औरत को खुद ही बनना पड़ेगा अपना सुरक्षा कवच

हमारे देश में वैसे तो अनेकों गम्भीर मामले हैं, जो समय की सरकारों के लिए चुनौती बने हैं। इनमें से एक गम्भीर मुद्दा स्त्रियों की सुरक्षा का भी है। औरत देवी का रूप मानी जाती है, जगत जननी है, फिर क्यों इसको सुरक्षा की ज़रूरत है। शुरूआत से ही घर की चार-दीवारी में कैद रही औरत सारे घर परिवार को संभालती आ रही है। पहले औरतों को घर के बुजुर्गों या पति की ओर से ही प्रताड़ित किया जाता था। लड़की के पैदा होने पर ताने कसे जाते थे। समाज के बदलाव से और आधुनिकता के दौर में स्त्री सुरक्षा का मुद्दा और भी गम्भीर हो गया है। औरतों के साथ होते अपराधों की संख्या में कमी की जगह बढ़ौतरी हो रही है। आज के युग में औरत न तो घर में सुरक्षित है और न ही बाहर। घर की चार-दीवारी में भी उसके साथ घिनौने अपराध हो रहे हैं। औरत आज हर मुकाम को हासिल करने में सफल है, तो फिर क्यों उसको अपनी सुरक्षा के लिए किसी मर्द या सरकार की सहायता लेनी पड़ती है। औरत हो या लड़की उसको थोड़ी जागरूकता खुद ही अपने अंदर जगानी पड़ेगी। ताकि समाज में कोई भी उसका शोषण न कर सके। किसी भी औरत (लड़की) को ज्यादा किसी से भी दोस्ती करने की ज़रूरत नहीं। कामकाज़ी महिलाओं को रास्ते में भी अनजान लोगों से सावधान रहने की ज़रूरत है। काम-काज वाली जगह पर भी पुरुषों की बातों को सिर्फ काम तक ही सीमित रखो। ज्यादा चिंता इस वक्त घर में हर एक औरत को अपनी किशोर होती लड़की की सुरक्षा के लिए समझने की है। स्कूल या कालेज में हिसाब से अपने दोस्तों का चयन करें। जब भी कोई गलत हरकत करने की कोशिश करे, उसको उसी समय जवाब दो। घर में भी लड़कियों को सबकी ओर से दोस्ताना माहौल मिले ताकि वह अपनी हर बात घर वालों से शेयर कर सके। समय-समय पर सरकार ने कई प्रकार के कानून बनाए हैं और हैल्पलाइन नम्बर भी औरतों के लिए जारी किए हैं, जोकि बहुत अच्छी बात है। फिर भी औरतों को अपने इर्द-गिर्द एक सुरक्षा घेरा या कवच बनाकर रखना चाहिए ताकि उनका कोई गलत फायदा न उठा सके। आज के समय में औरत ने एक अलग ही पहचान बना ली है। हमें बस अपने अंदर की शक्ति को पहचानने की ज़रूरत है। खुद आगे आने की ज़रूरत है, ताकि औरत बाद में यह न कहे कि— ‘औरत की सुरक्षा का मुद्दा आज गम्भीर है ‘जस’ समाज अंदर जो कभी चंडी, दुर्गा और लक्ष्मीबाई बनकर दुष्ट संहारती थी।’
—जसवीर कौर जस