बाघ की मौजूदगी का पता लगाने के लिए गुजरात में होगी गणना

अहमदाबाद, 10 जनवरी (भाषा) : शेरों की संख्या के लिहाज से संपन्न गुजरात में अब यह पता लगाने का प्रयास किया जाएगा कि क्या राज्य में बाघों का भी आशियाना है। गुजरात में वर्ष 1985 में एक बाघ की मौजूदगी का पता चला था। अब तीन दशक से भी ज्यादा वक्त के बाद, डांग जिले के जंगलों में बाघों की मौजूदगी का पता लगाने के लिए अगले महीने एक गणना कराने की योजना बनाई गई है। डांग जिले में बाघों की मौजूदगी बताने वाली कुछ मीडिया रिपोर्टों के सामने आने के बाद राज्य के वन विभाग ने कुछ समय पहले राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) को यह गणना कराने के लिए एक प्रस्ताव भेजा था। गुजरात के प्रधान प्रमुख वन संरक्षक (वन्यजीव) जी के सिन्हा ने बताया कि केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय के तहत आने वाले संवैधानिक निकाय एनटीसीए ने इस प्रस्ताव को स्वीकृति दे दी थी।   उन्होंने बताया कि वर्ष 1980 की शुरुआत में गुजरात के डांग, नर्मदा और सबरकांठा जिले के जंगलों में बाघ मौजूद थे।  सिन्हा ने बताया,  आखिरी बाघ वर्ष 1985 में डांग में एक सड़क दुर्घटना में मारा गया था। उसके बाद से राज्य में कोई बाघ नहीं देखा गया। स्थानीय लोग आमतौर पर लकड़बग्घे को बाघ समझ लेते हैं और इस तरह वह मान लेते हैं कि गुजरात के जंगलों में बाघ हैं। उन्होंने बताया कि मीडिया की कुछ खबरों में यहां बाघ की मौजूदगी बताई गई है जिसे देखते हुए हमने एनटीसीए को बाघ गणना में डांग क्षेत्र को शामिल करने का आग्रह किया है।