क्या डी. गुकेश वर्ल्ड चेस चैम्पियन बनेंगे ?

कुछ दिन पहले विश्व के नंबर एक खिलाड़ी मैगनस कार्लसन कोलकाता में थे, टाटा स्टील शतरंज में हिस्सा लेने के लिए। उन्होंने दोनों रैपिड व ब्लिट्ज प्रतियोगिताओं में एक-एक चक्र शेष रहते हुए खिताबी जीतें हासिल कीं। इस तरह वह इस साल अभी तक 10 खिताब जीत चुके हैं, जिससे शतरंज संसार में उनके दबदबे का अंदाज़ा लगाया जा सकता है। लेकिन गौरतलब है कि इन्हीं कार्लसन ने पिछले वर्ष उन्होंने अपने क्लासिकल खिताब की रक्षा करने से इंकार कर दिया था, जिस वजह से चीन के डिंग लिरेन को विश्व क्लासिकल चैंपियन बनने का अवसर मिल गया था। लेकिन इस साल भारत के वंडर बॉय डी. गुकेश ने टोरंटो कैंडिडेट्स में जीत दर्ज करके डिंग लिरेन को चुनौती देने का मौका प्राप्त किया है। विश्व क्लासिकल शतरंज चैंपियनशिप का मुकाबला 25 नवम्बर से 15 दिसम्बर तक सिंगापुर में खेला जायेगा (उद्घाटन 23 नवम्बर को होगा और फिर एक दिन के रेस्ट के बाद पहला मैच खेला जायेगा)। देखना यह है कि इस  साल डिंग लिरेन अपना खिताब बचाये रखने में कामयाब होते हैं या 18 वर्षीय गुकेश सबसे कम उम्र के विश्व चैंपियन बनने का गौरव प्राप्त करेंगे। अगर गुकेश सफल हो जाते हैं, जिसकी प्रबल संभावना है, तो वह विश्व चैंपियन बनने वाले विश्वनाथन आनंद के बाद दूसरे भारतीय होंगे। 
टाटा स्टील प्रतियोगिता के दौरान कार्लसन ने इस संदर्भ में अपनी राय रखी। उनके अनुसार वर्तमान फॉर्म को मद्देनज़र रखते हुए गुकेश फेवरेट हैं, लेकिन साथ ही उन्होंने उन अनिश्चितताओं को भी स्वीकार किया जो विश्व चैंपियनशिप के साथ आती हैं। इसमें कोई दो राय नहीं हैं कि चैंपियनशिप के डायनामिक्स और दबाव एकदम अलग प्रकार के होते हैं। गुकेश के लिए यह पूर्णत: नया अखाड़ा है, बावजूद इसके कि पिछले मुकाबलों में उनका प्रदर्शन प्रभावी रहा है। इसलिए कार्लसन का कहना है कि सिंगापुर में टक्कर अनुमान से कहीं अधिक करीबी होगी अगर डिंग अपनी पीक फॉर्म हासिल कर लेते हैं। शतरंज में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का प्रभाव योजनाओं को कांटे की कर देता है। कार्लसन के अनुसार एआई ने गेम तकनीक व तैयारियों को बदलकर रख दिया है, जिससे सभी खिलाड़ी बराबर के हो जाते हैं। चूंकि टेक्नोलॉजी खिलाड़ियों की तैयारी में मदद कर रही है, इसलिए विश्व चैंपियनशिप्स में केवल एक ही चुनौती रह जाती है- निरंतर प्रैक्टिस और रियल-टाइम गेमप्ले का मिश्रण। 
गौरतलब है कि वर्ल्ड चेस चैंपियनशिप 2024 में पहले 14 गेम्स के लिए क्लासिकल टाइम कंट्रोल (पहली 40 चालों के लिए 120 मिनट, शेष गेम के लिए 30 मिनट, 41वीं चाल के बाद 30-सेकंड का अतिरिक्त इन्क्रीमेंट) का पालन किया जायेगा और अगर स्कोर बराबर रहता है तो रैपिड व ब्लिट्ज टाईब्रेक का प्रावधान है। प्राइज मनी 2.5 मिलियन डॉलर है, जिससे हाई स्टेक का अंदाज़ा लगाया जा सकता है। चीन के ग्रैंडमास्टर डिंग लिरेन का जन्म 24 अक्तूबर 1992 को हुआ था। वह अप्रैल 2023 में इयान नेपो को पराजित करके विश्व चैंपियन बने। 