मिलकर करें नये वर्ष का स्वागत

हम सब नये वर्ष के आगमन पर बहुत खुश होते हैं। 31 दिसम्बर का एक-एक पल गिनते हैं और रात के बारह बजते ही सबको बधाईयां देते हैं। हम में से बहुत तो इसलिए खुश होते हैं, क्योंकि इस नये साल में वो सब करेंगे जो बीते वर्ष में नहीं कर पाये। कई यह सोचते हैं कि जो कमी उनकी ज़िंदगी में है उसे नया साल पूरी करेगा। पर हममें से शायद ही कोई बीत चुके वर्ष में अधूरे कामों पर नज़र डालता होगा। क्योंकि काम करने के लिए तो सारी उम्र पड़ी है पहले सपने तो देख लें? अरे जब तक मोती की तलाश में समुद्र के किनारे बैठे रहोगे, तब तक निराशा के बिना कुछ भी हाथ नहीं आएगा।नया साल जो 364 दिन बाद आता है। सबसे पहले साल भर का लेखा-जोखा करें। सोचें इस साल मैंने कितने सही फैसले लिए और कितने गलत। किसी की मदद करते वक्त मेरे हाथ कांपे तो नहीं। अपनी बुरी आदतों को छोड़ने की तरफ पहला कदम बढ़ाया न कि कल पर टालते रहे। मखमली चादर में लिपटे रोज़ मां को कहा, ‘पांच मिनट और सोने दो’ पर कभी उससे पहले उठकर, चाय का प्याला मां के हाथों में थमाकर उसके चेहरे की खुशी देख पाए या ज़िंदगी भर ऐसे ही जीना है। कभी बूढ़े बाप के काम में हाथ बंटाया बिना उसके कहे, सारा काम निपटाकर कहा हो ‘पिता जी आप आराम कीजिए, मैं जो हूं।’ या ज़िंदगी भर बस देखते जाना है। हम सब ऐसी दिनचर्या रोज जीते हैं। तो क्या फर्क हुआ 31 दिसम्बर और 1 जनवरी का। बदलने के लिए एक लम्हा ही काफी होता है। तो नए का स्वागत इस तरह बदल कर करें कि सुबह आपका आदर करे। कहते हैं न ‘कुछ बदलना है तो सबसे पहले खुद को बदलें ज़माना अपने आप बदल जाएगा।’कुछ लोग अपने पैसे के गरूर को और ऊंचा उठाने के लिए दावतें देते हैं। अक्सर ऐसे रईसों के दरवाज़ों से गरीब भूखे, जिल्लत व अपमानित होकर भगा दिये जाते हैं। कभी एक भूखे को खाना खिलाकर देखो, मन को सुकून मिलेगा व आपका अस्तित्व भी ऊंचा उठेगा। इस दिन की नई सुबह के इंतजार में हमने न जाने अपनी कितनी बेटियों को न सिर्फ जन्म लेने से रोका है, बल्कि उनकी कम उम्र में शादी, पढ़ाई पर रोक, जबरदस्ती आदि अमानवीय हरकतें कर अपने इंसान होने पर भी एक सवालिया निशान लगा लिया है। हर सुबह एक नया दिन लेकर आती है। अपनी सोच को बदलें व कल का काम आज की परंपरा अपनाएं/सम्मान दें व लें। पैसा हाथों की मैल है इस पर गुमान करने की बजाय अपनी सोच व विचारों पर गुमान करें। किसी से ईर्ष्या न करें। समाज को बदलना है तो पहले खुद को बदलें। याद रखें जब भी आप किसी पर अंगुली उठाते हैं तो आपकी तरफ भी तीन अंगुलियां उठती हैं। नफरत बांटोगे तो नफरत मिलेगी, प्यार बांटोगे तो प्यार के साथ-साथ सम्मान भी मिलेगा। उठो, और सारे संसार को प्यार का, भाईचारे का सबक सिखाएं। क्योंकि आज सारे संसार को इसकी जरूरत है।  सब शांति चाहते हैं पर शुरुआत कौन करे। आइए, मिलकर इस नये वर्ष का स्वागत करें ताकि यह सारे संसार को एक कर जाए।

-वी.पी.ओ. उड़ापड़, गुरु नानक हार्डवेयर स्टोर नवांशहर।