समंथा हार्वे की परी-कथाओं के नाम रहा बुकर प्राइज़ 2024
‘स्पेस प्रोग्राम खत्म होने से पहले अपने किस्म के एक अंतिम स्पेस स्टेशन मिशन के लिए छह एस्ट्रोनॉट्स व कोस्मोनॉट्स का चयन होता है, जिनमें महिलाएं भी हैं व पुरुष भी और इनका संबंध अमरीका, रूस, इटली, ब्रिटेन व जापान से है। वह अपना जीवन पीछे छोड़ गये हैं ताकि सत्रह हज़ार मील प्रति घंटा की रफ्तार से यात्रा कर सकें जब पृथ्वी उनके नीचे घूम रही हो। हमें पृथ्वी पर उनके जीवन की संक्षिप्त झलक मिलती है- उनके फोटो, परिवार से कम्युनिकेशन आदि के ज़रिये। हम उन्हें देखते हैं डीहाइड्रेटेड भोजन करते हुए, गुरुत्वाकर्षण-रहित नींद में तैरते हुए और सैनिकों जैसे रूटीन में एक्सरसाइज करते हुए ताकि उनकी मांसपेशियों की ताकत बनी रहे। हम उन्हें देखते हैं आपस में दोस्ती करते हुए जो उनके और पूर्ण एकांत के बीच में खड़ी हो जाती है। इससे भी बढ़कर यह कि हम उनके साथ होते हैं जब वह खामोश नीले ग्रह (पृथ्वी) को देखते व रिकॉर्ड करते हैं। मात्र 24 घंटे में उनका 16 सनराइज व 16 सनसेट को अनुभव करना और गैलेक्सी में रोशन, टिमटिमाते तारों को देखना एकदम से मंत्रमुग्ध कर देता है और इसमें अपनापन आश्चर्यजनक है। इसी प्रकार नीचे सभ्यता के निशान भी, जो उस ग्रह पर नक्श हैं, जिसमें हम रहते हैं।’
यह सार है ब्रिटिश लेखिका समंथा हार्वे के उपन्यास ‘ऑर्बिटल’ का जिसे वर्ष 2024 के बुकर प्राइज से सम्मानित किया गया है। यह अति सम्मानित साहित्यिक ईनाम इंग्लैंड व आयरलैंड में पिछले एक वर्ष के दौरान प्रकाशित उपन्यासों में से किसी एक को दिया जाता है। चयन समिति द्वारा चुने गये श्रेष्ठ उपन्यास को 50,000 पौंड पुरस्कार राशि के रूप में दिए जाते हैं। ‘ऑर्बिटल’ स्पेस के बारे में गहरा व शानदार मंथन तो है ही, लेकिन साथ ही मानवता, पर्यावरण व हमारे ग्रह पर हृदय विदारक शोकगीत भी है। हार्वे ने इस उपन्यास के लिए एस्ट्रोनॉट्स की किताबें पढ़कर और स्पेस स्टेशन के लाइव-कैमरा को देखकर शोध किया। वह कहती हैं, ‘स्पेस से पृथ्वी को देखना ऐसा है, जैसे बच्चा आईना देखे और पहली बार एहसास करे कि आईने में जो व्यक्ति है वह स्वयं है। हम जो पृथ्वी के साथ करते हैं वह वास्तव में हम अपने साथ करते हैं।’ यह उपन्यास क्लाइमेट चेंज पर नहीं है, लेकिन इसमें यह भाव अवश्य है कि क्लाइमेट चेंज मानव निर्मित है। हार्वे ने यह पुरस्कार उन सभी को समर्पित किया जो पृथ्वी के लिए बोलते हैं, उसके विरुद्ध नहीं; मानव सम्मान के लिए बोलते हैं, अन्य इंसानों व जीवन के विरुद्ध नहीं।
