डाक्टरों की देशव्यापी हड़ताल के कारण स्वास्थ्य सेवाएं रहीं ठप्प



नई दिल्ली, 2 जनवरी (एजेंसी) : नेशनल मैडीकल कमिशन बनाने के सरकार के नए प्रस्ताव के खिलाफ आज इंडियन मैडीकल एसोसिएशन आईएएम से जुड़े देश भर के लगभग तीन लाख डाक्टरों ने हड़ताल की, जिस कारण स्वास्थ्य सेवाएं बुरी तरह प्रभावित रहीं। इस हड़ताल के कारण मरीजों को भारी मुश्किलों का सामना करना पड़ा। वहीं दूसरी ओर राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग विधेयक, 2017 (एन.एम.सी) के विरोध में राष्ट्रव्यापी हड़ताल पर गये डॉक्टरों ने विधेयक को विचारार्थ संसद की स्थायी समिति के पास भेजे जाने के बाद अपनी हड़ताल वापस ले ली है। भारतीय चिकित्सा संघ के सदस्य तथा पूर्व महासचिव नरेंद्र सैनी ने कहा हम चाहते थे कि विधेयक पर पूरी चर्चा हो और इसके लिए इसे स्थायी समिति के पास भेजा जाये। सरकार ने हमारी मांग मान ली है, इसलिए हमने हड़ताल वापस लेने का फैसला किया है। उन्होंने उम्मीद जताई कि स्थायी समिति में उनकी बात सुनी जायेगी। डॉ. सैनी ने बताया कि इस विधेयक में कई बदलावों की जरूरत महसूस की जा रही है। चिकित्सा परिषद् का प्रशासन किसी गैर-चिकित्सा पेशेवर या प्रशासनिक अधिकारी को नहीं सौंपा जा सकता। इस क्षेत्र की बारीकियों को चिकित्सक ही समझ सकता है जो इस क्षेत्र में लम्बा अनुभव और कौशल रखता हो। सरकार ने विधेयक में प्रस्ताव किया है कि आयोग के सदस्य उसके द्वारा मनोनीत किये जाएंगे। विधेयक के पारित हो जाने पर पारंपरिक चिकित्सा प्रणाली के पेशेवरों को भी एलोपैथिक दवाएं लिखने की अनुमति मिल जाती। यह आधुनिक चिकित्सा प्रणाली के साथ मज़ाक होगा। फिर एलोपैथी के चिकित्सकों को पांच साल का कोर्स और इंटर्नशिप करने की क्या जरूरत है।