इसरो की बड़ी उपलब्धि

अंतरिक्ष विज्ञान में भारत की उपलब्धियों पर गर्व किया जा सकता है। अंतरिक्ष की खोज के लिए बनी संस्था इसरो ने अपना 100वां अंतरिक्ष यान पी.एस.एल.वी. सी.-40 सफलता से अंतरिक्ष में दागा है। नि:संदेह इसरो ने यह उपलब्धि हासिल करके एक नया मील पत्थर स्थापित किया है। इस बड़ी उपलब्धि पर संतुष्टि जाहिर की जा सकती है परन्तु इससे भी बड़ी उपलब्धि यह है कि इसके द्वारा तैयार किया गया यह अंतरिक्षयान पी.एस.एल.वी. सी.-40 अन्य अनेक देशों के 31 उपग्रह भी अंतरिक्ष में भेजने में सफल हुआ है। अपने तीन स्वदेशी उपग्रहों के साथ कनाडा, अमरीका, ब्रिटेन, फ्रांस, फिनलैंड और दक्षिण कोरिया देशों के 28 अन्य उपग्रह इस रॉकेट द्वारा अंतरिक्ष में सफलतापूर्वक स्थापित करने की यह सफलता दर्शाती है कि भविष्य में देश इस क्षेत्र में और भी बड़ी उपलब्धियां हासिल कर सकता है। इससे पहले गत वर्ष अगस्त के महीने में रॉकेट द्वारा उपग्रह भेजने में चाहे नाकामी मिली थी, परन्तु अब 710 किलोग्राम का सैटेलाइट कार्टोसैट-2 भेजने में बड़ी सफलता प्राप्त हुई है। गत वर्ष जून के महीने में भी भारत ने अपना 3477 किलोग्राम का भारी उपग्रह छोड़ने के लिए फ्रांस की सहायता ली थी और इस तरह अंतरिक्ष में पहले ही भारत के मौजूद 17 दूरसंचार उपग्रहों की संख्या में और भी वृद्धि हो गई थी। भारत अपने उपग्रह छोड़ने के लिए अन्य देशों की सहायता भी लेता रहा है परन्तु अपने ही अंतरिक्ष यानों के साथ भी अपने उपग्रहों की संख्या में लगातार वृद्धि भी की जाती रही है। पांच दशकों से इस खोज संस्था ने अंतरिक्ष के क्षेत्र में लगातार मेहनत की है। आज भारत में मौसम विज्ञान तथा संचार में आये बड़े बदलाव इन उपग्रहों की ही देन हैं। आगामी समय में इस तकनीक से भारतीय नागरिकों, किसानों तथा मछुआरों को भी आवश्यक जानकारी दी जाती रहेगी।   क्योंकि इनसे तटवर्ती क्षेत्रों संबंधी पूरी जानकारी हासिल होगी। तकनीक और संचार के क्षेत्र में आज जितने भी बड़े अद्भुत बदलाव देखने को मिल रहे हैं, उनमें हमारे अंतरिक्ष वैज्ञानिकों का बड़ा योगदान रहा है। यह संतुष्टि की बात है कि इस संस्था द्वारा लगातार की जा रही खोज के कारण भारत ने मंगल ग्रह की खोज भी शुरू कर दी है। इससे पहले यह खोज सिर्फ तीन बड़े देशों द्वारा ही की जा रही थी। एशिया में अंतरिक्ष विज्ञान की ऐसी खोज में भारत का स्थान प्रथम है। यह और भी संतुष्टि की बात है कि भारत ने अपनी अंतरिक्ष की उपलब्धियां अपने पड़ोसी देशों के साथ भी साझी करने के लिए प्रयास किए हैं और इन उपलब्धियों से आज पाकिस्तान को छोड़कर सार्क के अधिकतर देश लाभ उठा रहे हैं। यह गौरवशाली उपलब्धियां जहां देश के आगे बढ़ने का संदेश हैं, वहीं इनका बड़ा प्रभाव देश के आम तथा ज़रूरतमंद लोगों पर भी पड़ेगा तथा वह भी आगामी समय में इससे पूरा-पूरा लाभ उठा सकेंगे। सरकार की अंतरिक्ष संबंधी नीति का यह एक अहम हिस्सा होना चाहिए। इससे आवश्यक तौर पर भारत के लोगों के जीवन और सुख-सुविधाओं में बड़ी वृद्धि हो सकेगी।

बरजिन्दर सिंह हमदर्द