रूस यूक्रेन को डकार जायेगा।
लेकिन न तो दस दिनों के भीतर पुतिन यूक्रेन को डकार पाए और न ही 72 घंटों में बेगुनाहो के हत्यारे इज़रायली प्रधानमंत्री नेतन्याहू हमास को नेस्तनाबूद कर पाए, जिसकी उसने कसम खायी थी। दस दिनों में यूक्रेन को डकार लेने की धमकी देने वाले पुतिन अढ़ाई साल बाद भी नहीं समझ पा रहे कि यूक्रेन पैरों की तरफ  से अपाहिज हुआ है या उसके कंधे घायल हुए हैं। भले हर तरफ डर और दहशत के गुबार अटे हों, भले अनधिकृत आंकड़ों के मुताबिक करीब 50 हज़ार यूक्रेनी नागरिक और करीब 23 हज़ार यूक्रेनी सैनिक जंग में मारे गए हों, लेकिन अभी भी जंग किसी किनारे लगती नहीं दिख रही। पुतिन भले न स्वीकारते हों कि यूक्रेन ने भी रूस की हालत खराब कर दी है, परन्तु हकीकत यही है कि अब तक करीब 15 से 18 हज़ार रूसी सैनिक मारे जा चुके हैं और खुफिया एजेंसियों के जरिये यूरोपीय संघ का आंकलन तो यह है कि इस युद्ध में रूस के अब तक 50 हज़ार से ज्यादा सैनिक मारे गए हैं। 
इज़रायल की अर्थव्यवस्था पिछले लगभग एक साल में यानी जब 7 अक्तूबर, 2023 को आतंकी संगठन हमास के सिरफिरों ने इज़रायल पर अप्रत्याशित हमला कर दिया था और 282 से ज्यादा मासूमों के साथ 1200 लोगों को मौत के घाट उतार दिया था, जिसमें 250 से ज्यादा महिलाएं और 1 स्कूली कार्यक्रम में हिस्सा ले रहे 300 से ज्यादा किशोर और युवा थे। जानकारों के मुताबिक तब से अब तक लडे जा रहे बेसिर पैर के इस युद्ध के कारण इज़रायल की अर्थव्यवस्था 40 फीसदी से ज्यादा तहस-नहस हो चुकी है जबकि फिलिस्तीन की अर्थव्यस्था 85 से 90 फीसदी तक ध्वस्त हो चुकी है। इज़रायल ने अपने हवाई हमलों से गाज़ा पट्टी में जितनी इमारतें नेस्तनाबूद की हैं, अगर उन सबको फिर से बनवाया जाए तो करीब 1200 बिलियन डॉलर का खर्च आएगा और 4 साल से ज्यादा का समय लगेगा। इज़रायल ने अपने हमलों से न सिर्फ  फिलिस्तनियों को मौत के घाट उतारा है बल्कि उससे भी कहीं ज्यादा बेरहमी से फिलिस्तीन के हिस्से वाली समूची गाज़ा पट्टी को मिट्टी में मिला दिया है।  देखने वाली बात ये है कि पिछले दो सालों से रूस-यूक्रेन तथा गाज़ा पट्टी और लेबनान तक में लोगों का जीना हुआ पड़ा है। 
पुतिन अपने किए गए पर पछतावा करने की बजाय यूक्रेन पर हमला करने, उसके कुछ हिस्सों को अपने में मिला लेने को अपना हक समझता है, तो वैसा ही यूक्रेनी राष्ट्रपति व्लोदोमीर ज़ेलेंस्की पश्चिमी देशों के समर्थन, दान व उधार में मिले हथियारों से रूस को पटखनी देने का सिरफिरा ख्वाब देख रहा है। वहीं नेतन्याहू बार-बार दुनिया को युद्ध विराम के नाम पर अपनी शर्तों का ऐसा जामा पहनाने की मांग करता है कि वह मांग कभी पूरी न हो। रूसी राष्ट्रपति पुतिन, यूक्रेनी राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की, इज़रायली प्रधानमंत्री नेतन्याहू और हमास तथा हिजबुल्लाह जैसे नॉन स्टेट एक्टर। वास्तव में इन्हीं पांचों ने दुनिया का सुख चैन छीन लिया है, वक्त आ गया है कि दुनिया अपने सुख चैन के लिए इन सबके विरुद्ध एकजुट हो जाए।
 -इमेज रिफ्लेक्शन सेंटर