अमरीका की कड़ी चेतावनी


अंतत: झूठ सौ परदे फाड़ कर सामने आ ही गया है। अमरीका पाकिस्तान का चिरकाल का साथ है। वह पाकिस्तान को खरबों रुपए की सहायता इसलिए देता रहा है कि वह आतंकवादी संगठनों पर काबू पाए। अमरीका दुनिया की बड़ी शक्ति है। उसका गुप्त तंत्र भी बेहद चुस्त है। पाकिस्तान का झूठ उस समय जग-जाहिर हो गया था, जब उसकी धरती से अमरीकी सैनिक चुपचाप अलकायदा के प्रमुख ओसामा बिन लादेन पर हमला करके उसकी लाश को भी साथ ही ले गए थे। उससे पहले पाकिस्तानी सरकार दुनिया भर को यह कहती रही थी कि लादेन उसके देश में नहीं है। यदि आज अफगानिस्तान में शांति बहाल करने में मुश्किल आ रही है, वहां लगातार आतंकवादी कार्रवाइयों के कारण खून बह रहा है, तो इसके बारे में भी किसी से बात छिपी हुई नहीं है कि तालिबान के आतंकवादी यहां अपनी कार्रवाईयां करके पाकिस्तान में जा घुसते हैं।
अमरीका बार-बार पाकिस्तान को वहां से हक्कानी गुट को निकालने के लिए चेतावनियां देता आया है। पाकिस्तान अपने देश के विरुद्ध कार्य कर रहे आतंकवादियों के विरुद्ध तो कई तरह की सैन्य कार्रवाईयां करता रहा है परन्तु उसने अफगानिस्तान तथा भारत के विरुद्ध कार्य करने वाले आतंकवादियों के विरुद्ध गम्भीरता से कदम नहीं उठाये। अफगानिस्तान तथा भारत के विरुद्ध, खासतौर पर कश्मीर और देश के अन्य स्थानों पर हिंसा की कार्रवाईयां पाकिस्तान की धरती पर सक्रिय आतंकवादी करते हैं, खासतौर पर मुंबई हमले में मुख्य साज़िशकर्त्ता हाफिज़ सईद के नेतृत्व वाले लश्कर-ए-तैय्यबा और ज़मात-उद-दावा इस मोर्चे पर लगातार सक्रिय हैं। उसने फलाह-ए- इन्सानियत नाम का संगठन भी बनाया हुआ है, जो लोगों से आतंकवादियों की कार्रवाइयों के लिए चन्दा एकत्रित करता है। संयुक्त राष्ट्र जैसी संस्थाओं द्वारा भी बार-बार पाकिस्तान को इस संबंधी चेतावनियां दी गई हैं। पूर्व अमरीकी राष्ट्रपतियों ने नए राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने भी पिछले महीनों में कई बार पाकिस्तान को कड़े संदेश भेजे हैं कि वह इन आतंकवादियों को संरक्षण न दे और इनके ठिकानों को नष्ट करे। यहां तक कि गत वर्ष अगस्त के महीने में ट्रम्प ने स्पष्ट तौर पर यह चेतावनी दी थी कि यदि यह देश आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई में अमरीका का साथ नहीं देता तो वह इसके खिलाफ कड़ा कदम उठायेगा। अपने लिखित भाषण में उन्होंने यह भी कहा था कि पाकिस्तान द्वारा तालिबान तथा अन्य आतंकवादी संगठन जो इस क्षेत्र और पूरी दुनिया के लिए खतरा बने हुए हैं, को संरक्षण देने की कार्रवाई को लम्बे समय तक मूकदर्शक बनकर नहीं देखा जा सकता। यदि पाकिस्तान ने आतंकवादियों को शरण देने की नीति जारी रखी तो उसका बहुत बड़ा नुक्सान होगा। अपनी इन चेतावनियों के बाद नये वर्ष में अपने पिछले बयानों को दोहराते हुए राष्ट्रपति ने पाकिस्तान को पुन: कड़ी चेतावनी देने के साथ-साथ उस पर यह दोष भी लगाया कि वह अमरीका जैसे देश को मूर्ख बनाकर उससे पैसे बटोरता है और गत 15 वर्षों से उसने 33 अरब डॉलर से अधिक सहायता अमरीका से ली है। परन्तु इसके बदले अमरीका को झूठ और धोखे के सिवाय कुछ नहीं दिया। ट्रम्प की इस कार्रवाई में बड़ी सच्चाई है। पाकिस्तान ने आतंकवाद के मामले में हमेशा दोहरी नीति अपनाई है। उसने एक तरफ अफगानिस्तान के खिलाफ तालिबान और हक्कानी गुट का संरक्षण किया है, दूसरी तरफ लश्कर-ए-तैय्यबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे आतंकवादियों को प्रशिक्षण तथा हथियार देकर भारत के विरुद्ध अपनी लड़ाई जारी रखी है। गत लम्बे समय से यह देश ऐसा खतरनाक खेल खेलता आया है।
ऐसी नीति के कारण ही उसने अपने देश को न सिर्फ तबाही की ओर धकेला है, अपितु अब तक वहां 40,000 के लगभग उसके अपने लोग भी हिंसा की भेंट चढ़ चुके हैं। वहां की सेना किसी भी लोकतांत्रिक सरकार के रास्ते में रुकावट बनी रहती है। वहां की खुफिया एजेंसी आई.एस.आई. सेना और आतंकवादियों के सरगना आपस में पूरी तरह मिले हुए हैं। ऐसे सब कुछ का पता दुनिया के देशों और अमरीका को लगता रहा है। परन्तु अब उसके संयम का प्याला पूरी तरह भर चुका है। यदि अब यह देश चीन की सहायता लेकर अपने यह नकारात्मक अमल में जारी रखता है, तो ऐसा करके वह अपने देश को नरक की ओर धकेल रहा होगा। नि:संदेह यह देश अपनी गलत नीतियों के कारण आज बुरी तरह घिरा और मुश्किल में फंसा नज़र आता है, जिस में आसानी से निकल सकना उसके लिए बेहद मुश्किल होगा।
—बरजिन्दर सिंह हमदर्द