’84 दंगों की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट ने बनाई नई एसआईटी

नई दिल्ली, 11 जनवरी (वार्ता) : उच्चतम न्यायालय (सुप्रीम कोर्ट) ने 1984 के सिख-विरोधी दंगों से जुड़े 186 मामलों की फिर से जांच के लिए दिल्ली उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश एस.एन. ढींगरा के नेतृत्व में आज तीन-सदस्यीय विशेष जांच दल (एसआईटी) गठित कर दिया। मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति ए.एम. खानविलकर और न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ की पीठ ने जांच दल में न्यायमूर्ति ढींगरा के अलावा भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के वरिष्ठ अधिकारी अभिषेक दुलार और महानिरीक्षक रैंक के सेवानिवृत्त आईपीएस अधिकारी राजदीप सिंह को भी शामिल किया है। यह जांच दल पुरानी एसआईटी द्वारा बंद किए गए 186 मामलों की फिर से जांच करेगा। जांच दल दो महीने के भीतर अपनी अंतरिम रिपोर्ट सौंपेगा। न्यायालय इस मामले की सुनवाई अब 19 मार्च को करेगा। न्यायमूर्ति ढींगरा दिल्ली उच्च न्यायालय से 2011 में सेवानिवृत्त हुए हैं। गौरतलब है कि केन्द्र सरकार द्वारा फरवरी 2015 में गठित एसआईटी ने पिछले वर्ष 241 मामलों को बंद कर दिया था और 12 मामलों में आरोप दायर किये थे। इसके औचित्य की जांच के लिए उच्चतम न्यायालय ने पिछले साल अगस्त में पूर्व न्यायाधीश के.एस. राधाकृष्णन और न्यायमूर्ति जे.एम. पांचाल की समिति गठित की थी। समिति ने 241 बंद मामलों में से 186 को फिर से खोलने और इसकी पुन: जांच कराये जाने की सिफारिश की थी। समिति ने कहा था कि इन मामलों की जांच की ही नहीं गयी और पुरानी एसआईटी ने इसकी फाइलें बंद कर दी थी। दोनों न्यायाधीशों की समिति की रिपोर्ट पढ़ने के बाद न्यायालय ने कल सुनवाई के दौरान कहा था कि उन मामलों की पुन: जांच के लिए उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश के नेतृत्व में एक नया जांच दल गठित किया जायेगा। न्यायालय ने यह स्पष्ट किया था कि इस प्रस्तावित जांच दल में आईपीएस का एक सेवानिवृत्त अधिकारी और एक कार्यरत अधिकारी शामिल किया जायेगा। सेवानिवृत्त आईपीएस अधिकारी सेवानिवृत्ति के समय पुलिस उपमहानिरीक्षक से नीचे के पद पर नहीं होना चाहिए। 1984 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद भड़के सिख-विरोधी दंगों में दिल्ली में 2,733 लोग मारे गए थे।