इस बार जिन छह लेखकों के कार्य को शोर्ट लिस्ट किया गया था, उनमें से पांच उपन्यास महिलाओं द्वारा लिखे गये थे और 2019 के बाद समंथा हार्वे पहली महिला विजेता हैं। ‘ऑर्बिटल’ पहली बुकर प्राइज विजेता किताब है जिसे स्पेस में सेट किया गया है और मात्र 136 पेज की है, जिससे यह पुरस्कृत होने वाली दूसरी सबसे छोटी पुस्तक बन जाती है। जो पुस्तकें शोर्ट लिस्ट की गईं थीं, उनमें इसका टाइमफ्रेम सबसे छोटा है, मात्र 24 घंटे का। हार्वे ने ‘ऑर्बिटल’ की कल्पना ‘स्पेस पैस्टोरल’ के रूप में की थी, यानी स्पेस की सुंदरता के बारे में एक प्रकार का प्रकृति लेखन। हार्वे को 2009 में उनके पहले उपन्यास ‘द विल्डरनेस’ के लिए लांग लिस्ट किया गया था, जो एक बूढ़े होते आर्किटेक्ट की कहानी है जो अल्झाइमर रोग से पीड़ित है। इस किताब को बेट्टी ट्रास्क प्राइज से सम्मानित किया गया था। उनका पिछला उपन्यास ‘द वेस्टर्न विंड’ था, जो सॉमरसेट में 15वीं शताब्दी के एक पादरी की कहानी है।
हार्वे ने 2020 में अपनी पहली नॉन-फिक्शन पुस्तक ‘द शेपलेस अनईज़: ए इयर ऑ़फ नॉट स्लीपिंग’ प्रकाशित की, जो उनके नींद न आने के अपने अनुभव पर आधारित है। हार्वे बाथ स्पा यूनिवर्सिटी में क्रिएटिव राइटिंग के लिए एमए पाठ्यक्रम की फैकल्टी का हिस्सा हैं। उनके अभी तक पांच उपन्यास प्रकाशित हो चुके हैं। ‘ऑर्बिटल’ शानदार व दिलचस्प उपन्यास है, जिसमें मानवता को स्पेस से देखा गया है। पृथ्वी ग्रह की कल्पना स्पेस में ताज की तरह भी की गई है और मानव क्रमविकास के वेस्टलैंड के तौर पर भी। इससे बेचैनी का एहसास उत्पन्न होता है और धीरे-धीरे इंसान इस बात से समझौता कर लेता है, जब तेज़ हवाएं मानव बस्तियों को उखाड़ती हैं, पानी की लहरें खेतों को गर्क करती हैं, टेकटोनिक प्लेट्स शहरों को हजम करती हैं और आग सभ्यताओं को जलाकर राख करती है, तब वह इतना असहाय हो जाता है कि कुछ नहीं कर पाता। शानदार और भयावह, कुरूप और सुंदर, जिसे रोका जा सकता है और जिसे रोका नहीं जा सकता ... के बीच इधर से उधर होने की हार्वे में गज़ब की क्षमता है। उनकी शैली पाठक को उपन्यास से बांधे रखती है और उनका गद्य प्रभावी है, जो इंसानी महत्वकांक्षा के वैभव और हमारे अस्तित्व के छोटेपन को अपने अंदर समो लेती है।
मसलन, ‘ऑर्बिटल’ के इस वाक्य को देखिये, ‘यहां हमारा जीवन अवर्णनीय तौर पर नगण्य है और साथ ही महत्वपूर्ण भी, ऐसा प्रतीत हुआ कि वह जागने वाला है और यह कहेगा। दोनों बार-बार आने वाला और अप्रत्याशित भी। हमारा बहुत अधिक महत्व है और हम कुछ भी नहीं हैं।’ इसमें कोई दो राय नहीं हैं कि ‘ऑर्बिटल’ के ज़रिये हार्वे ने एक नये किस्म के फिक्शन को जन्म दिया है, जिसमें आउटर स्पेस को साइंस-फिक्शन की परी कथाओं से बाहर निकालकर साहित्य की ज़मीन पर रख दिया है। स्पेस की कहनियां अब मानव सरोकार से जुड़ गई हैं, भले ही एस्ट्रोनॉट्स रीसाइकिल्ड पेशाब पीते हों। हार्वे हमें आउटर स्पेस में ले जाती हैं, वहां एलियंस से हमारी मुलाकात नहीं कराती हैं बल्कि मानव मस्तिष्क में चल रहे विचारों से रूबरू कराती हैं, तो यह हुई किताब। अदब को नया मोड़ दिया और बुकर प्राइज जीत लिया।
-इमेज रिफ्लेक्शन सेंटर