एक सम्पन्न राज्य बनने की सम्भावना रखता है बिहार
बिहार चुनाव परिणाम स्वयं को दोहराने की प्रक्रिया से निकल एक स्थिर सरकार की चुनौतियों को लेकर आगे बढ़ रहे हैं। बिहार विश्व का पहला घोषित गणराज्य था, जहां वैशाली और लिच्छवी वंश की पताका लहरा रही थी और मगध सबसे बड़ा साम्राज्य था। यहां मौर्य गुप्त वंश के स्वर्ण काल के समय नालंदा जैसी विश्व प्रसिद्ध शैक्षणिक संस्था थी, जो 3000 से अधिक वर्षों तक भारतीय सभ्यता की प्रतीक रही है। इसके बाद तुर्कि के बख्तियार खिलजी आक्रमण, मुगलों की अधीनता और ब्रिटिश हुकूमत के अत्याचार और स्वतंत्र भारत के सबसे गरीब राज्य की कहानी बेहद रोमांचक है, जो उस कहावत सिद्ध करती है कि ‘गिरते हैं शह सवार ही मैदाने जंग में, वो क्या गिरेंगे जो घुटनों के बल चला करते हैं’।
संघर्ष से निकली चुनौतियां
बिहार, मध्य प्रदेश, राजस्थान, उत्तर प्रदेश आदि बीमारू राज्य बन गए। पलायन, बेरोज़गारी, भ्रष्टाचार और गरीबी के उदाहरण बन कर देश पर बोझ बन गए जिसका कारण अस्थिर सरकारों का होना था। जहां तक बिहार का प्रश्न है, यह राज्य मानव शक्ति, प्राकृतिक संसाधनों की बहुलता और जुझारूपन का प्रतीक होने पर भी लंबे समय तक कुशासन और लूट-खसोट तथा एक ही परिवार और उससे जुड़े समर्थकों के लोभ, लालच और शोषण का शिकार रहा है। जो लालू प्रसाद युवाओं का चेहरा हुआ करते थे, वे अपने कार्यों से इस प्रदेश को शर्मसार करने वाले बन गए। वर्तमान सरकार की सबसे बड़ी चुनौती है कि प्रदेश को बाढ़ की विनाशलीला से बचाने की दिशा में सबसे पहले काम करना होगा।
प्रतिवर्ष इस प्राकृतिक आपदा, जिसकी वजह मानवीय लापरवाही है, से निपटने के लिए नदियों पर पुलों का निर्माण, जल संरक्षण और संग्रहण के लिए विशाल जलाशयों का विकास तथा जल विद्युत परियोजनाओं को शुरू करने की ज़रूरत है। इससे प्रदेश की तीन चौथाई भूमि बाढ़ की विभीषिका के कारण बंजर और सूखा प्रभावित क्षेत्र बनने से मुक्त हो जाएगी। इससे कृषि उत्पादन में बढ़ोतरी होगी और किसानों को सिंचाई के साधन उपलब्ध होने से वे आत्मनिर्भर होंगे। इसके साथ ही कृषि क्षेत्र से जुड़े उद्योगों की स्थापना से ग्रामीण महिलाओं के लिए आजीविका के अवसर बढ़ेंगे।
आधारभूत ढांचे का निर्माण
सड़क, पुल, रेल और हवाई यातायात से कनेक्टिविटी के साधनों की उपलब्धता बढ़ने से एक करोड़ से अधिक बिहारी नौकरी, व्यापार और व्यवसाय के लिए दूसरे राज्यों में नहीं जाना चाहेंगे। शिक्षा के क्षेत्र में बिहार कभी पिछड़ा नहीं रहा बल्कि देश में जितनी भी प्रतिष्ठित नौकरियां हैं, उन पर सबसे अधिक बिहारियों का ही कब्ज़ा है। उद्योगों का संचालन करने वाले बिहारियों को अगर अपने ही राज्य में सुरक्षित औद्योगिक वातावरण मिलेगा तो वे राज्य से बाहर क्यों जाएंगे। इंडस्ट्रियल कॉरिडोर और देश के सभी राज्यों के औद्योगिक क्षेत्रों से सीधा संपर्क बिहार के उत्पादों को देशव्यापी और विश्वव्यापी बनाने में महत्वपूर्ण साबित होगा। यह राज्य फूड प्रोसेसिंग यूनिट का हब बन सकता है क्योंकि यहां की खाने पीने की चीज़ों का दुनिया भर में बड़े चाव से सेवन होता है।
