पंजाब के औद्योगिक विकास के लिए सरकार बिजली दरों के बारे में किया वायदा पूरा करे : व्यापार मंडल

अमृतसर, 1 जनवरी (सुरिन्द्र कोछड़) : पंजाब सरकार द्वारा प्रदेश के व्यापारियों के साथ चुनाव के समय 5 रुपए प्रति यूनिट बिल का वायदा अब एक चुनावी मजाक प्रतीत हो रहा है, क्योंकि 1 जनवरी 2017 से लागू बिजली दरों का पुराना बकाया मौजूदा बिलों में जोड़ने के साथ बिजली के खर्चे व्यापारियों को पहले भी अधिक महंगे पड़ेंगे। पंजाब प्रदेश व्यापार मंडल द्वारा बुलाई गई बैठक में यह जानकारी देते हुए प्रधान श्री प्यारे लाल सेठ और महासचिव समीर जैन ने बताया कि बिजली बोर्ड द्वारा निजी बिजली उत्पादकों से महंगे भाव में बिजली खरीदने और लगाई पाबंदी के कारण पीएसपीसीएल बड़े संकट में है और महंगी बिजली दरों का अधिक भार खपतकारों और उद्योगों पर डालकर आपूर्ति कर रहा है। सेठ ने कहा कि प्रदेश के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेन्द्र सिंह द्वारा 5 रुपए प्रति यूनिट बिजली देने का ऐलान पंजाब के उद्योगों के लिए करने के उपरांत तुरंत पंजाब स्टेट इलैक्ट्रिसिटी रैगुलेटरी कमिशन द्वारा 9.33 प्रतिशत बिजली दर बढ़ा दी गई है और 1 अप्रैल 2017 से इसको लागू किए जाने का फरमान सुना दिया गया, जिसके कारण व्यापार व उद्योग मुश्किल में हैं। उन्होंने कहा कि पिछला बकाया 9 महीने की किश्तों में उपभोक्ताओं से 1 जनवरी 2018 से लिए जाने की बात कही गई है, जिसके चलते व्यापारियों को आज ऐसा महसूस होने लगा है कि कैप्टन सरकार को भारी वोटों के फर्क से विजयी बनाकर व्यापारियों की नमाज़ बख्शाने के चक्कर में रोज़े गले पड़ने वाली स्थिति बनती जा रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि पंजाब के उद्योगों के साथ पिछले कई वर्षों से सौतेला व्यवहार किया जा रहा है। कृषि के लिए वर्ष 2017-18 का बिजली सब्सिडी बजट करीब 6500 करोड़ रुपए और पंजाब का कुल बिजली सब्सिडी बजट 10970 करोड़ है। हालांकि व्यापारी इस बात से सहमत हैं कि पंजाब कृषि प्रधान राज्य के लिए कृषि और बिजली सब्सिडी ज़रूरी है, पर पंजाब की तरक्की के लिए उद्योगों को भी सब्सिडी देना ज़रूरी है। बैठक में व्यापार मंडल के महासचिव सुनील मेहरा, सचिव महेन्द्र, पी. गुप्ता, प्रमोद गुप्ता, पवन गुजरां, राकेश गुप्ता ने पीएसपीसीएल द्वारा बढ़ाई बिजली दरों पर एक बार दोबारा विचार करने की मांग करते हुए बिजली की दरों 5 रुपए प्रति यूनिट के हिसाब से लागू किए जाने की मांग की है।