कूड़े के ढेर बने सोने जैसे उगाए किसानों के आलू

जालन्धर, 15 जनवरी : किसान दुर्भाग्यशाली। अनेकों जफर जाल जैसे उगाया आलू आज कौड़ियों के भाव भी नहीं बिक रहा व पिछले दो वर्षों में ही दोआबा क्षेत्र में 350 के करीब कोल्ड स्टोरों में पड़ा 3 लाख टन से अधिक आलू स्टोर मालिकों ने बाहर खेतों में फेंक दिया है। कोल्ड स्टोर मालिकों का कहना है कि आलू का कोई खरीददार ही नहीं व किसान यह आलू उठा कर नहीं ले रहे। कोल्ड स्टोर के बिजली व कृत खर्चों को समाप्त करने के लिए उनके आलू ही खेतों में फेंक दिया है। घटा कर लगाए जा रहे अंदाज़ों के अनुसार दोआबा क्षेत्र के 350 के लगभग कोल्ड स्टोरों में पड़ा 20 से 25 फीसदी आलू बाहर फेंके जाने के कारण कम से कम 400 करोड़ रुपए के लगभग किसानों का मिट्टी हो गया है। नए आ रहे आलू की कीमत भी मण्डी में 2.80 रुपए मिल रही है, जबकि किसानों को घर यह आलू 7 से 8 रुपए पड़ता है। जालन्धर ज़िले में लांबड़ा, नकोदर, शाहकोट, लोहियां, फिल्लौर व गोराया क्षेत्र के बड़ी संख्या में कोल्ड स्टोर मालिकों ने आलू को बाहर फेंक दिया है। कुछ स्टोर वालों ने भैंसे रखने वाले गुज्जरों को भी आलू देने शुरू कर दिए हैं। स्टोरों वालों का कहना है कि गुज्जरों को कहा जा रहा है कि अपने साधनों द्वारा जितना चाहे आलू उठा कर ले जाएं।आलुओं की बेकद्री के बारे में गत कई दिनों से समाचार छप रहे थे, परन्तु अब स्टोरों से निकाल कर आलू बाहर फेंकने का संकट विराट रूप में सामने आया है, परन्तु सरकार अभी भी कुछ नहीं कर रही है। बागबानी विभाग के अधिकारियों का कहना है कि सरकार द्वारा अभी तक उनको कोई निर्देश नहीं दिए। तीसरे वर्ष आलुओं की बेकद्री ने आलू उत्पादकों व कोल्ड स्टोर मालिकों का धुआं निकाल दिया है। उनका कहना है कि आगामी वर्ष में किसान आलू बीजने से परहेज़ करेंगे परन्तु जितना बोया गया है उसको स्टोर करते समय किसान व स्टोर मालिक बार-बार सोचेंगे। किसान को 50 किलो आलू स्टोर में रखने के लिए 20 रुपए की खाली बोरी पड़ती है। आलू का कोई भाव न मिलने के कारण किसानों पर बोरी का अधिक बोझ पड़ रहा है व स्टोर मालिक को 50 किलो बोरी का 100 रुपए किराया मिलता है, आलू न बिकने के कारण स्टोर वालों का प्रति बोरी 100 रुपए तो डूबा ही है, साथ में बिजली व मज़दूरी पड़ गई है व हानि के कारण बहुत से कोल्ड स्टोर भी बिकने लगे हैं।