आई.टी. शहर के लोग ही साइबर ठगी के अधिक शिकार

यदि यह प्रश्न किया जाए कि देश में सूचना प्रोद्यौगिकी (आई.टी.) में सबसे अग्रणी शहर कौन-सा शहर है तो तुरंत उत्तर मिलेगा—बेंगलुरु। यह कहना चाहिए कि बेंगलुरु की वैश्विक पहचान ही आईटी हब के रूप में होती है। अब यह भी माना जाना चाहिए कि सूचना प्रोद्यौगिकी में बेंगलुरुवासियों की समझ देश के अन्य प्रदेशों के नागरिकों की तुलना में अधिक ही होगी। अब तस्वीर का दूसरा पहलू जो सामने आता है, वह यह कि देश में साइबर अपराधों से पीड़ित लोगों की भी सबसे अधिक संख्या भी बेंगलुरु में ही है।
 साल दर साल साइबर अपराध से ग्रसित लोगों की संख्या बेंगलुरू में बढ़ती जा रही है। हालांकि दिल्ली, हैदराबाद आदि अधिक समझदारों के क्षेत्रों में भी साइबर अपराध अधिक हो रहा है। देश के केवल तीन शहरों बेंगलुरु, दिल्ली-एनसीआर और हैदराबाद में ही साइबर ठगी के मामले 65 फीसदी है। यह आंकड़ा भी केन्द्र सरकार के गृह मंत्रालय द्वारा साइबर अपराधों की रोकथाम के लिए गठित इंडियन साइबर क्राइम कार्डिनेशन सेंटर (आई4सी) की हालिया रिपोर्ट में उभर कर आया है। रिपोर्ट के अनुसार अकेले बेंगलुरु में साइबर ठगी के 26.8 फीसदी मामले, तो दिल्ली-एनसीआर में 18.4 और हैदराबाद में 19.97 प्रतिशत मामलें सामने आ रहे हैं। दूसरी तरफ साइबर ठगी से बचने के उपायों की बात भी आईटी विशेषज्ञों द्वारा ही की जाती है। 
सरकारी आंकड़ों की ही बात करें तो 2024 में 22,845 करोड़ रुपये से अधिक की साइबर ठगी हुई थी। इस साल के शुरुआती पांच माह की ही बात की जाए तो लोग सात हज़ार करोड़ रुपये से अधिक की राशि साइबर ठगी में गंवा चुके हैं। असल में साल-दर-साल साइबर ठगी के मामलों में बढ़ोतरी हो रही है। यह सब तो तब है कि सरकार द्वारा 2018 में साइबर ठगी को रोकने के लिए आई4सी का गठन किया जा चुका है। समय-समय पर मोबाइल पर कॉल करते ही साइबर ठगी से बचने का संदेश कॉलर टोन के रूप में होता है तो सोशल मीडिया के सभी प्लेटफार्म पर साइबर ठगों द्वारा अपनाये जाने वाले तरीकों से बचने के लिए आगाह किया जाता रहा है। एक और यह कि साइबर ठगी की टर्मनोलोजी से भी आज का लगभग प्रत्येक व्यक्ति रुबरु होने के बावजूद गलती कर ही रहा है। एण्ड्रायड मोबाइल रखने वाले  ज़्यादातर लोग फिशिंग, स्पूकिंग, स्पैम और साइबर स्टाकिंग के साथ ही डिजिटल अरेस्ट बारे भी जानकारी रखते हैं। साइबर ठगी के अधिक शिकार पैसे वाले और पैसेवालों में भी अधिकांश उच्च पदों से रिटायर्ड अधिकारी होते हैं। उनकी समझ पर किसी तरह का प्रश्न नहीं उठाया जा सकता। देश-विदेश में बैठे ठग भारतीयों को पैसे का लालच देकर या धमका कर यह अपराध करवा रहे हैं। देखने में यह भी आया है कि साइबर ठग कई दिनों तक लोगों को डिजिटल अरेस्ट में रख कर उन्हों भयभीत करके पैसे ठगते रहते हैं। लोग इस तरह भ्रमित हो जाते हैं कि बिना सोचे समझे लाखों-करोडों में राशि उनके बताए खाते में डालते रहते हैं। 
हालांकि सरकार द्वारा टोल फ्री नंबर जारी करने के साथ ही जागरूकता कार्यक्रम भी लगातार चलाया जा रहा है। आई4सी को सशक्त बनाया जा रहा है। 782 करोड़ रुपये के साइबर सिक्योरिटी प्रोजेक्ट पर भी तेजी से काम हो रहा है।  बार-बार यही कहा जाता है कि अनजान नंबरों से आने वाले वीडियो कॉल की अनदेखी करें। इसी तरह से मोबाइल या मेल पर आने वाले अनजान लिंक पर क्लिक करने से भी बचे। कोई कॉल या वीडियो कॉल पर किसी भी तरह का अफसर बन कर कॉल करे तो उसे तरजीह न दे। ज्यादातर मामलों में आपको या आपके परिवार के निकटस्थ को अवैध गतिविधियों में लिप्त होने का झूठा आरोप लगाकर भय दिखा कर ठगी की जा रही है। यह अब कोई नई बात नहीं रही। ऐसे में सावधान रह कर ही साइबर ठगी से बचा जा सकता है। 
 

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