2800 एलो रेटिंग की बाधा पार करने वाले वह शतरंज के इतिहास में 5वें खिलाड़ी थे। विश्व चैंपियन बनने के बाद से डिंग का प्रदर्शन स्तरीय नहीं रहा है बल्कि निरंतर पतन की ओर अग्रसर रहा है और उनकी रेटिंग भी बहुत कम हुई है। दूसरी तरफ गुकेश का जन्म 29 मई, 2006 को हुआ है । उन्होंने बहुत जल्दी तरक्की की और मात्र 12 साल 7 माह व 17 दिन की आयु में ग्रैंडमास्टर बन गये। उस समय उनसे पहले सिर्फ सर्गे कार्जाकिन ही सबसे कम आयु में ग्रैंडमास्टर बने थे और वह भी मात्र 17 दिन कम के अंतर से। गुकेश ने मात्र 17 साल की आयु में कैंडिडेट्स प्रतियोगिता जीती, अप्रैल 2024 में टोरंटो, कनाडा में। कैंडिडेट्स जीतने वाले वह सबसे कम आयु के खिलाड़ी हैं, जिससे उनकी खेल योग्यता का स्वत: ही अंदाज़ा लगाया जा सकता है। अब गुकेश के पास सबसे कम आयु में विश्व चैंपियन बनने का अवसर है अगर वह 2024 वर्ल्ड चेस चैंपियनशिप जीत लेते हैं।  यहां यह बताना भी आवश्यक है कि 2024 से पहले गुकेश व डिंग के बीच क्लासिकल शतरंज के दो मुकाबले हुए हैं। ये दोनों मुकाबले टाटा स्टील मास्टर्स में हुए थे। डिंग ने 2023 के सत्र में गुकेश को काले मोहरों से पराजित किया और फिर 2024 के सत्र में भी यही कहानी दोहरायी गई। इस तरह क्लासिकल शतरंज में डिंग गुकेश से 2-0 से आगे हैं। दोनों के बीच इस साल एक और क्लासिकल मुकाबला सिनक्यूफील्ड कप में हुआ था। डिंग के पास एडवांटेज था, लेकिन उन्होंने गेम ड्रा करने का फैसला लिया। रैपिड और ब्लिट्ज में स्कोर गुकेश के पक्ष में है कि एक गेम ड्रा हुआ और एक में भारतीय खिलाड़ी को जीत मिली।
लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि पलड़ा इस समय गुकेश का भारी है। अमेरिकन ग्रैंडमास्टर हिकारू नकामुरा का मानना है कि भारत के डी. गुकेश के पास हर वो चीज़ है जिससे वह विश्व क्लासिकल चैम्पियनशिप में डिंग लिरेन पर प्रभावी जीत दर्ज कर सकते हैं। गुकेश इस समय ज़बरदस्त फॉर्म में हैं और हाल ही में उन्होंने बुडापेस्ट, हंगरी में भारत को चेस ओलम्पियाड का पहली बार गोल्ड मैडल दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की थी। दूसरी ओर विश्व चैंपियन बनने के बाद से ही डिंग बहुत ही खराब फॉर्म में हैं, वह चालें भूल जाते हैं। इसलिए प्रबल संभावनाएं यह हैं कि गुकेश शतरंज इतिहास में सबसे कम आयु के विश्व चैंपियन बन सकते हैं। अभी तक केवल 17 पुरुषों को विश्व क्लासिकल चैंपियन के रूप में स्वीकार किया गया है। सबसे पहला खिताब 1886 में विलहेल्म स्टेनटिज़ ने जीता था। सबसे कम आयु में यह खिताब गैरी कास्परोव ने जीता जब नात्र 22 वर्ष की उम्र में अनतोली कारपोव को 1985 में हराया था। मिखाइल ताल, मैग्नस कार्लसन व कारपोव ने यह खिताब अपने अपने 25 बसंत से पहले जीत लिया था। गुकेश इन सब का रिकॉर्ड तोड़ने की स्थिति में हैं। वह सबसे कम उम्र के चैलेंजर तो बन ही गये हैं कि उन्होंने 17 वर्ष की आयु में कैंडिडेट्स जीता था।
-इमेज रिफ्लेक्शन सेंटर 

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