तरनतारन चुनाव का संदेश
तरनतारन के हुए उप-चुनाव में आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार हरमीत सिंह संधू को बड़ी जीत प्राप्त हुई है। इसके लिए हम पार्टी के नेतृत्व को बधाई देते हैं। हरमीत सिंह संधू राजनीति के पुराने खिलाड़ी हैं। इस क्षेत्र से वह एक बार आज़ाद, दो बार अकाली दल की ओर से और इस बार आम आदमी पार्टी की ओर से जीते हैं। विधानसभा के इस क्षेत्र में विगत लम्बी अवधि से सक्रिय होने के कारण उनका यहां अपना बड़ा प्रभाव बना हुआ है। इसके अतिरिक्त पार्टी ने यह सीट पूरी मेहनत से और प्रत्येक पक्ष से योजनाबंदी करके जीती है, इस सरकार के दौरान अर्थात् 2022 के बाद हुए विधानसभा के कुल 7 उप-चुनाव में बरनाला को छोड़ कर इसने 6 उप-चुनाव जीते थे। अब यह आठवां उप-चुनाव तरनतारन से जीतने में सफल हुई है। ‘आप’ का इससे वर्ष 2027 के विधानसभा चुनाव के लिए भी हौसला बढ़ा हुआ दिखाई देगा।
सुखबीर सिंह बादल शिरोमणि अकाली दल (ब) के अध्यक्ष हैं। विगत लम्बी अवधि से इस पार्टी में नेतृत्व को लेकर विवाद बढ़ते दिखाई दिए हैं। इन विवादों के कारण एक बड़ा गुट पार्टी से अलग हो गया था और उसने अपनी नई पार्टी शिरोमणि अकाली दल (पुनरसुरजीत) बनाने की भी घोषणा की थी, जो अभी अपने प्राथमिक चरण पर है और सक्रियता पकड़ने का यत्न कर रही है। चाहे इस नये दल ने इन चुनाव में अपना उम्मीदवार तो नहीं उतारा परन्तु उसने अकाली दल (वारिस पंजाब दे) उम्मीदवीर मनदीप सिंह को अपना समर्थन देने की घोषणा कर दी थी। तरनतारन क्षेत्र मुख्य रूप में पंथक माना जाता रहा है। चाहे वर्ष 2020 के चुनाव में यहां आम आदमी पार्टी की ओर से स. कशमीर सिंह सोहल जीत गए थे परन्तु उसके बाद हुए लोकसभा चुनाव में खडूर साहिब हलके से वारिस पंजाब दे के नेता अमृतपाल सिंह ने भारी जीत प्राप्त की थी। तरनतारन हलका खडूर साहिब लोकसभा क्षेत्र में ही पड़ता है। तब उन्हें इस क्षेत्र से भारी समर्थन मिला था। इस बार भी यह उम्मीद की जा रही थी कि अकाली दल (वारिस पंजाब दे) द्वारा खड़े किए उम्मीदवार मनदीप सिंह को भारी समर्थन मिलेगा और ज्यादातर अकाली वोटें विभाजित हो जाएंगी परन्तु इसके बावजूद इस चुनाव क्षेत्र की कमान सुखबीर सिंह बादल ने सम्भाल रखी थी। अकाली दल की ओर से खड़ी की गई उम्मीदवार बीबी सुखविन्दर कौर रंधावा का भी इस क्षेत्र में अच्छा प्रभाव माना जाता रहा है। इस चुनाव में सुखबीर सिंह बादल के नेतृत्व में पार्टी को भारी समर्थन मिला है और वह दूसरे स्थान पर रहीं। वोटों के हिसाब से अकाली दल (वारिस पंजाब दे) पार्टी के उम्मीदवार तीसरे स्थान पर आए हैं परन्तु कांग्रेस चौथे स्थान पर लुढ़क गई है। चाहे भाजपा को इस चुनाव में ज्यादा वोट तो प्राप्त नहीं हुए परन्तु उसने भी चुनाव के दौरान बहुत मेहनत की है। नि:संदेह वह इस क्षेत्र में अपना कुछ आधार बनाने में सफल हुई है।
इस क्षेत्र से वर्ष 2017 के चुनावों में कांग्रेस ने भी जीत प्राप्त की थी। जहां तक इन चुनावों का संबंध है, सभी पार्टियों ने इस बार पूरी दिलचस्पी से चुनाव लड़े हैं, जिसका एक कारण आगामी 2027 के विधानसभा चुनाव भी हैं, जिनके लिए प्रदेश से संबंधित प्रत्येक पार्टी अपना आधार तैयार करने की इच्छुक दिखाई देती है। इन चुनाव परिणामों पर प्रत्येक पार्टी अपने-अपने ढंग-तरीके से विचार-विमर्श करेगी। आम आदमी पार्टी द्वारा यह चुनाव जीतने का क्या कारण है उस पर भी विचार किया जाएगा परन्तु परिणाम के अनुसार यह सुनिश्चित है कि आगामी समय के लिए यह पार्टी प्रदेश में पूरे विश्वास के साथ विचरण करने का यत्न करेगी। सुखबीर के नेतृत्व वाले अकाली दल को जहां इस चुनाव परिणाम से अपने भविष्य की लामबंदी करने हेतु हौसला मिला है, वहीं पंजाब कांग्रेस को गम्भीरता से पुन: अपने भीतर दृष्टिपात करने की ज़रूरत होगी। पार्टी में मज़बूती लाने के लिए उसे पार्टी के संगठन में एकजुटता लाने की ज़रूरत होगी। नि:संदेह तरनतारन के इस उप-चुनाव ने सभी पार्टियों को पुन: नए सिरे से अपनी-अपनी लामबंदी को मज़बूत करने का संदेश दिया है।
-बरजिन्दर सिंह हमदर्द