बिहार में मछलीपालन को एक विशाल उद्योग में बदलने की अपार संभावनाएं हैं। सौर तथा वायु ऊर्जा के माध्यम से परम्परागत विद्युत उत्पादन में आने वाली बाधाओं को समाप्त किया जा सकता है। वाटर हार्वेस्टिंग से चुनौतियों को दूर करके राज्य 2030 तक हरित ऊर्जा में देश का प्रमुख राज्य बन सकता है। यहां बड़े उद्योग न भी लगें तो भी आधुनिक टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल से लघु और मध्यम उद्योगों का जाल बिछा कर राज्यो के लोगों को काम देकर आर्थिक रूप से खुशहाल बनाया जा सकता है।सरकार यदि युवाओं के लिए मुफ्त शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान करने की व्यवस्था कर दे तो बिहार अगले पांच वर्ष में देश का प्रमुख औद्योगिक केन्द्र बन सकता है। इसके लिए यह भी ज़रूरी है कि बिहार की प्रशासनिक व्यवस्था में रिश्वतख़ोरी की कोई जगह न। यदि बिहार को 12-15 प्रतिशत की वार्षिक ग्रोथ का लक्ष्य प्राप्त करने , प्रति व्यक्ति आय को वर्तमान 87 हज़ार से 4-5 लाख तक ले जाकर न्यूनतम एक ट्रिलियन डॉलर का लक्ष्य हासिल करना है तो ऐसा ब्लूप्रिंट तैयार करना होगा जिससे औद्योगिक विकास और स्थानीय स्तर पर उपलब्ध कच्चे माल पर आधारित कम से कम एक करोड़ औद्योगिक इकाइयों की स्थापना की जा सके। आधुनिक औद्योगिक टेक्नोलॉजी पर आधारित शिक्षा व्यवस्था को अपनाकर प्रशिक्षित और कुशल श्रमिकों तथा मैनेजमेंट की एआई तकनीक उपयोग से युवाशक्ति को ए.आई. तकनीक का इस्तेमाल करके युवाओं शक्ति को करना होगा।
पंच-सूत्री कार्यक्रम
आर्थिक सुधार, आधारभूत ढांचागत क्रांति, मानवीय संपदा का विकास, प्राकृतिक संसाधनों का विवेकशील दोहन और सरकार की प्रतिबद्धता ही नई सरकार का पंच-सूत्री मॉडल हो, जो बिहार का तेज़ रफ्तार से विकास कर सकता है। यह इसलिए आवश्यक है क्योंकि बिहार की 65 प्रतिशत आबादी 35 वर्ष से कम है।
यह उपजाऊ भूमि पर वैश्विक व्यापार करने में सक्षम है। इस मॉडल में एग्रो इंडस्ट्रियल हब, अमृतसर-कोलकाता इंडस्ट्रियल कॉरिडोर और पटना, गया जैसे शहरों में आईटी पार्क स्थापित करने होंगे। इसके लिए कम से कम 10 हज़ार किलोमीटर के हाईवे, 5 हज़ार मेगावाट ऊर्जा प्रोजैक्ट और 10 से अधिक स्मार्ट सिटी बनाने ही होंगे। राज्ये में 2000 से अधिक मॉडल स्कूल तथा आईटी एवं इंजीनियरिंग कॉलेज, प्रत्येक ज़िले में विश्वविद्यालय तथा स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए अस्पताल होने ज़रूरी हैं। सप्लाई चेन सुनिश्चित करनी होगी ताकि निर्मित वस्तुओं को एक स्थान से दूसरे स्थान तक निर्बाध पहुंचाया जा सके। ऐसी व्यवस्था होने से राज्य से प्रतिभा पलायन नहीं होगा और यह पूर्वी राज्य भारत का सम्मानजनक हिस्सा होगा।



