सरकार की लापरवाही से खंडहर हो रही नाभा की विरासती इमारतें

नाभा, 10 जनवरी (करमजीत सिंह) : फूलकिया वंश के साथ संबंधित रियासत नाभा का अपना अलग और विलक्षण इतिहास है। फूलकिया वंश के संस्थापक चौधरी तिलोक सिंह के बड़े सुपुत्र गुरदित का पोता हमीर सिंह जब 1754 ई. में रियासत की राज गद्दी पर विराजमान हुआ तो सब से पहला 1755 ई. में उसने नाभा शहर और किला मुबारक की नींव रखी और बाद में नाभा शहर को रियासत की राजधानी बनाया। कहा जाता है कि किले के बड़े दरवाजे से दिल्ली और लाहौर की दूरी एक समान है। महाराजा हीरा सिंह, महाराजा रिपुदमन सिंह और महाराजा प्रताप सिंह रियासत नाभा के बड़े प्रतापी राजा हुए है। इनमें से महाराजा हीरा सिंह और महाराजा रिपुदमन सिंह का आज भी धार्मिक राजाओं की तरह लोगों में पूरा सत्कार है। देश की आजादी के बाद जब रियासतों को खत्म करके देश में शामिल कर लिया गया तो इस किले पर इस की के साथ लगती अन्य इमारतों में सरकारी दफ्तर बना दिए गए। जब तक यह दफ्तर यहां रहे उस समय तक तो इस की कुछ देख भाल होती रही परन्तु सरकारी दफ्तरों के तहसील कंपलैक्स में जाने के साथ ही किला मुबारक की दुख भरी कहानी शुरू हो गई। सरकारों की लापरवाही के कारण किला की ढह ढेरी हो रही शानदार इमारत आज खंडहर में तबदील होती नज़र आ रही है। कुछ साल पहले नाभा फांऊडेशन नामी संस्था ने इस किले को पहले वाली दिखावट देने की कोशिश की थी परन्तु सरकार द्वारा पूरा सहयोग न मिलने के कारण किले की सुंदरता का काम अधूरा ही रह गया। सीनियर कौंसलर और नगर कौंसिल नाभा के अशोक बिट्टू ने कहा कि पंजाब सरकार को इस संबंधित उसी तरह विशेष ध्यान देना चाहिए जैसे कि रियासती शहर कपूरथला, फरीदकोट की विरासती इमारतें संभाली गई हैं। यूथ अकाली नेता और कौंसलर मानवरिंदर सिंह ने इस बात को मंदभागा बताया कि इस संबन्धित आज तक न तो केंद्र सरकार ने और न ही पंजाब सरकार ने ध्यान दिया है जबकि विरासत को संभालना सरकारों की पहल होनी चाहिए। हलका विधायक नाभा और कैबिनेट मंत्री साधु सिंह धर्मसोत ने कहा कि वह इस मसले को पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के ध्यान में लोकर आएंगे।