युद्ध के बादल

भारत की सरज़मीं पर कश्मीर में आतंकियों ने पहलगाम में 22 अप्रैल को हमला करके 26 भारतीयों की सरेआम गोलियां मारकर हत्या कर दी थी। इसके जवाब में भारत की वायु सेना ने मई माह में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के नाम पर पाक अधिकृत कश्मीर और पाकिस्तान के मध्य अन्य शहरों में आतंकी ठिकानों और वहां की वायुसेना के अड्डों पर हमले करके पाकिस्तान का भारी नुकसान कर दिया था। निष्कर्ष के तौर पर केवल 4 दिनों में ही पाकिस्तान ने घुटने टेक दिए थे और वहां के सैन्य जनरल आसिम मुनीर ने अपने भारतीय समकक्ष को फोन करके हवाई हमले बंद करने के लिए कहा था। 
उसके बाद पाकिस्तान घायल सांप की तरह ज़हर घोल रहा है। वहां की सरकार ने थल सैन्य कमांडर आसिम मुनीर को फील्ड मार्शल का सम्मान देकर नवाज़ा है। जनरल मुनीर जो अपने भारत विरोधी कट्टरपंथी एजेंडे के लिए जाने जाते हैं, को पहले भी अमरीका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने दोपहर के खाने पर बुलाया था, बल्कि मुनीर की अब दो माह में अमरीका की दूसरी यात्रा है। पहलगाम के हमले से पहले मुनीर ने एक भाषण दिया था, जिसमें उसने दो राष्ट्रीय सिद्धांत की चर्चा करते हुए मुसलमानों और हिन्दुओं को हर तरह से अलग-अलग करार दिया था और उसने उस समय भी भारत के विरुद्ध ज़हर उगला था, जिसकी बड़ी चर्चा हुई थी। उसके बाद पहलगाम में आतंकियों द्वारा हमला किया गया था। अब फिर अपनी दूसरी यात्रा दौरान जनरल मुनीर ने भारत के विरुद्ध सख्त और धमकी भरपूर बयानबाज़ी की है। उसने कहा है कि यदि पाकिस्तान के अस्तित्व को खतरा महसूस हुआ तो वह आधी दुनिया तबाह कर देगा और यह भी कि सिंधु जल संधि, जिसको भारत ने पहलगाम के हमले के बाद स्थगित कर दिया था, बारे में उसने कहा कि इससे पाकिस्तान के 25 करोड़ लोगों के लिए भुखमरी की स्थिति पैदा हो सकती है। उसने यह भी धमकी दी है कि यदि भारत ने इस नदी पर पानी रोकने के लिए बांध बनाए तो पाकिस्तान उन्हें अपनी मिसाइलों से तबाह कर देगा, क्योंकि सिंधु नदी भारतीयों की निजी सम्पत्ति नहीं है। इसके साथ ही पिछले दिनों भारत के वायुसेना प्रमुख अमरप्रीत सिंह ने यह दावा किया है कि हमारी वायु सेना द्वारा ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के समय पाकिस्तान के पांच युद्धक विमानों के साथ एक बड़े विमान को भी तबाह कर दिया गया था। इसके बाद सेना प्रमुख जनरल उपेन्द्र द्विवेदी ने भी यह स्पष्ट किया है कि जल्दी ही पाकिस्तान के साथ युद्ध हो सकता है। इसमें उसका कोई अन्य देश भी साथ दे सकता है। इसलिए ऐसे खतरे को भांपते हुए भारतीय सेना को तैयार-बर-तैयार रहना होगा। उन्होंने यह भी कहा कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ एक शतरंज की बाज़ी की भांति था क्योंकि हमें पता नहीं था कि दुश्मन की अगली चाल क्या होगी। हालांकि यह टैस्ट मैच चौथे दिन ही रुक गया था। इसी समय भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी भारत में भारी मात्रा में सैन्य साज़ो-सामान के उत्पादन की प्रशंसा करते हुए कहा कि वर्ष 2024-25 में सैन्य सामान बनाने पर सरकार की ओर से डेढ़ लाख करोड़ रुपये खर्च किए गए जो कि गत वर्ष से 18 प्रतिशत अधिक हैं। उन्होंने यह भी बताया कि भारत ने विदेशों को 23 हज़ार करोड़ से अधिक मूल्य का सैन्य सामान बेचा है और आगामी समय में भी भारत में निर्मित सैन्य साज़ो-सामान की विदेशों में मांग बढ़ने की बेहद सम्भावना है।
इस समय दोनों देशों के बीच जो माहौल बना हुआ है, उसके दृष्टिगत निकट भविष्य में युद्ध शुरू होने की सम्भावना से इन्कार नहीं किया जा सकता। हम समझते हैं कि भारत को अपनी रक्षा ज़रूरतों की पूर्ति के लिए अधिक से अधिक यत्नशील होने की ज़रूरत होगी, परन्तु इसके साथ ही अपनी ओर से लम्बे समय से अपनाई गई नीति पर परम्परा अनुसार भारत सरकार द्वारा ये यत्न भी अवश्य जारी रखने चाहिएं कि दोनों देशों के बीच टकराव को और बढ़ने से हर हाल में रोका जाए। भारतीय सरकारों की नीति समय-समय अपने पड़ोसियों के साथ टकराव की बजाय सद्भावना तथा मेल-मिलाप का संदेश देने की रही है। आज भी उसकी ऐसी ही पहल होनी चाहिए।  

    —बरजिन्दर सिंह हमदर्द

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