माइकल ओडवायर का नाम काटकर प्रकट किया रोष

अमृतसर, 15 जनवरी (सुरेन्द्र कोछड़) : 13 अप्रैल, 1919 को अमृतसर के जलियांवाला बाग में हुए खूनी कत्लेआम के लिए जिम्मेवार पंजाब के तत्कालीन गवर्नर माइकल ओडवायर को लंदन के कैकस्टन हाल में गोली मार कर चाहे कि शहीद ऊधम सिंह ने 77 वर्ष पहले ही अपनी बदले की आग शांत कर ली थी, परंतु उक्त खूनी मंजर को लेकर देशवासियों में बना रोष अभी भी कम नहीं हुआ है। इसका सबूत देते हुए जलियांवाला बाग नैशनल मैमोरियल ट्रस्ट के सचिव कार्यालय के साथ लगते उक्त सोविनार हाल में लगाई गई माइकल ओडवायर की तस्वीर का नाक काटकर किसी सैलानी द्वारा उक्त मंजर का बदला लेने की ना-सिर्फ एक बार फिर से कोशिश की गई है, बल्कि हाल ही में कोई केयर टेकर या सुरक्षा कर्मचारी न उपलब्ध होने के कारण माइकल ओडवायर की उक्त तस्वीर को नुक्सान पहुंचाते हुए इसके नीचे उसके नाम के आगे लिखे ‘सर’ शब्द को भी हटाने की कोशिश की गई है। वर्णनीय है कि माइकल ओडवायर के आदेशों का पालन करते हुए जनरल रिनाल्ड एडवर्ड हैनरी डायर द्वारा 13 अप्रैल, 1919 को जलियांवाला बाग में निर्दोष और निहत्थे लोगों पर गोलियां चलाकर सैकड़ों लोगों को शहीद और हज़ारों को गम्भीर रूप में घायल किया गया था। जनरल डायर की 23 जुलाई, 1926 को अधरंग की बीमारी से मौत हो जाने के कारण शहीद ऊधम सिंह ने लंदन के कैकस्टन हाल में ईस्ट इंडियन एसोसिएशन और रॉयल सैंट्रल सोसायटी द्वारा बुलाई गई संयुक्त बैठक में पहुंचकर माइकल ओडवायर को अपनी पिस्तौल की गोली का निशाना बनाकर अपने बदले की आग शांत की। वर्णनीय है कि सोविनार हाल में माइकल ओडवायर की तस्वीर के पास भी शहीद ऊधम सिंह की अस्थियों वाला कलश भी साधारण शोकेस में रखा गया है, जिसके साथ रखी तख्ती पर हिन्दी, अंग्रेज़ी और पंजाबी में सिर्फ इतना ही लिखा गया है कि ‘19 जुलाई, 1974 को भारत लाई गई ऊधम सिंह की अस्थियां’ इस तख्ती पर शहीद-ए-आज़म ऊधम सिंह को ‘शहीद’ शब्द से संबोधित न किए जाने को लेकर जलियांवाला बाग नैशनल मैमोरियल ट्रस्ट के प्रति पर्यटकों में बड़ा रोष बना हुआ है।